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इस पुस्तक में रक्तिम जी ने फ्रेमवर्क के संस्थानीकरण अनुभवों के औद्योगिकीकरण प्रक्रियाओं के इंस्ट्रूमेंटेशन आई टी के डेमोक्रेटाइजेशन तथा एंटरप्राइस एप्स के कन्ज्यूमराइज़ेशन पर बल दिया है ताकि वैश्विक व्यापार को डिजिटल में बदलने के लिए उस स्ट्रक्चरल मार्ग को तैयार किया जा सके जिसकी व्यापार जगत को बहुत अधिाक आवश्यकता है। इस पुस्तक के पाठकों के लिए ग्रहण करने वाली मुख्य बात ACID नामक फ्रेमवर्क है जिसकी व्याख्या रक्तिम जी ने चार भागों में बड़े उत्साह के साथ की है। उन्होंने ACID (अर्थात् AI, CLOUD, I oT और Data), जो कि डिजिटल परिवर्तन के आधार स्तंभ हैं की व्याख्या विभिन्न उधोंगो से चुनी गई प्रेक्टिकल केस स्टडीज के आधार पर की है। ~ Rajashekara Visweswara Maiya VP, Global Head-Business Consulting-Finale at Infosys इस पुस्तक की विषय-सामग्री को पढ़कर कोई भी आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि यह डिजिटलाइजेशन और व्यापार में परिवर्तन से जुड़े प्रेक्टिशनरों की सहायता के लिए किसी प्रेक्टिशनर की इस क्षेत्र में 25 वर्षों से भी अधिक समय तक की गई तपस्या का परिणाम है। रक्तिम ने IIT BHU से B.Tech. किया हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में Infosys के FINACLE को ज्वाइन किया। उन्हें सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के डेवलपमेंट का 25 वर्षों से अधिाक का लम्बा अनुभव है। रक्तिम का डिजिटल क्षेत्र के प्रति विशेष उत्साह है और उन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर डिजिटल परिवर्तन“ विषय पर अनेक ब्लॉग भी प्रकाशित किए हैं। रक्तिम नें TEDx में डिजिटल परिवर्तन पर अपना Talk दिया है।
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This book is Dadi Janki’s sermon, which is completely successful in changing people’s lives. This book contains answers to questions asked by people from Dadi Janki, and she satisfied their hearts with her marvelous answers that make them full of contentment.
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दांव खेल पासे पलट गए ….उनके लिए जिन्होंने बाद में पढ़ना शुरू किया और ….उनके लिए जो नहीं जानते - श्री वेद प्रकाश काम्बोज कौन है! श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी लोकप्रिय साहित्य जगत के बहुत प्रसिद्ध एवं बहु-चर्चित लेखक हैं जिनके जासूसी उपन्यासों ने जासूसी उपन्यास जगत की दिशा ही बदल डाली और उसे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचाया। नए पाठकों के लिए बता दें कि रहस्य-रोमांच के जिस जासूसी संसार की बुनियाद बाबू देवकी नंदन खत्री जी ने डाली थी, उसी इमारत के निर्माण में हिंदी-उर्दू के कई लेखकों का योगदान रहा, जिनमें जासूसी दुनिया के लिए उर्दू जगत के महान जासूसी उपन्यासकार श्री इब्ने सफी एवं हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी का नाम उल्लेखनीय है। दोनों ही। महान उपन्यासकार थे। इन्हीं दोनों महान रचनाकारों की गंगा-जमुनी शैली का अद्भुत संगम श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी के रूप में हुआ। पाठकों के लिए यह एक नायाब तोहफा था, क्योंकि उन्हें एक साथ दोनों का आनंद श्री काम्बोज के उपन्यासों में मिलने लगा था, जिसमें एक ओर जासूसी दुनिया का सम्मोहन था तो दूसरी ओर रहस्य-रोमांच से भरे हुए कथानक। इनके उपन्यासों की मांग के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि इनके उपन्यासों की ब्लैक माकिटिंग भी होने लगी थी, क्योंकि इनके उपन्यास मार्किट में आते ही बिक जाया करते थे और पाठक फिर इन्हें मुंहमांगे दामों पर भी खरीदते थे। इनके पात्रों-विजय, रघुनाथ, ब्लैक बॉय और सिंगही, अल्फासें व गिलबर्ट के किस्से लोगों की। जुबान पर रहते थे।
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आचार्य अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हए भी आचार्य देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन कार्य में सक्रिय बने रहे तथा पिछले 15 वर्षों से प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे-ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र व फेंग-शुई आदि के शोध कार्य में संलग्न रहे एवं इसी शोध कार्य पर लिखी एक पुस्तक "ज्योतिषः प्रेम-संबंध एवं वैवाहिक जीवन" के नाम से पाठकों के बीच आने के लिए तैयार है। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें जिंदगी के विभिन्न रंगों को अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया है। सतपाल "शिवोहम" ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. करने के पश्चात् एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और पिछले 12 वर्षों से वकालत के पेशे में कार्यरत हैं। ये वकालत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सामाजिक कार्यों में सतत् योगदान की वजह से ही ये लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कई वर्षों से ये लेखन कार्य में भी सक्रिय हैं। लोगों ने इनकी कविताओं को काफी सराहा है। इन्होंने भी अपने पाठकों के स्नेह को कविताओं में बाँधकर अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है।
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देव और भक्ति की बचपन की दोस्ती जब प्यार में बदलती है तभी हैरी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की दोनों के बीच में आ जाती है(क्यों?)। अपने प्यार को ढूंढना ही देव की जिंदगी का अब एक मात्र लक्ष्य है-क्योंकि भक्ति कहीं चली जाती है (क्यों?)! दोस्ती, प्रेम, विश्वास, आस्था, श्रद्धा और झूठ-फरेब की राहों से गुजरती हुई ये कहानी कभी आपको रुलाएगी तो कभी आपको अपनी प्रेम-कहानी याद दिलाएगी। और, कभी सोचने पर मजबूर कर देगी कि ऐसा क्यों हुआ! 'क्यों' का जवाब जानने के लिए पढ़ें--देव-भक्ति : आस्था का खेल दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राम 'पुजारी' को सामाजिक जनचेतना का लेखक माना जाता है। 'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' और 'लव जिहाद ...एक चिड़िया' के बाद राम 'पुजारी' का यह तीसरा उपन्यास है। अपने लेखन से सामाजिक समस्याओं पर सरल भाषा में सीधा चोट करना उनकी विशेष शैली है। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम ‘पुजारी’ सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक ‘राम पुजारी’ के नवीनतम उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को ‘मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक ‘राम पुजारी’ के उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है। E-Mail- rampujari2016@gmail.com Website- www.rampujari.com.
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यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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इस किताब में यह बताया गया है कि किस प्रकार एक बिजनेसमैन अपने समय को मैनेज करके अपने काम को अच्छे तरीके से कर सकता है और साथ ही खुद को थोड़ा फ्री रख सकता है। और कैसे कस्टमर पे फोकस करके सेल को बढ़ाया जा सकता है इसमें स्टॉक मैनेजमेंट को ठीक से संचालित करने,डेब्टर्स के साथ सटीक फ़ॉलोअप कॉल करने, बायर्स के डेटा को मैनेज करते हुए उनको समय समय पर रिमाइंडर देने, पॉइंट सिस्टम से इनामी योजनाओं के संपर्क में रहने और उनकी देखभाल करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके अलावा, यह उनके कर्मचारिओं के केयर और ट्रेनिंग के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। इस किताब में मेरे 23 वर्षों का अनुभव है, जिसने मुझे काम करते हुए सीखने का मौका दिया है और कई व्यापारियों को लाखों करोड़ों का लाभ प्रदान किया है। जिन्होंने मेरे द्धारा बताए गए सिद्धांतों पर अमल किया उन्होंने अपने लाभ को 10 गुना प्रॉफिट कमाया और सेल्स को भी कई गुना बढ़ाया है। में इस लाभ को हर व्यापारी को प्रदान करना चाहता हूँ और उन तक पहुंचना चाहता हूँ, इसलिए मैंने यह कताब लिखी है। 23 साल के अपने कमोडिटी बिजनेस के अनुभव के साथ, "पंकज गोयल" अब यल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में कार्य करते हैं, जो खाद्य तेल उद्योग में एक प्रमुख नाम है।उन्होंने राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों के कई होलसेल व्यापारियों को जबरदस्त लाभ प्राप्त करने में मदद की है, जो लाखों और करोड़ों में है। उनका लक्ष्य भारत के कमोडिटी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना और लॉयल कस्टमर्स, खरीदारों, सप्लायर्स और सहयोगियों को कुछ वापस देना है। इस पुस्तक में, पंकज गोयल अपना आभार व्यक्त करते हैं, अपने ज्ञान को साझा करते हैं और व्यापार में आपके लाभ को दस गुना तक बढ़ाने के लिए रणनीतियाँ बताते हैं।
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इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण । मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना । लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें। पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है और अब तो पूरे विश्व ने मान लिया है कि इस कार्य के लिए नैचुरोपैथी से बेहतर कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसके महत्व को ध्यान में रखकर ही भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 18 नवम्बर को "नैचुरोपैथी दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस पद्धति में किसी भी दुष्प्रभाव के बिना केवल आहार और विहार के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने की व्यवस्था है। इस पुस्तक में नैचुरोपैथी के सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों पक्षों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। आज का समाज स्वास्थ्य से संबंधित समुचित जानकारी के अभाव में जिन असाध्य रोगों यथा: कैंसर, पक्षाघात, हृदय रोग, डायबिटीज़,उच्च रक्तचाप,मोटापा आदि का शिकार बनता जा रहा है, यह पुस्तक इनसे बचने और साथ ही इनके उपचार में विशेष भूमिका निभाएगी। शारीरिक विकारों से ग्रस्त मानव समाज को यह पुस्तक एक नई संजीवनी प्रदान करने में सक्षम सिद्ध होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. तथा एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीयकृत बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक पद से रिटायर कृष्ण लाल अरोड़ा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी ये अपने निरंतर योगदान के लिए जाने जाते हैं। आज के समय में नैचुरोपैथी की असीम उपयोगिता को देखते हुए इनकी रुचि इस ओर भी जागृत हुई और इन्होंने इस विषय पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री का गहन अध्ययन किया। साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत कुछ प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे व्यापक विचार-विमर्श भी किया। इन माध्यमों से प्राप्त ज्ञान तथा स्वय पर किए उसके सफल प्रयोगों को ही इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
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समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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उपन्यासः 'पतंग संग डोर' की कहानी दो युवा दिलों के उड़ती पतंगों के समूह के माध्यम से हुये अटूट मिलन की बड़ी ही अनूठी एवं मार्मिक अद्भुत कहानी है मानो सात जन्मों जैसा मिलन। इसकी शुरूआत आपके दिल में प्यार के अंकुर खिला देगी और कहानी का अन्त आपकी आँखें भर देगा। मुझे उम्मीद है पाठक 'पतंग संग डोर' को बार-बार पढ़ना चाहेगा।
पुस्तक के लेखक ओमप्रकाश चौहान का जन्म 10 जनवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम (स्व.) श्री रेवती लाल चौहान एवं माता का नाम (स्व.) श्रीमती भगवती देवी है। इन्होंने सीनियर सुपरिटेंडेंट, अंतर्राष्ट्रीय विमान प्राधिकरण, भारत सरकार, आई.जी.आई., दिल्ली के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया। साहित्य-सृजन, अभिनय एवं नाटक निर्देशन में इनकी गहन रुचि रही है। नाटक 'मैली हवेली' का इन्होंने दो बार (1981 एवं 1982) मंचन किया। सन् 1982 से 1995 तक ये नेशनल एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की हिन्दी पत्रिका 'चेतना' की संपादकीय परिषद के सदस्य रहे। उस पत्रिका में इनकी कई लघु कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं। सन् 1982 में लेखक ने रिलिना फिल्म्स की फिल्म 'बाँहों के घेरे में' के लिए स्क्रीन प्ले एवं डायलॉग लिखे। सन् 1983-84 में साहित्य कला परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाटक लेखन प्रतियोगिता में भी इनकी भागीदारी रही। साथ ही, अन्य दो नाटक 'मैला आदमी' एवं कॉप उठा संसार' भी सर्वत्र चर्चित व प्रशंसित हुए।
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पशुपालन में अपनी आमदनी को दस गुणा कैसे बढ़ाएँ?
क्या आप पशुपालन से होने वाली अपनी आमदनी से संतुष्ट नहीं हैं ? क्या आप इस आमदनी को कई गुणा बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप पशुपालन के दौरान अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनका कोई उचित समाधान आपको नहीं मिल पा रहा है?
तो अब आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ संजय नरवाल की यह पुस्तक आपके उपर्युक्त सभी प्रश्नों और समस्याओं का सटीक समाधान लेकर आपके सामने प्रस्तुत है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः अपने पशुओं की ठीक से देखभाल करना और उनको स्वस्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस ओर समुचित ध्यान न देने पर ये अस्वस्थ एवं कमजोर हो सकते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है। यहां तक कि समुचित चिकित्सा के अभाव में कुछ पशु बीमार होकर मर भी सकते हैं। ऐसा प्रायः पशुपालकों को पशुपालन संबंधी समुचित जानकारी न होने के कारण ही होता है। इस पुस्तक में पशुओं के पालन-पोषण से जुड़ी प्रायः सभी प्रकार की जानकारी को एक ही स्थान पर उपलब्ध करा दिया गया है।
पुस्तक की विषयवस्तु को सुविधा की दृष्टि से 15 अध्यायों में विभाजित करते हुए प्रत्येक अध्याय में इस विषय से जुड़े किसी एक पक्ष पर इस प्रकार प्रकाश डाला गया है ताकि इस विषय से जुड़ा कोई भी पक्ष अछूता नहीं रह सके।पुस्तक के लेखक इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पशुपालन में दो साल का डिप्लोमा कोर्स कियाऔर एम. बी.ए. की उपाधि भी प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त ज्ञान का उपयोग उन्होंने बाद में पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के मिशन के लिए किया।
हमें पूरा विश्वास है कि पशुपालन से जुड़े लोग इस पुस्तक से लाभ उठा कर अपनी आमदनी को निश्चित रूप से कई गुणा बढ़ा सकने में सक्षम हो सकेंगे।
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हमारे पीछे क्या है और हमारे अंदर क्या है इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं रह जाता जब इनकी तुलना हमारे अंदर क्या हैय् से की जाती है। इस पुस्तक में वषो पुरानी नीतिकथाएँ आपको अपनी आंतरिक क्षमताओं का एहसास कराएँगी तथा सफलता की ओर कदम बढ़ाने के लिए आपको प्रेरित करेंगी। आप अपने सपनों रूपी पहाड़ों की ओर आगे बढ़ने के लिए इनको एक प्ररेक उपकरण के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। ये कहानियाँ आपको साहस एवं शक्ति भी प्रदान करेंगी ताकि आप अपनी कठिनाइयों का दृढ़ता से सामना कर सकें। आइए, ये 52 कहानियाँ आपके लक्ष्य रूपी सपनों का पीछाकर आपको अजेय बनाने में आपकी सहायता करें ताकि आप सफलता के शीर्ष को छू सकें। मुकेश कुलौठिया एक उत्साही उद्यमी हैं, एक उत्सुक पाठक हैं और एक संवेदनशील वक्ता हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ तथा एम-एन-आई-टी-, जयपुर के पूर्व छात्र श्री कुलौठिया ने अपनी व्यावसायिक यात्र की शुरुआत आई-बी-एम- में अपने अत्यंत सफल कार्यकाल से की। एक दशक के उपरांत उन्होंने अपने मन की आवाज सुनकर वर्ष 2017 में एक उद्यमी के रूप में अपनी यात्र का आरंभ ‘मुस्कुरा दो प्रा-लि-’ नामक एक कंपनी के साथ किया जो कस्टमाइज्ड टी-शर्टस, अवार्ड तथा मार्केटिंग गिफ्रटस के व्यावसाय से जुड़ी थी। मुकेश एक उत्साही टोस्टमास्टर हैं जिन्होंने वर्ष 2016-17 में अपने जिले का नेतृत्व किया जिसने सभी मापदंडों पर रिकॉर्ड तोड़ते हुए विश्व में अपना शीर्ष स्थान बनाया। उनका दृढ़ विश्वास है कि इन कहानियों में जीवन को परिवर्तित करने की क्षमता है। कहानियों ने ही उनमें असली नेतृत्व कला का विकास किया तथा सफलता के पाठों को पढ़ाया जिनका प्रयोग वे अपने भाषणों में भी करते रहते हैं। दीपक शर्मा सेना के एक वीर सिपाही के सुपुत्र हैं। इस रूप में वे युद्ध की कहानियाँ, बलिदान तथा विजय की के किस्से सुन-सुनकर बड़े हुए हैं। अपनी व्यावसायिक यात्र के दौरान उन्होंने कई संस्थाओं में कार्य किया किंतु 39 वर्ष की आयु में उन्होंने एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी को छोड़ दिया और एक प्रशिक्षक तथा व्यावसायिक वक्ता बन गए। आज वे पूरे विश्व के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान वे टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल के जिले के विकास निदेशक भी रहे और उनकी मुख्य भूमिका में रहते क्लब ने विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनका विश्वास है कि सफलता एक ऐसा ताला है जो कई चाबियों से खुलता है। यह पुस्तक इन्हीं चाबियों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है।
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* क्या आप जानते हैं कि स्टेनलेस स्टील फैब्रीकेशन आज के युग का एक महत्वपूर्ण उद्योग है ? * क्या आप जानते हैं कि इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों की परेशानियाँ क्या है? * क्या कोई ऐसा म॔त्र है जो इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों को बिना किसी मार्केटिंग के लगातार काम मिलते रहने की गारंटी दे सके? * क्या कोई ऐसा फार्मूला है जो इस व्यापार में निरंतर प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सके ? ऐसे सभी सवालों के सटीक उत्तर प्रस्तुत करने वाली एक क्रांतिकारी पुस्तक! इस पुस्तक के लेखक "मनदीप गोयल" पिछले 26 वर्षो से भारत के स्टेनलेस स्टील और फैब्रीकेशन उद्योग से जुड़े एक अग्रणी उद्योगपति हैं। इस दौरान इन्हें देश भर के सैकड़ों कारोबारियों से मिलकर उनकी समस्याओं को करीब से समझने और उनके समाधान खोजने का अवसर मिला जिनको इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इनकी कम्पनी "Radha Raman Traders" आज पूरे भारत का एक जाना माना ब्रांड है। एक सफल उद्यमी होने के साथ-साथ ये एक कुशल वक्ता और मानववादी भी हैं।
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* क्या आप जानते हैं कि स्टेनलेस स्टील फैब्रीकेशन आज के युग का एक महत्वपूर्ण उद्योग है ? * क्या आप जानते हैं कि इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों की परेशानियाँ क्या है? * क्या कोई ऐसा म॔त्र है जो इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों को बिना किसी मार्केटिंग के लगातार काम मिलते रहने की गारंटी दे सके? * क्या कोई ऐसा फार्मूला है जो इस व्यापार में निरंतर प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सके ? ऐसे सभी सवालों के सटीक उत्तर प्रस्तुत करने वाली एक क्रांतिकारी पुस्तक! इस पुस्तक के लेखक मनदीप गोयल पिछले 26 वर्षो से भारत के स्टेनलेस स्टील और फैब्रीकेशन उद्योग से जुड़े एक अग्रणी उद्योगपति हैं। इस दौरान इन्हें देश भर के सैकड़ों कारोबारियों से मिलकर उनकी समस्याओं को करीब से समझने और उनके समाधान खोजने का अवसर मिला जिनको इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इनकी कम्पनी "Radha Raman Traders" आज पूरे भारत का एक जाना माना ब्रांड है। एक सफल उद्यमी होने के साथ-साथ ये एक कुशल वक्ता और मानववादी भी हैं।
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परिधानों के रिटेल व्यापारी कृपया ध्यान दें। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो महिलाओं के एथनिक परिधान के रिटेल व्यापार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए इस उद्योग के लीडर बनना चाहते हैं। इसमें अनुभव और गहन रिसर्च से निकले इनसाइट से युक्त टिप्स भी शामिल किए गए हैं। एक अवश्य पढ़ी जाने योग्य पुस्तक! अगर आप घटते हुए लाभों से चिंतित हैं और अपने व्यापार को बढ़ा नहीं पा रहे हैं तो आपके संतुष्ट और निष्ठावान ग्राहक आधार में वृद्धि करके आप के लाभ को दस गुणा बढ़ाने के लिए यह पुस्तक एक संपूर्ण व्यावहारिक गाइड का काम करेगी। परिधानों के रिटेल व्यापार के रणनीतिकार और विशेषज्ञ, नवीन एन- बानूड़ा, एम- एन- फैशन्स के निदेशक हैं जो भारतीय महिलाओं के एथनिक परिधानों के B2B क्षेत्र में भारत का नम्बर 1 ब्रांड है। अपने VFC फ्रेमवर्क के जरिए इन्होंने 5000 से अधिक रिटेल व्यापारियों के करोड़ों रुपए डेडस्टोक में बचाए हैं और करोड़ों रुपयों का लाभ अर्जित कराया है ताकि वे मार्केट के लीडर के रूप में स्थापित हो सकें।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं, न तेरी हैं, ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं। संजोकर रखी थी कोने में, मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं ,इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली , मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही। नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये, इसलिए ये मेहनत की है। नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को। पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर, ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।
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जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के बदले अच्छाई और बुराई के बदले बुराई मिलनी तय है। यही बात मोहब्बत करने वाले पर भी लागू होती है। यदि मोहब्बत दिल से की गई हो तो उसका सच सुकूनदायक होगा ही। इसके विपरीत छल-कपट भरी मोहब्बत का सच तो मन में कड़वाहट उत्पन्न करेगा ही। मोहब्बत चाहे धरती का आसमान से हो, धूप का किरणों से हो, भंवरे का फूल से हो या पुरुष का स्त्री से, हर एक को सुख-दुख की तरंगों को आत्मसात करना ही होता है। यह पुस्तक अनेक विचारों की मोहक सुगंध से पाठकों के मन को सराबोर करती है। हर पंक्तियाँ दिल के तारों को झंकृत करती हैं, दिल में जैसे खुशियों के बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं, प्यासा मन तृप्त हो उठता है। यही तो है 'मोहब्बत -ए- सच' पुस्तक में, जिसे आप पढ़ना चाहेंगे बार-बार, हर समय, हर परिस्थिति में और अपने मन को दे सकेंगे सुकून के स्वर्णिम पल।
वंदना गिरधर- जन्मः 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय। स्नातक की डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक कुशल गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए खुशहाल जीवन की प्राप्तिा हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।
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यह पुस्तक पाठकों की जिंदगी को बेहतर करने की गारंटी देता है। लेखक का दावा है कि अगर पाठक इस पुस्तक में दी हुई तथ्यों और निर्देशों का अक्षरशः पालन करने के बावजूद भी अपने जीवन में उल्लेखनीय बदलाव नहीं महसूस कर पाते हैं, तो इस स्थिति में इस पुस्तक की लागत मूल्य उन्हें वापस मिल जाएगी।
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आज पूरा विश्व इस बात से सहमत है कि मानव के मन और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में योग की विशेष भूमिका है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही अब प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के रूप में मनाया जाता है।लेखक ने इस पुस्तक में इस महत्वपूर्ण विषय की अवधारणाओं को अत्यंत सरल भाषा में जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पक्षों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ योग द्वारा सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह पुस्तक योग के जिज्ञासुओं के लिए एक वरदान साबित होगी। योग परंपरा में दीक्षित योगाचार्य श्री. गिरजा शंकर उपाध्याय योग की दुनिया में एक नया नाम हैं। ये एम डी एक्यू, मुख्य योग शिक्षक (पतंजलि योग समिति), योग प्रशिक्षक (Yoga Certification Board) तथा विशिष्ट योग एवं सनातन योग के साथ साथ एक्यूप्रेशर जैसी विधाओं के गहनतम ज्ञान से सुशोभित हैं। आज के तनाव से भरे जीवन में योग एक संजीवनी है। इसी से प्रेरित होकर लेखक ने इस पुस्तक में मानव जीवन के कल्याण के संकल्प के साथ योग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से समाज को और भी बहुत आशाएं हैं।
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Ayurveda Tips on concentration, focus, & memory power) is the perfect resource! This book features everything you need to improve your concentration, memory power, health, and peace of mind with yoga, and includes additional information Everything you Need To make Yoga an Integral Part of Your Health and Well-being (For Students & Everyone)
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डॉक्टर एस. एस. गोला ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष कोविद तथा ज्योतिष वाचस्पति हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनको दो बार सम्मानित किया जा चुका है। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे लगातार 9 से 10 घंटे की समाधि ले लेते थे।
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यह पुस्तक लगभग उन सारी समस्याओं पर विचार करती है जिनका आज के स्टेशनर्स सामना कर रहे हैं और साथ ही इन समस्याओं के समाधान भी प्रदान करती है। चाहे आपको बड़ी संख्या में वस्तुओं या चीजों को संभालना हो, या फिर व्यवस्याय सम्बन्धी लगभग सभी कार्य ( खरीद/बिक्री/संचालन ) हों, या फिर आपको जनशक्ति को ठीक से प्रशिक्षित करना मुश्किल लग रहा हो, या जगह कम होने के कारण आपको प्रोडक्ट्स को दिखाने ( Display ) में संघर्ष करना पड़ रहा हो, यह किताब आपके लिए है। इसके अलावा, यह पुस्तक उन सभी के लिए भी है जिन्हे अपने माल ( Inventory )को सँभालने में दिक्कत आ रही हो, माल/बिक्री का अनुपात भी बहुत अधिक चल रहा हो जिससे व्यवसाय को चलाने के लिए अधिक 'कैपिटल' की जरूरत पड़ रही हो और जिनका शुद्ध लाभ कठोर प्रतिस्पर्धा की वजह से प्राय : निचले स्तर पर आ रहा हो। अरुण अरोरा भारत की अग्रणी फाइल निर्माण कंपनी- World One के मैनेजिंग डायरेक्टर व CEO हैं। स्टेशनरी उद्योग के साथ उनकी यात्रा लगभग 3 दशक पहले शुरू हुई। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे अपने अंकल के दिल्ली-चावड़ी बाजार स्थित स्टेशनरी केंद्र में फाइल निर्माण के व्यवसाय में शामिल हो गए। वे इतनी सारी ' स्टेशनरी आइटम्स ' की विविधता और नए व सार्थक प्रोडक्ट्स बनाने की संभावना को देखकर मोहित हो गए थे। लेखक ने दुनिया भर के कई बड़े खुदरा विक्रेताओं व स्टेशनरी निर्माताओं के साथ काम किया है, जिनमें दुनिया के सबसे बड़े, खुदरा विक्रेता ' वालमार्ट ' भी शामिल हैं। वर्ष २०१३ में उन्हें वालमार्ट द्वारा ' ऑफिस सप्लाई ' की श्रेणी में ' बेस्ट पार्टनर अवार्ड ' भी प्रदान किया गया। आज वे अपने जीवन की हर सांस के साथ स्टेशनरी को जी रहे हैं और उनके रोम रोम में इस क्षेत्र में कुछ नया करने की धुन सवार है।
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किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता व श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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उन्नीसवीं सदी में इंग्लैंड के कुछ अंग्रेज उद्योगपति स्वतंत्र रूप से तथा मनमाने ढंग से भारतीय किसानों से नील की खेती अपनी शर्तों पर करवाते थे तथा उन्हें मामूली मेहनताना देकर नील उत्पादों को यूरोप एवं एशिया के बाजार में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाते थे। 1917 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए नील आंदोलन के बाद अंग्रेजों का नील उत्पाद से होने वाला मुनाफा काफी कम हो गया, जिसके कारण चम्पारण में बसे तकरीबन सभी अंग्रेज जमींदारों ने अपनी जमीन बेच दी और इंग्लैंड वापस चले गए। नील उत्पादन के काल में भारतीय समाज की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं औद्योगिक स्थिति एवं परिवेश का वर्णन इस पुस्तक में एक अंग्रेज रॉबर्ट परिवार के उत्थान-पतन एवं इंग्लैंड जाकर पुनः भारत वापसी की कहानी के माध्यम से किया गया है। जैक रोबट लंदन का एक अपराधी प्रवृत्ति का दबा विक्रता या तथा दया के दुरुपयोग से उसने कई लोगों की हत्या कर दी थी और उनके धन लूट लिए थे। पुस्तक के लेखक शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20.12.1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले का मच्छरगानों ग्राम में हुआ था। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इन्होंने हिंदी एवं अंग्रेजी में कई पुस्तकों की रचना की है। 'नालंदा से सोमनाथ तक', 'कुमारिल का आत्मदाह एवं झारखंड के 5000 वर्ष' इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
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'लव जिहाद ...एक चिडिया'-धर्म और राजनीति की जंजीरों में जकड़ी हुई एक प्रेम कथा है, जिसमें सोनिया और साहिल का जब सच्चाई से सामना होता है, तो वे दोनों अपने आपको एक ऐसे मझधार में फंसा पाते है, जहाँ से निकल पाना नामुमकिन है। दोनों को अपने प्यार के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। 'प्यार' सिर्फ दिल देखता है, उसे किसी भी धर्म और समाज से कुछ लेना-देना नहीं होता। मगर, अफसोस सिर्फ इस बात का है कि 'कुछ गुमराह लोग' - जिने न तो धर्म का, न समाज का और न ही प्यार का सही-सही अर्थ पता है, समाज में बहुत मामूली-सी संख्या में होते हुए भी नासर की तरह फैले हुए है, जिनकी वजह से सभी को शर्मिदा होना पड़ता है। लव जिहाद को अलग ही अर्थों में बयान करती - 'सोनिया और साहिल' के सच्चे प्यार की यह कहानी - जो एक ओर तो दो प्रेमियों की विवशताओं को बयान करती है, वहीं दूसरी ओर समाज की दकियानूसी सोच पर चोट भी करती है। यह कहानी अपने अंत में आपको इसके भयावह परिणामों और कारणों पर सोचने के लिए विवश कर देगी। राम 'पुजारी' • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में सीनियर मैनेजर एवं कन्सल्टेंट के पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षका पुरस्कार प्राप्ति- इनके उपन्यास 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' के लिए। राजधानी रतन 2016 से पुरस्कृत किया गया है।
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यह पुस्तक उन सभी लिफ्ट कंपनियों के लिए है जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का निश्चय किया, या यूँ कहें कि अपना संपूर्ण जीवन लिफ्ट के लिए समर्पित कर दिया । यह पुस्तक कितना अधिक तथ्यपरक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि १०० से भी अधिक लिफ्ट कंपनियों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह पुस्तक बनाई गई है। इसमें ऐसे बहुत सारे मिथकों कि चर्चा की गयी है जो आप जैसे लिफ्ट कंपनियों के विकास को रोकते हैं। निःसंदेह प्रस्तुत पुस्तक सभी लिफ्ट उद्यमियों को अपने दायरे का विस्तार करने और एक विशिष्ट पहचान बनाने में आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी साबित होगा। हर्ष ने अपने करियर कि शुरुआत ही लिफ्ट कंपनी से की थी । ये विभिन्न लिफ्ट निर्माताओं को यांत्रिक भागों (mechanical parts) की आपूर्ति किया करते थे । वह दौर इम्पोर्टेड सामानों का था । अधिकांश लिफ्ट बाजारों में आयातित सामानों का ही बोलबाला था। घरेलू बाजार में सोर्सिंग की समस्या को समझने के लिए लेखक ने एलीवेटर मैकेनिकल डिजाइन कंसल्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने जल्द ही लिफ्ट निर्माता की जरूरत के हिसाब से किट तैयार करने में महारत हासिल कर ली जिससे भारत में ही सोर्सिंग कि प्रक्रिया शुरू हो सकी और इस तरह से लिफ्ट निर्माताओं को बाहर से उत्पादों को इम्पोर्ट करने की समस्या से निजात मिली । लगभग सारी बड़ी लिफ्ट निर्माता कंपनियों ने विदेशों से सिर्फ कच्चा माल आयात करना शुरू किया और फिर उनसे उच्च गुणवत्ता वाले अनुकूलित बाजार उत्पादों का निर्माण शुरू किया । इस प्रकार से हर्ष ने लिफ्ट निर्माता कंपनियों के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया ।
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यह पुस्तक उन सभी लिफ्ट कंपनियों के लिए है जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का निश्चय किया, या यूँ कहें कि अपना संपूर्ण जीवन लिफ्ट के लिए समर्पित कर दिया । यह पुस्तक कितना अधिक तथ्यपरक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि १०० से भी अधिक लिफ्ट कंपनियों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह पुस्तक बनाई गई है। इसमें ऐसे बहुत सारे मिथकों कि चर्चा की गयी है जो आप जैसे लिफ्ट कंपनियों के विकास को रोकते हैं। निःसंदेह प्रस्तुत पुस्तक सभी लिफ्ट उद्यमियों को अपने दायरे का विस्तार करने और एक विशिष्ट पहचान बनाने में आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी साबित होगा।
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प्रस्तुत पुस्तक ‘वृक्ष लगाएँः ग्रहों को अपने अनुकूल बनाएँ’ में इन तथ्यों का विस्तृत एवं स्पष्ट विवरण दिया गया है। यह पुस्तक आपको बताएगी कि अपनी राशि का वृक्ष लगाकर आप किस प्रकार सुख-समृद्धि एवं अलौकिक आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस पुस्तक का अध्ययन करके आप स्वयं ही जान सकते हैं कि कौन-सा ग्रह आपके अनुकूल है, और कौन-सा ग्रह नहीं तथा प्रतिकूल ग्रह को केसे शांत किया जाए। दुनिया में ग्रीनमैन के नाम से जाने जाने वाले ख्यातिप्राप्त पर्यावरणविद श्री विजयपाल बघेल इस पुस्तक के लेखक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन वृक्ष सम्पदा के लिए समर्पित किया हुआ है। पेड़ के आध्यात्मिक, औषधीय, पर्यावरणीय, सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व की पौराणिक मान्यताओं को पुनःस्थापित करने के मिशन का संचालन असंख्य पर्यावरण प्रेमियों को जोड़कर कर रहे हैं। सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र पाने वाले श्री बघेल इस युग में ‘हरित ऋषि’ की भूमिका निभा रहे हैं। पेड़ों के प्रति अगाध आत्मीय संबंध रखने वाले ये लेखक वृक्षों के आध्यात्मिक महत्त्व को विज्ञान के साथ जोड़कर अपनी अनुभवी लेखनी का प्रयोग लोक कल्याण के लिए साहित्य लेखन द्वारा भरपूर कर रहे हैं। इस पुस्तक के सहयोगी लेखक श्री दिनेश वर्मा जाने-माने लेखक, समर्पित समाजसेवी, अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले एवं मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे हमेशा इस दिशा में प्रयत्नशील रहते हैं कि समाज में रहने वाले सभी व्यक्ति, स्वस्थ, शांत एवं प्रसन्नतापूर्ण जीवन व्यतीत करें। प्रस्तुत पुस्तक भी इसी दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों का एक भाग है। इस पुस्तक के एक अन्य सहयोगी लेखक श्री विनय कंसल ‘पर्यावरण श्री (मानद उपाधि)’ एवं कई अन्य पुरस्कारों से पुरस्कृत तथा सुविख्यात पर्यावरणविद् हैं। आज धरती का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी कारण से त्रस्त, परेशान तथा तनावग्रस्त है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मनुष्य पूजा-पाठ, ज्योतिष, ग्रह-शांति आदि का सहारा लेता है। क्योंकि वनस्पति सहित सम्पूर्ण प्राणी जगत एवं ग्रहों सहित समस्त सौर-परिवार प्रकृति के ही भाग हैं, अतः वृक्षों से तथा ग्रहों से हमारा अटूट रिश्ता है।
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हमारे तीर्थस्थल एवं पौराणिक देवी-देवताओं की मान्यताएँ इस देश की सांस्कृतिक धरोहर एवं समृद्ध परंपराओं की परिचायक हैं। 'शक्तिपीठ' हमारी इन्हीं परंपराओं एवं मान्यताओं का अभिन्न अंग हैं। मन की शांति एवं शक्ति प्राप्त करने के सिद्ध स्थल हैं-'शक्तिपीठ'। शक्तिपीठ वे पवित्र स्थल हैं जो त्रिदेवियों- महासरस्वती, महालक्ष्मी एवं महाकाली की सम्मिलित शक्ति अर्थात् देवी शक्ति (देवी सती का दिव्य स्वरूप) के अधिष्ठान के रूप में जाने जाते हैं। वास्तव में चमत्कारिक माहात्म्य से परिपूर्ण शक्तिपीठ देवी शक्ति के परम-प्रिय निवास-स्थल हैं। प्रारंभ से ही इन स्थलों की संख्या और भौगोलिक स्थिति के बारे में बहुत सारे मत-मतांतर हैं, जो इनकी गूढ़ता के ही परिचायक हैं, तथापि इनकी सिद्धता के बारे में किसी को भी कोई संदेह नहीं है। मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध इन शक्तिपीठ स्थलों की संख्या विभिन्न स्रोतों, सूत्रों एवं लोगों द्वारा 108, 64, 52 और 51 बताई जाती है, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में महापीठपुराण के अनुसार कुल 52 शक्तिपीठों के बारे में शोधात्मक जानकारी धार्मिक पर्यटन की भावना के अनुरूप दी गई है, जिसका एकमात्र लक्ष्य लोगों को इन स्थलों के बारे में बताना है, न कि अंतिम मत प्रदान करना। गीतकार, स्क्रिप्टराइटर एवं 'शक्तिपीठ' पुस्तक के लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से पर्यटन में एम0बी0ए0 किया। मैनेजमेंट के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से मास-कम्युनिकेशन में भी मास्टर्स की उपाधि प्राप्त की है। पूर्व में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में देश-विदेश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में बतौर कंटेंट राइटर 7 वर्षों से भी अधिक समय तक कार्यरत रहे श्री त्रिपाठी जी वर्तमान में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में ही 2 विश्वप्रसिद्ध | चंद्रेश विमला त्रिपाठी शैक्षणिक संस्थानों (कानपुर-मुंबई) द्वारा निर्मित हिंदी की पहली ब्लॉगिंग एवं सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट में कंटेट राइटर के पद पर नियुक्त हैं। श्री चंद्रेश जी एक सिद्ध-हस्त लेखक हैं। इनके द्वारा पर्यटन पर लिखी गई एक अन्य पुस्तक मैनेजिंग सेल्स एंड प्रमोशन इन टूरिज्म (एम0 टी0 एम07) विश्वविद्यालयीय छात्रों में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुकी है। माता-पिता में ईश्वर का स्वरूप देखने वाले श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी की विचारधारा आधुनिकता के उस खोखलेपन पर तीखा प्रहार करती है, जिसमें वृद्धावस्था में संतान होते हुए भी असहाय की भाँति माता-पिता को वृद्धाश्रमों की शरण लेनी पड़ती है। आज के आधुनिक समाज को श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी जैसे प्रेरक एवं मार्गदर्शक लेखकों की नितांत आवश्यकता है।
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Safalta ke vyavharik aayam An impressive personality is the key to success. We bring for you in this book some of the essential changes that you must inculcate in your personality to be successful in life. Some real examples have been quoted in the book from the life of great people like Abraham Lincoln. Written by an eminent personality counselor Sanjeev Sharma, the book talks about many traits that influence our personality. The book highlights the impact of attributes like expression, inspiration, and so on. The book is must read for everyone who wants to be successful in life and improve their personality. Written in simple Hindi, this book is easy to understand. Read it till its very last page, implement the thoughts presented here and experience the change in your life.
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One Rank One Pension, या समान पद समान पेंशन पाने के लिए लोगों ने संघर्ष किया। वह मिल भी गई है पर लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। आज भी लोग इसमें सुधार के लिए रैलियां कर रहे हैं। जस्टिस रेड्डी की समिति को इसमें कमियां दूर करने के लिए बनाया गया था, पर उसकी रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह मुद्दा आज भी खत्म नहीं हुआ है। लेखक ने यह महसूस किया कि लोगों में इसके बारे में जानकारी का अभाव है। अतः लेखक ने इस पुस्तक में पहली बार 'समान पद समान पेंशन' पर निष्पक्ष टिप्पणी दी है। उन्होंने इस विषय पर एक ऐसी संदर्भ पुस्तक बनाई है जिससे लोगों को यह पता चल सके कि आखिर विसंगति कहाँ व क्या है।
श्री प्रवीण शर्मा का जन्म व शिक्षा, दिल्ली में हुई। 1988 में इन्होंने भारतीय वायु सेना में सेवा शुरू की। वहाँ वायुयान में तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला। सेवा के दौरान वायुयान में भारत के करीब हर क्षेत्र में जाने का अनुभव मिला। भारतीय वायु सेना में सेवा के दौरान थल सेना व नौ सेना के विभिन्न स्थलों व लोगों से मिलने का भी अनुभव प्राप्त हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की तथा बाद में एम.ए. व एम. फिल. (राजनीति शास्त्र) की उपाधि पाई। ये भारतीय वायु सेना में सार्जेंट (वरिष्ठ नोन कमीशन अधिकारी) के पद पर कार्यरत थे तथा 20 वर्ष की सेवा के पश्चात् वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में भारत सरकार के उपक्रम बी. एच. ई. एल., दिल्ली में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।
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यह पुस्तक खास आपके लिए लिखी गई है जिसे पढ़कर आप अपने लिए स्वयं तय कर सकते हैं कि गेट, ग्रिल, रेलिंग आदि बनवाने के लिए कौन सा मैटेरियल सही है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आपको शीशे की तरह साफ़ हो जाएगा कि आप अपने घर, फैक्ट्री, ऑफिस साइट के लिए बाजार में उपलब्ध इतने सारे विकल्पों में से क्या, कैसे और किसे चुनें। प्रस्तुत पुस्तक आपको उन तमाम तरह की जानकारियाँ प्रदान करेगा जिसे जानना आपके लिए आवश्यक है। इन जानकारियों के बदौलत आप सही और उचित निर्णय ले पाएंगे। इस पुस्तक को युगल जोड़ी श्री मनदीप गोयल और श्रीमती शालू गोयल ने लिखा है। जहाँ मनदीप गोयल को लोग कम्युनिकेशन का भीष्म पितामह कहते हैं, वहीं श्रीमती शालू गोयल जी एक CA के रूप में प्राप्त अनुभव और तीस सालों के, बिज़नेस की विरासत के दम पर स्टेन लेस स्टील के अपने इस बिज़नेस को बुलंदियों पर ले जाने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं। निश्चय ही यह पुस्तक पाठकों के लिए एक आवश्यक मार्गदर्शक साबित होगी।
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आज विज्ञान का युग है। पश्चिमी जगत विज्ञान की भाषा ही समझता है, अतः भारतीय आस्थाओं और मूल्यों को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर खरा साबित करना समय की मांग है। आज इन मूल्यों की न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व की शांति के लिए, पर्यावरण संरक्षण, स्वयं मानव व ग्रह पृथ्वी के संरक्षण के लिए आवश्यकता है। युवा भारत को इन मूल्यों को विश्व के सामने रखना हैं, इनके वैज्ञानिक आधार के प्रति लोगों को सजग करना है। आज युवाओं में भी आत्मविश्वास और देशाभिमान जगाना है ताकि अपनी क्षमता के अनुरूप भारत विश्व गुरु के रूप में उभर सके। इसी उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है।
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हीलिंग टच: समय की पुकार यह अद्भुत पुस्तक आप सभी के अंतर्मन में समायी जबर्दस्त शक्ति को न केवल उजागर करने में सहायक है, बल्कि उसे प्राप्त करने की भी चाबी साबित होगी। यह उत्कृष्ट पुस्तक दुनियाभर के लाखों-करोड़ों लोगों को अंतर्मन की अविश्वसनीय शक्ति के उपयोग के बारे में न केवल जानकारी उपलब्ध कराती है, बल्कि लोगों को इस शक्ति का उपयोग अपने हित में करने की शिक्षा भी प्रदान करती है। डॉ. पुनीत मेहता ने इस पुस्तक में वैज्ञानिक शोधों एवं आध्यात्मिक ज्ञान के साथ यह स्पष्ट किया है कि आपके अंतर्मन के विचार ही आपके प्रत्येक कार्य को प्रभावित करते हैं। सच्ची घटनाओं के संकलन के साथ बनाई गई यह पुस्तक आपको जीवन में सफलता पाने के लिए मन को कैसे चमत्कारिक तरीके से उपयोग करें, इसके लिए कई रहस्यों को न केवल बताएगी, बल्कि उनका उपयोग करना भी सिखाती है। इस पुस्तक के माध्यम से आप अपने अंतर्मन की शक्ति के द्वारा जीवन की विभिन्न समस्याओं से अद्भुत तरीके से छुटकारा पा सकते हैं, जैसे-- - स्वास्थ्य में सुधार करने के साथ ही विभिन्न शारीरिक रोगों को ठीक कर सकते हैं। - स्वयं के सामाजिक स्तर का दायरा न केवल बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने संबंधियों, सहकर्मियों और मित्रों के साथ मधुर संबंध भी कायम कर सकते हैं। - संसार में व्याप्त बुराइयों के साथ ही स्वयं में व्याप्त भय को भी अलविदा कह सकते हैं। - सदा यौवन से परिपूर्ण रहने का भी रहस्य जान सकते हैं। यह पुस्तक आपको मानसिक शांति की ओर ले जाने वाली चमत्कारिक शक्ति के साथ आपके जीवन को सफल बना देगी। हीलिंग टच के क्षेत्र में डॉ. पुनीत मेहता एक ख्याति प्राप्त नाम है। आपने सन् 2004 में एक्यूपंचर और मैग्नेट थेरेपी में डिप्लोमा किया और चिकित्सा जगत में एक नया अध्याय रचा, जिसे हीलिंग टच (स्पर्श चिकित्सा) नाम दिया। आपने विश्व के देशों सिंगापुर, मलेशिया, दुबई, मस्कट, बहरीन, नेपाल सहित अपने देश भारत में इस चिकित्सा क्षेत्र में 2500 सेमिनार आयोजित किए हैं। संगीत की ख्याति प्राप्त कंपनी टी-सीरिज की ओर से आपको वॉयस ऑफ हिमाचल अवार्ड प्राप्त हो चुका है। आपने संगीत साधना से स्वयं को स्वस्थ्य बनाने और मात्र हाथों के स्पर्श (हीलिंग टच) से रोगों को नष्ट करने का जो कार्य शुरू किया है उससे लगभग 3000 असाध्य रोगियों का स्वस्थ होना प्रमाणित हो चुका है। चिकित्सा की इस यात्रा में आप निरंतर गतिशील हैं।
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मानवीय संबंधों में अहंकार के वर्चस्व पर कुठाराघात का एक प्रयास है डॉ. मुरारीलाल त्यागी की यह कृति--- हुकूमत-ए-सफलता का रहस्य - आइडिया कैन चेंज योर एचीवमेंट आप जीवन में भरपूर समृद्धि और आनंद प्राप्त करने के लिए प्रमुखता से अधिकारी हैं और आप इसे सहजता से प्राप्त भी कर सकते हैं। एक अत्यंत लंबे समय से डॉ. मुरारीलाल त्यागी जी ने सामाजिक, आध्यात्मिक, प्रेरणात्मक, व्यावसायिक तथा समय-समय पर समाज के विभिन्न मुद्दों को लेकर अनेक कृतियों का सृजन करने से पहले उनकी अनंत उपलब्धियों का गहनता से अध्ययन किया है। डॉ. मुरारीलाल त्यागी ने इस संसार के विभिन्न मनीषियों, विद्वत्जनों, संतों-महंतों और महान हस्तियों, दार्शनिकों के जीवन की प्रेरणात्मक बातों को गहराई से जाना है। इस प्रेरणादायी एवं असाधारण कृति में उनके इसी ज्ञान की जानकारी विस्तृत रूप में झलकती है। यह कृति हमें सिखाती है--- - तनावग्रस्तता से मुक्ति के अद्भुत उपाय। - तन-मन और धन के साथ आत्मिक शांति पाने का सहज और अचूक दिव्य ज्ञान। - समस्याओं, निराशा, चिंता, आलोचना और व्याधियों से छूट कर मन की शक्ति एवं खुशियाँ पाने के सरल सूत्र। - संबंधों में कड़वाहट को हटाने और समृद्धिदायक उम्दा उपाय। - चिंता-तनाव से मुक्ति दिलाने वाले सिद्ध उपायों का भंडार। - स्वस्थता एवं ऊर्जा का संग्रह करने के कारगर उपाय। - दीर्घायु प्राप्ति का रहस्य। डॉ.मुरारीलाल त्यागी की कृतियाँ आज सबसे अधिक लोकप्रिय और सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली कृतियों में शामिल हैं। उनकी बहुत सारी पुस्तकों (बैरिस्टर, ऊँची दीवार, म्लानमना, विदाई, बीमार कौन, दुःखान्त, संकल्पजयी, एक कदम और, वह कोई और, नया डायरेक्टर, मन उदास क्यों, बदलती लकीरें, हीरे मोती (संपादित), नई तालीम (नाटक), इंसानियत का पाठ (बाल साहित्य), प्यारे बच्चों (नैतिक शिक्षा)) की हजारों प्रतियाँ बिक चुकी हैं। डॉ. मुरारीलाल त्यागी समाज की भी प्रसिद्ध हस्ती हैं, जो बहुत ही सरल भाषा में विभिन्न सामाजिक, व्यावसायिक एवं आध्यात्मिक मुद्दों को अपनी लेखनी के द्वारा समय-समय पर प्रभावशाली तरीके से उठाते रहे हैं और लोगों को वास्तविकता का दर्शन कराने के साथ दिव्य ज्ञान उपलब्ध कराते रहे हैं। सत्प्रेरणा से परिपूर्ण एवं जीवन को आनंदमय बनाने का सतत् प्रवाह प्राप्त करने के लिए हुकूमत-ए-सफलता का रहस्य - आइडिया कैन चेंज योर एचीवमेंट का अनुसरण करें।
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業界のリーダーになりたいダイカストメーカーにとって、「これまで考えられなかった」戦略の転換を記した本書は有益です。 世界的なダイカスト企業のオーナーや最高責任者、そのマネージャーやエンジニアにとって、絶対に必読の手引書です。 プラスチック成形や金属鋳造など他のビジネス企業も、本書から大きな恩恵を受けるでしょう。 Raga Group の創設者であるRahat A Bhatia は、複数の特許を保有しておりダイカストおよびエンジニアリング部門で 29 年以上の業界経験を持っています。 アジアNo.1のポロシティ管理専門家であり、ダイカスト分野で最も求められている考え方のリーダーであり、またソリューション提供の1人である彼は、東南アジア、ヨーロッパ、アメリカを含む17カ国の350以上のダイカスト顧客の鋳造不良削減と金型寿命の改善を行っています。