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    Prisms of Life

    Original price was: ₹350.00.Current price is: ₹315.00.
    An autobiographical saga of loneliness, abandonment, courage, determination ....... Those traumatized teenage years on the sudden demise of one of the parents & how the other struggles due to the myths, pressures & cultures of the society to fulfill her child’s dream & her promise. Achievement of a career-oriented goal in life & quest to the next phase of life ahead ..... I thank GOD ALMIGHTY for all that I have. I have made peace with my past. I am a practicing Obstetrician & Gynaecologist, absolutely content in my field. I am an active writer, thanks to my guiding force (You know who YOU are) on Facebook & Instagram @pearl_salutaris
  • इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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    मन की बात जब भावनाओं की चाशनी में सराबोर होकर शब्दों के रूप में लेखनी के माध्यम से कागज पर अंकित होती है तब कविता का जन्म होता है। इस संदर्भ में एक सच्चाई यह है कि हर कविता कुछ न कुछ अच्छी बात ही कहती है, जिसमें समाहित भोगे हुए पलों का बिंब पाठक के मन को सुकून देता है, कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। यूँ तो कविताएँ कवि के मन की उपज ही होती हैं परंतु अक्सर यह पाठकों के जीवन से जुड़ी किसी न किसी याद को ताजा करती हैं। कवि मन के विचारों की अभिव्यक्ति जब पाठकों के मन को द्रवित करते हुए उनको कुछ सोचने-विचारने को विवश कर दे तब कहा जा सकता है कि काव्य सृजन सफलता की कसौटी पर खरा उतरा है।

    वन्दना गिरधर- जन्म: 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व इंगलिश भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।

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    यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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    जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के बदले अच्छाई और बुराई के बदले बुराई मिलनी तय है। यही बात मोहब्बत करने वाले पर भी लागू होती है। यदि मोहब्बत दिल से की गई हो तो उसका सच सुकूनदायक होगा ही। इसके विपरीत छल-कपट भरी मोहब्बत का सच तो मन में कड़वाहट उत्पन्न करेगा ही। मोहब्बत चाहे धरती का आसमान से हो, धूप का किरणों से हो, भंवरे का फूल से हो या पुरुष का स्त्री से, हर एक को सुख-दुख की तरंगों को आत्मसात करना ही होता है। यह पुस्तक अनेक विचारों की मोहक सुगंध से पाठकों के मन को सराबोर करती है। हर पंक्तियाँ दिल के तारों को झंकृत करती हैं, दिल में जैसे खुशियों के बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं, प्यासा मन तृप्त हो उठता है। यही तो है 'मोहब्बत -ए- सच' पुस्तक में, जिसे आप पढ़ना चाहेंगे बार-बार, हर समय, हर परिस्थिति में और अपने मन को दे सकेंगे सुकून के स्वर्णिम पल।

    वंदना गिरधर- जन्मः 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय। स्नातक की डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक कुशल गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए खुशहाल जीवन की प्राप्तिा हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।

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    जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।

    आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।

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    उपन्यासः 'पतंग संग डोर' की कहानी दो युवा दिलों के उड़ती पतंगों के समूह के माध्यम से हुये अटूट मिलन की बड़ी ही अनूठी एवं मार्मिक अद्भुत कहानी है मानो सात जन्मों जैसा मिलन। इसकी शुरूआत आपके दिल में प्यार के अंकुर खिला देगी और कहानी का अन्त आपकी आँखें भर देगा। मुझे उम्मीद है पाठक 'पतंग संग डोर' को बार-बार पढ़ना चाहेगा।

    पुस्तक के लेखक ओमप्रकाश चौहान का जन्म 10 जनवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम (स्व.) श्री रेवती लाल चौहान एवं माता का नाम (स्व.) श्रीमती भगवती देवी है। इन्होंने सीनियर सुपरिटेंडेंट, अंतर्राष्ट्रीय विमान प्राधिकरण, भारत सरकार, आई.जी.आई., दिल्ली के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया। साहित्य-सृजन, अभिनय एवं नाटक निर्देशन में इनकी गहन रुचि रही है। नाटक 'मैली हवेली' का इन्होंने दो बार (1981 एवं 1982) मंचन किया। सन् 1982 से 1995 तक ये नेशनल एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की हिन्दी पत्रिका 'चेतना' की संपादकीय परिषद के सदस्य रहे। उस पत्रिका में इनकी कई लघु कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं। सन् 1982 में लेखक ने रिलिना फिल्म्स की फिल्म 'बाँहों के घेरे में' के लिए स्क्रीन प्ले एवं डायलॉग लिखे। सन् 1983-84 में साहित्य कला परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाटक लेखन प्रतियोगिता में भी इनकी भागीदारी रही। साथ ही, अन्य दो नाटक 'मैला आदमी' एवं कॉप उठा संसार' भी सर्वत्र चर्चित व प्रशंसित हुए।

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    The De-barristerized Savarkar: A Tribute to the Poetic Patriotism of Savarkar

    Original price was: ₹210.00.Current price is: ₹189.00.
    The Great Savarkar: National Pariah, International Messiah in his quest for freeing Bharat Mata from bondage, Savarkar's first confrontation was with the colonials and second with the Indian National Congress for territorial integrity. He internationalized the freedom struggle by dragging British Empire in the dock of the International Court of Justice. Savarkar's deeds had created universal repercussions and global resonance, his love of Bharat Mata was proverbial and his patriotism was 360 degree pure and outstanding. The Brits had to testimonialize his patriotic zeal by an inscription of blue plaque "Vinayak Damodar Savarkar (1883-1966), Indian Patriot and Philosopher lived here". Savarkar is credited as the progenitor of the science and art of martyrology for moralizing the martyrs and their martyrdom. Remembering his poetic patriotism: Dr. Shyam Singh Tanwar, a retired octogenarian associate professor of government colleges of Rajasthan, double M.A. (History and English) with a Ph.D. from Rajasthan University under illustrious historian Dr. A.L. Srivastava of Agra. Dr. Tanwar is an enlightened scholar and has enriched and augmented his knowledge in the two summer institutes in English for college lecturers held one at Mysore (1966) and the other at Jaipur (1972), organized jointly by UGC and the British Council. Mrs. Mradulata, after doing her M.A. in Hindi from Jodhpur University (now Jai Narain Vyas University) has been associated with the research work of studying historical documents and manuscripts and has earned a social reputation of being a know-all of the analects and anecdotes related to History of India in general and Rajasthan in particular. It was owing to her historical insight and consciousness that bureaucrat-turned historian Shri Mangi Lal Mahecha, (M.A., L.L.B) could 'Rajasthan Ke Rajput' (Uthaan Aur Patan)
  • मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।

    काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।

    उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है।  
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    किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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    Ignite your child’s math learning: A self-help guide for the parents to make their child a mathematics maestro

    Original price was: ₹140.00.Current price is: ₹126.00.
    Starting from elementary school, Children should learn beginning concepts in algebra, geometry, measurement, statistics, and logic. In addition, they should learn how to solve problems by applying knowledge of math to new situations. They should learn to think of themselves as mathematicians—able to reason mathematically and to communicate mathematical ideas by talking and writing. We hope that you will find this series a valuable tool for developing and reinforcing your child's interest and knowledge— and that you and your family may develop appreciation for "Why such knowledge is important?". Anita Verma is an accomplished author, who had written books on child development. She is somebody who is well-appreciated for her counseling sessions. She is highly inspired by her younger daughter. Kids always remind her of a Quote by Sam, "Don’t watch the clock; Do what it does. Keep going."
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    Pre-School Child: Learn How to Make Your Pre-School Child Excel Through Concise and Sure-shot Ways

    Original price was: ₹140.00.Current price is: ₹126.00.

    The book 'Pre-School Child' will help you in preparing your child to learn and to get ready for school effectively. It provides suggestions for how to regulate your child's TV viewing and to choose good TV programmes & videos and how to choose suitable child care centre/s. It is for all those families and care givers who want to help their pre-school children to learn and to develop the skills necessary for success in school and in life.

    Dinesh Verma, the author of this book and director of Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd., is a prominent author and social worker. He has authored various books like Vriksh Lagaye: Grahon ko apne Anukool Banaye, Diabetes Jaye Bhul, Rahe Cool, Make your Child a Responsible Citizen, Don’t Die with a Book Inside You, Secrets to Give Your Kids Great Science Education, Pre-School Child, Parents I need You, Now I am Adolescent, etc. in which most of the books have been selected by NBT, GOI for International Book Fairs. In 2012, he was awarded with 'Avantika Rashtriya Sewa Samman'. Further, in 2013, he was honoured with two awards—'Avantika Shiromani Samman' and 'Shabd Sadhak Samman'. Recently, he is honoured with 'Atal Bihari Vajpayee Avantika National Award' and 'Cascader award' by FICCI Cascade.

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    बच्चे हमारी परंपराओं के खैवनहार और देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक है कि उनके अंदर अच्छी आदतें पनपें। वे समय और शिक्षा का महत्त्व समझें, अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करें, अपने माता-पिता से कोई भी बात न छुपाएँ, स्वस्थ खान-पान और जीवन शैली अपनाएँ, प्रकृति से प्रेम करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुप्रयोग करने से बचें, अपने घर के काम में दिलचस्पी लें, जितना संभव हो हाथ भी बटाएँ, सड़क पार करते समय, अनजान व्यक्ति द्वारा घंटी बजाने पर घर का दरवाजा खोलते समय और ऊपर मंजिल पर खेलते समय भरपूर सावधानी बरतें। प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से बच्चों के अंदर ऊपर वर्णित सद्गुण/जानकारियों को भरने का प्रयास किया गया है।

    अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए भी देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन-कार्य में सक्रिय बने रहे। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इन्हें अपनी बातों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में महारत हासिल है। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें बच्चों को उपयोगी और आवश्यक जानकारी देने वाली पुस्तक "गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा" लिखने के लिए प्रेरित किया है।

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    Logistics, An Untapped Opportunity: A Valuable Book for All those who wants to Enhance their Logistics Skills

    Original price was: ₹150.00.Current price is: ₹135.00.
    1. History of Events 2. Profile of Jury (i) Lt. Gen. (Retd.) Dharam Vir Kalra ... PVSM, AVSM (ii) Dr. Mrs. Veni Mathur (iii) Dr. Pradeep Kumar Goel (iv) Vipul Nanda (v) Dushyant Arya (vi) Sanjay Khanna (vii) O.P. Jain (viii) Abhishek Chakraborty (ix) Rajeev Bhardwaj (x) Syed k. Husain (ix) Message 3. Case Studies of Winning Teams (i) Future of 4PL in India University of Petroleum and Energy Studies, Dehradun (ii) Logistics Challenges of E-Commerce Shri Mata Vaishno Devi University, Katra (iii) Public Distribution System K. R. Mangalam Institute of Management, Delhi (iv) Green Logistics-The Indian Way PC Training Institute (PCTI Group) (v) Use of IT in Supply Chain Jagan Institute of Management Studies Rohini, Delhi 4. Case Studies of Runnerup Teams (vi)Future of 4PL in India G. L Bajaj Institute of Management & Research (vii) Logistics Challenges of E-Commerce Jagan Institute of Management Studies, Rohini, Delhi (viii) Public Distribution System College Of Management, Shri Mata Vaishno Devi University, Katra (ix) Green Logistics-The Indian Way Jagan Institute of Management Studies, Rohini, Delhi (x) Use of IT in Supply Chain Jaipuria Institute of Management 5. Interaction with Industry Professionals Interaction with Mrs. Dr. Veni Mathur Interaction with Mr. Anil Khanna Interaction with Mr. V V Rao Interaction with Mr. A. K. Saraswat Interaction with Mr. Vipul Nanda Interaction with Mr. A.V. Reddy Interaction with Mr. Suresh Bansal Interaction with Mr. Lt. Gen. (Retd.) Dharam Vir Kalra PVSM, AVSM Interaction with Mr. Vinod R Nair 6. Company Profile Container Corporation of India Mercurio Pallia Logistics Mahindra Logistics DTDC Courier & Cargo Ltd. “NECC, Ltd.
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    Make Your Child a Responsible Citizen: Learn How to Make Your Child Responsible Effortlessly

    Original price was: ₹140.00.Current price is: ₹126.00.

    The Book 'Make Your Child A Responsible Citizen' provides information about the values and skills that will help your child develop strong character and become a good citizen. It suggests activities that you and your school-aged children can do to put those values to work in their daily lives. It contains some valuable tips for working with teachers and schools to ensure that you act together to promote the basic values that you want your child to learn and imbibe.

    Dinesh Verma, the author of this book and director of Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd., is a prominent author and social worker. He has authored various books like Vriksh Lagayein: Grahon ko apne Anukool Banayein, Diabetes Jayen Bhooll, Rahen Cool, Don’t Die with a Book Inside You(in Press), Secrets to Give Your Kids Great Science Education, Pre-School Child, Parents I need You, Now I am Adolescent, etc. in which most of the books have been selected by NBT, GOI for International Book Fairs.  In 2012, he was awarded with 'Avantika Rashtriya Sewa Samman'. Further, in 2013, he was honoured with two awards—'Avantika Shiromani Samman' and 'Shabd Sadhak Samman'. Recently, he is honoured with 'Atal Bihari Vajpayee Avantika National Award' and 'Cascader award' by FICCI Cascade.

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    Sure-shot Ways to make your adolescent excel in school and life.

    Ever Wondered How Will You Feel If Your Adolescent Shows Excellence In School And Subsequently In Life? Then keep reading!

    In simple words, we may define adolescence as the period in the middle path of saying goodbye to childhood and stepping into adulthood's ladders. In this phase, a person's cognitive, psychological, and social characteristics frequently change from childish traits to adulthood.

    Are you the father of an adolescent and worried about the following?

    How will my child transform from the age of 10 to 14?

    How should I communicate effectively with my child?

    How much liberty should I give to my child?

    How should I help my child grow his confidence?

    How should I help my child find good friends and fight detrimental peer pressure?

    What should I do to keep away the media's destructive impact on my child?

    How can I participate in the child's school activities?

    How should I help my child become a successful reader?

    How should I keep my child motivated to learn and do well, both in and out of school?

    What should I do to help my child develop appreciable values and learn to distinguish right from wrong?

    What should I do if my child is facing a severe problem?

    This book by Dinesh Verma takes care of all your problems described above and provides you the tools and techniques for the best possible parenting of your adolescent child.

    Adolescence is a time of rapid and dramatic change. Parents can see these changes in the way teenagers behave, express their feelings, and in the way they interact with their families.,This period also remains a big challenge for adolescents as they require adjustments to changes in the self, family, and peer group.

    The author of the book is an authority on child psychology and has authored several books on child development, some of which were selected by Govt. of India for display in various International Book Fairs in multiple countries.

    This book helps you better understand the critical issues of adolescent development and how your role as a parent can make an essential difference in how teens develop the ability to become good citizens of society.
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    • Ensures all-around development of your child!
    • Makes learning enjoyable as well as rewarding!
    • Helps your child to read better, to take on the challenges of math and science classes, social science, and in art and music.
    For children to be successful in school, parents and families need to be actively involved in their children's learning. They need to become involved early and remain so throughout the school year. What the family does is more important to a child's school success than how much money the family makes or how much education the parents have! By showing interest in their children's education, parents and family can spark enthusiasm in them and lead them to a path of success. We hope that you will find this series a valuable tool for developing and reinforcing your child's interest and knowledge— and that you and your family may develop appreciation for "Why such knowledge is important?". Dinesh Verma, the author of this book and director of Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd., is a prominent author and social worker. He has authored various books like Vriksh Lagaye: Grahon ko apne Anukool Banaye, Diabetes Jaye Bhul, Rahe Cool, Make your Child a Responsible Citizen, Don’t Die with a Book Inside You, Secrets to Give Your Kids Great Science Education, Pre-School Child, Parents I need You, Now I am Adolescent, etc. in which most of the books have been selected by NBT, GOI for International Book Fairs. In 2012, he was awarded 'Avantika Rashtriya Sewa Samman'. Further, in 2013, he was honored with two awards—'Avantika Shiromani Samman' and 'Shabd Sadhak Samman'. Recently, he is honored with 'Atal Bihari Vajpayee Avantika National Award' and 'Cascade Award' by FICCI Cascade.
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    Super Effective Ways To Make Your Child A Reader

    Do you know that children are fascinated by the look and feel of books?

    Do you agree that books serve as fuel to the mind?

    Do you know that generation of interest in books is a slow process, and we cannot create overnight?

    Do you want that your child excels in reading skills?

    Do you know how to choose the correct books for your child?

    This book provides you the authentic answers to all your above queries and tells you how you can make your child super-active in reading. Apart from helping your child grow up healthy and happy, the most important thing you can do for him is to help him develop his reading skills. When children learn to read, they have the key that opens the door to all the knowledge of the world.

    However, it is worth noting that parents should not push their children towards reading. Instead, we should try it in a very casual manner. Teaching your kids to read by your example may be the best technique. If you read something yourself, your children are likely to follow you consciously or subconsciously.

    Teaching through activity is always the most effective way. This book contains several easy to understand and more comfortable to perform exercises that will help your child’s learning as entertaining as his most favorite play.

    The book is authored by the GPH Panel of experts comprising highly qualified, skilled, and knowledgeable professionals with in-depth exposure in the field. The book has the distinction of having been selected by the Govt. of India for display at various International Book Fairs organized in multiple countries.

    This book is a must-read for all those parents who want to make their child super-active in reading.

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    Recipe for Stress-Free Homework: Learn how to make homework honey for your kids

    Original price was: ₹140.00.Current price is: ₹124.00.
    • Tips on how to make homework stress-free! • Finding the most effective way to involve parents and children in the homework. • Practical ideas for helping children to complete homework assignments successfully. Homework is important because it can improve children's thinking and memory. It can help them to develop positive study skills and habits that will serve them well throughout their lives. It can encourage them to use time well, learn independently, and take responsibility for their work. But helping children with their homework benefits the family as well. It can, for example, be a way for families to learn more about what their children are learning in school and an opportunity for them to communicate with their children, teachers, and principal as well. Anita Verma is an accomplished author, who had written books on child development. She is somebody who is well-appreciated for her counseling sessions. She is highly inspired by her younger daughter. Kids always remind her of a Quote by Sam, "Don’t watch the clock; Do what it does. Keep going."    
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    Effective Parenting: An eye on the future….

    Original price was: ₹259.00.Current price is: ₹233.00.
    "Children get easily frustrated when faced with difficult situations and therefore, need parental help." The book is a compendium of knowledge for the parents of today. Apart from making them more knowledgeable about the needs and requirements of their children, the book will also help them handle any tough challenge related to their children in an amiable and amicable way. The book contains chapters on almost all the age groups, our children pass through. These chapters will provide insight to the parents to deal with their children of a particular age group. Right from creating a learning atmosphere for your darling dear to the extent of sanctions and punishments to your child, almost everything related to parental hurdles are discussed at length. Topics like " Tips on giving pocket money, cherishing achievements of your children, Exams, Pre-teens, Self-esteem" will not only amuse the parents, but will also help them know the nuances of parenting. Right from the selection of chapters to examples given in these chapters, every care and precaution is exercised to make the book more readers' friendly and up to date. S.C. Arora, a veteran educationist and visionary, a postgraduate from Punjab University is a well-known figure in the field of school education. In a career spanning over 55 years, he has been a Principal for 30 years in Apeejay Schools in N.C.R and India School, Kabul, run by the Embassy of India. He has been the Chairman of National Progressive Schools Conference. He was the Vice-Chairman of Lotus Valley International School, Noida for 12 years. Presently, he is the Vice-Chairman of the LPS Global School, Noida. As a widely-traveled man, he has visited and seen the working of many schools in the U.K., U.S.A., Canada and erstwhile USSR and also did a teaching stint for three years in Britain from where he acquired his Postgraduate degree in Education also. As an avid reader, he has been a regular contributor to various national newspapers and magazines. The present book 'Effective Parenting' is the fruit of the rich and varied experience of the author in school education and his interactions with a multitude of parents, teachers and educationists in India as well as abroad.