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One night in the summer, at 2 am and I was giggling your name. Three words on the tip of my tongue. I really thought you were my four-ever and more. It was your birthday the 5th day of June. Six pages in my diary that day which I wrote about you. 777...I thought of it as a sign. I dreamed of us in a boat in the lake playing cards. you pulled out an 8-numbered card and my cards were all jokers. For a while, I was on cloud 9. I wanted to yell out that I loved you 10,000 times. One day in the winter it all changed. 2 am was full of crying and the three words no longer sounded true. It turned from four-ever to never-ever, we couldn't proceed for five minutes without bickering. The six pages made my heart crumple and it only took seven days for everything to change. Eight unread texts begging you to stay. I fell from cloud 9 and drowned in the very same lake we once played cards in.
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Frozen Moments is a soulful poetry collection that encapsulates universal human emotions like desire, loss, longing, pain and pleasure in a manner that goes straight to the heart. An experiential read that will wrap you in its warm embrace and leave you wanting more… Anju Ghoriwala is an artist extraordinaire who expresses herself through various mediums such as theater, films, and poetry. A firm believer in living life to the fullest and never letting loss or failure bog her down, she aspires to find a space in every heart through her poetry as she shares the radiance of her soul through her words.
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मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं, न तेरी हैं, ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं। संजोकर रखी थी कोने में, मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं ,इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली , मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही। नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये, इसलिए ये मेहनत की है। नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को। पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर, ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।
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Inspired by life, this collection of Poetry gives you a MILLION Reasons to Smile. Here’s a Gem of a Book for all Poetry Lovers! A companion that you will not want to let go of ever! This collection of poems is as varied as life itself, smoothly navigating a range of emotions from romance to reality. It expresses everything you have ever felt but did not find the words to express. Lucille Clifton said ‘’Poetry is a matter of LIFE, not just a matter of language.’’ This book lives up to this quote. All those conversations and Q & A sessions you have had with God and yourself. All those hours spent in front of the mirror, every feeling, every nuance is captured brilliantly in crystal clear language. Emotions are woven beautifully into words, and the words overflow with healing. A summary of life, this book expresses all the desires, emotions, fears and disappointments that human beings go through and yet manages to leave you smiling. This Book is Unique as:
- It etches the journey from dreams to reality in a poetic manner with a modern spin.
- It shares emotions that are deeply personal yet relatable and universal.
- Though written in lyrical and poetic language, the book is easy to understand and shoots straight at the heart
- Freely expresses the entire range of emotions, including those often neglected, such as frustration, confusion, etc.
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‘Life Through A Lens ‘ is Khushi Jain’s book . The book unravels Khushi ‘s evolution as a poetess . Khushi has dealt with everyday topics which touch her heart and soul . Her style of writing is simple , lyrical and mindful of metre . Her perspective is fresh , relatable and keeps the reader engaged. Khushi is a vivacious and social 15 year old girl , born and brought up in Delhi . She has friends in all age groups . She is currently studying in Springdales School , Dhaula Kuan , New Delhi .She is a literature lover and reads a lot . By the age of 11 her love for reading translated to writing especially poetry . She wants to be an orator par excellence . She has deep interest in computer and technology and aspires to be an entrepreneur when she grows up .
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This book is a collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women who they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम'। The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो'। Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems by Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' ' This book is the collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women where they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम'। The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो'। Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems of Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' 'सखी,' and 'मौसम' have found a place in this collection. As can be seen from the titles of the poems themselves, these poems contain these young women's perceptions about various facets and life situations that have come from the core of their hearts. Looking at how the feelings are expressed so beautifully in these poems, we can expect many more writing contributions from them in the days to come. This book is a must-read for all those who want to relish contemporary young women's feelings.
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बच्चे हमारी परंपराओं के खैवनहार और देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक है कि उनके अंदर अच्छी आदतें पनपें। वे समय और शिक्षा का महत्त्व समझें, अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करें, अपने माता-पिता से कोई भी बात न छुपाएँ, स्वस्थ खान-पान और जीवन शैली अपनाएँ, प्रकृति से प्रेम करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुप्रयोग करने से बचें, अपने घर के काम में दिलचस्पी लें, जितना संभव हो हाथ भी बटाएँ, सड़क पार करते समय, अनजान व्यक्ति द्वारा घंटी बजाने पर घर का दरवाजा खोलते समय और ऊपर मंजिल पर खेलते समय भरपूर सावधानी बरतें। प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से बच्चों के अंदर ऊपर वर्णित सद्गुण/जानकारियों को भरने का प्रयास किया गया है।
अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए भी देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन-कार्य में सक्रिय बने रहे। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इन्हें अपनी बातों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में महारत हासिल है। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें बच्चों को उपयोगी और आवश्यक जानकारी देने वाली पुस्तक "गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा" लिखने के लिए प्रेरित किया है।
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।
काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।
उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है। -
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जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।
आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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मन की बात जब भावनाओं की चाशनी में सराबोर होकर शब्दों के रूप में लेखनी के माध्यम से कागज पर अंकित होती है तब कविता का जन्म होता है। इस संदर्भ में एक सच्चाई यह है कि हर कविता कुछ न कुछ अच्छी बात ही कहती है, जिसमें समाहित भोगे हुए पलों का बिंब पाठक के मन को सुकून देता है, कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। यूँ तो कविताएँ कवि के मन की उपज ही होती हैं परंतु अक्सर यह पाठकों के जीवन से जुड़ी किसी न किसी याद को ताजा करती हैं। कवि मन के विचारों की अभिव्यक्ति जब पाठकों के मन को द्रवित करते हुए उनको कुछ सोचने-विचारने को विवश कर दे तब कहा जा सकता है कि काव्य सृजन सफलता की कसौटी पर खरा उतरा है।
वन्दना गिरधर- जन्म: 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व इंगलिश भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।
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"अंतर्मन का दर्पण" श्रीमती आरती मित्तल की नवीनतम काव्य रचनाओं का संग्रह है जिसमें उन्होंने अपने अंतर्मन के विविध मनोभावों को निश्छल अभिव्यक्ति प्रदान की है। इन कविताओं में कवयित्री महोदया ने समय-समय पर अनुभूत मनोभावों को सरल शब्दों में पिरोकर हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये अभिव्यक्तियाँ नारी के उस कोमल मन से उपजी हैं जिनसे गुजरे बिना किसी भी भारतीय नारी की जीवन यात्रा पूर्ण नहीं होती। इन कविताओं में जहाँ बचपन में भाइयों के प्यार और दुलार की यादों को समेटा गया है तो वहीं बड़े होने पर दिल में किसी के आ बसने की आहट तथा उससे जडे सपनों को वाणी प्रदान की गई है। फिर किसी के साथ उम्र भर का रिश्ता जड़ने का क्षण, बाबुल के घर से विदाई की घड़ियाँ तथा पालने में नए मेहमान के आगमन की खुशी जैसी विविध नारी सहज भावनाओं को कवयित्री ने अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति प्रदान की है। इसके साथ ही उनकी कलम ईश्वर के अस्तित्व जैसे रहस्यवादी विषय की ओर भी बढ़ी है। भाषा और भावनाओं की सरलता का आलम यह है कि पाठक उनसे पूर्ण तल्लीनता स्थापित कर कह उठता है कि ये तो मेरे ही मन के भाव हैं। निश्चय ही यह काव्य संग्रह आज के यांत्रिक जीवन में तपती गर्मी में बारिश की फुहारों का सा अहसास प्रदान करेगा। आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा-मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हैं। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हई तथा जीवन को प्रभ की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पया है। माता-पित से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन-साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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आचार्य अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हए भी आचार्य देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन कार्य में सक्रिय बने रहे तथा पिछले 15 वर्षों से प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे-ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र व फेंग-शुई आदि के शोध कार्य में संलग्न रहे एवं इसी शोध कार्य पर लिखी एक पुस्तक "ज्योतिषः प्रेम-संबंध एवं वैवाहिक जीवन" के नाम से पाठकों के बीच आने के लिए तैयार है। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें जिंदगी के विभिन्न रंगों को अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया है। सतपाल "शिवोहम" ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. करने के पश्चात् एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और पिछले 12 वर्षों से वकालत के पेशे में कार्यरत हैं। ये वकालत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सामाजिक कार्यों में सतत् योगदान की वजह से ही ये लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कई वर्षों से ये लेखन कार्य में भी सक्रिय हैं। लोगों ने इनकी कविताओं को काफी सराहा है। इन्होंने भी अपने पाठकों के स्नेह को कविताओं में बाँधकर अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।