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यह पुस्तक पाठकों की जिंदगी को बेहतर करने की गारंटी देता है। लेखक का दावा है कि अगर पाठक इस पुस्तक में दी हुई तथ्यों और निर्देशों का अक्षरशः पालन करने के बावजूद भी अपने जीवन में उल्लेखनीय बदलाव नहीं महसूस कर पाते हैं, तो इस स्थिति में इस पुस्तक की लागत मूल्य उन्हें वापस मिल जाएगी।
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जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के बदले अच्छाई और बुराई के बदले बुराई मिलनी तय है। यही बात मोहब्बत करने वाले पर भी लागू होती है। यदि मोहब्बत दिल से की गई हो तो उसका सच सुकूनदायक होगा ही। इसके विपरीत छल-कपट भरी मोहब्बत का सच तो मन में कड़वाहट उत्पन्न करेगा ही। मोहब्बत चाहे धरती का आसमान से हो, धूप का किरणों से हो, भंवरे का फूल से हो या पुरुष का स्त्री से, हर एक को सुख-दुख की तरंगों को आत्मसात करना ही होता है। यह पुस्तक अनेक विचारों की मोहक सुगंध से पाठकों के मन को सराबोर करती है। हर पंक्तियाँ दिल के तारों को झंकृत करती हैं, दिल में जैसे खुशियों के बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं, प्यासा मन तृप्त हो उठता है। यही तो है 'मोहब्बत -ए- सच' पुस्तक में, जिसे आप पढ़ना चाहेंगे बार-बार, हर समय, हर परिस्थिति में और अपने मन को दे सकेंगे सुकून के स्वर्णिम पल।
वंदना गिरधर- जन्मः 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय। स्नातक की डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक कुशल गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए खुशहाल जीवन की प्राप्तिा हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।
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मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं, न तेरी हैं, ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं। संजोकर रखी थी कोने में, मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं ,इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली , मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही। नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये, इसलिए ये मेहनत की है। नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को। पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर, ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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परिधानों के रिटेल व्यापारी कृपया ध्यान दें। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो महिलाओं के एथनिक परिधान के रिटेल व्यापार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए इस उद्योग के लीडर बनना चाहते हैं। इसमें अनुभव और गहन रिसर्च से निकले इनसाइट से युक्त टिप्स भी शामिल किए गए हैं। एक अवश्य पढ़ी जाने योग्य पुस्तक! अगर आप घटते हुए लाभों से चिंतित हैं और अपने व्यापार को बढ़ा नहीं पा रहे हैं तो आपके संतुष्ट और निष्ठावान ग्राहक आधार में वृद्धि करके आप के लाभ को दस गुणा बढ़ाने के लिए यह पुस्तक एक संपूर्ण व्यावहारिक गाइड का काम करेगी। परिधानों के रिटेल व्यापार के रणनीतिकार और विशेषज्ञ, नवीन एन- बानूड़ा, एम- एन- फैशन्स के निदेशक हैं जो भारतीय महिलाओं के एथनिक परिधानों के B2B क्षेत्र में भारत का नम्बर 1 ब्रांड है। अपने VFC फ्रेमवर्क के जरिए इन्होंने 5000 से अधिक रिटेल व्यापारियों के करोड़ों रुपए डेडस्टोक में बचाए हैं और करोड़ों रुपयों का लाभ अर्जित कराया है ताकि वे मार्केट के लीडर के रूप में स्थापित हो सकें।
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* क्या आप जानते हैं कि स्टेनलेस स्टील फैब्रीकेशन आज के युग का एक महत्वपूर्ण उद्योग है ? * क्या आप जानते हैं कि इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों की परेशानियाँ क्या है? * क्या कोई ऐसा म॔त्र है जो इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों को बिना किसी मार्केटिंग के लगातार काम मिलते रहने की गारंटी दे सके? * क्या कोई ऐसा फार्मूला है जो इस व्यापार में निरंतर प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सके ? ऐसे सभी सवालों के सटीक उत्तर प्रस्तुत करने वाली एक क्रांतिकारी पुस्तक! इस पुस्तक के लेखक मनदीप गोयल पिछले 26 वर्षो से भारत के स्टेनलेस स्टील और फैब्रीकेशन उद्योग से जुड़े एक अग्रणी उद्योगपति हैं। इस दौरान इन्हें देश भर के सैकड़ों कारोबारियों से मिलकर उनकी समस्याओं को करीब से समझने और उनके समाधान खोजने का अवसर मिला जिनको इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इनकी कम्पनी "Radha Raman Traders" आज पूरे भारत का एक जाना माना ब्रांड है। एक सफल उद्यमी होने के साथ-साथ ये एक कुशल वक्ता और मानववादी भी हैं।
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* क्या आप जानते हैं कि स्टेनलेस स्टील फैब्रीकेशन आज के युग का एक महत्वपूर्ण उद्योग है ? * क्या आप जानते हैं कि इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों की परेशानियाँ क्या है? * क्या कोई ऐसा म॔त्र है जो इस उद्योग से जुड़े कारोबारियों को बिना किसी मार्केटिंग के लगातार काम मिलते रहने की गारंटी दे सके? * क्या कोई ऐसा फार्मूला है जो इस व्यापार में निरंतर प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सके ? ऐसे सभी सवालों के सटीक उत्तर प्रस्तुत करने वाली एक क्रांतिकारी पुस्तक! इस पुस्तक के लेखक "मनदीप गोयल" पिछले 26 वर्षो से भारत के स्टेनलेस स्टील और फैब्रीकेशन उद्योग से जुड़े एक अग्रणी उद्योगपति हैं। इस दौरान इन्हें देश भर के सैकड़ों कारोबारियों से मिलकर उनकी समस्याओं को करीब से समझने और उनके समाधान खोजने का अवसर मिला जिनको इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इनकी कम्पनी "Radha Raman Traders" आज पूरे भारत का एक जाना माना ब्रांड है। एक सफल उद्यमी होने के साथ-साथ ये एक कुशल वक्ता और मानववादी भी हैं।
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हमारे पीछे क्या है और हमारे अंदर क्या है इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं रह जाता जब इनकी तुलना हमारे अंदर क्या हैय् से की जाती है। इस पुस्तक में वषो पुरानी नीतिकथाएँ आपको अपनी आंतरिक क्षमताओं का एहसास कराएँगी तथा सफलता की ओर कदम बढ़ाने के लिए आपको प्रेरित करेंगी। आप अपने सपनों रूपी पहाड़ों की ओर आगे बढ़ने के लिए इनको एक प्ररेक उपकरण के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। ये कहानियाँ आपको साहस एवं शक्ति भी प्रदान करेंगी ताकि आप अपनी कठिनाइयों का दृढ़ता से सामना कर सकें। आइए, ये 52 कहानियाँ आपके लक्ष्य रूपी सपनों का पीछाकर आपको अजेय बनाने में आपकी सहायता करें ताकि आप सफलता के शीर्ष को छू सकें। मुकेश कुलौठिया एक उत्साही उद्यमी हैं, एक उत्सुक पाठक हैं और एक संवेदनशील वक्ता हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ तथा एम-एन-आई-टी-, जयपुर के पूर्व छात्र श्री कुलौठिया ने अपनी व्यावसायिक यात्र की शुरुआत आई-बी-एम- में अपने अत्यंत सफल कार्यकाल से की। एक दशक के उपरांत उन्होंने अपने मन की आवाज सुनकर वर्ष 2017 में एक उद्यमी के रूप में अपनी यात्र का आरंभ ‘मुस्कुरा दो प्रा-लि-’ नामक एक कंपनी के साथ किया जो कस्टमाइज्ड टी-शर्टस, अवार्ड तथा मार्केटिंग गिफ्रटस के व्यावसाय से जुड़ी थी। मुकेश एक उत्साही टोस्टमास्टर हैं जिन्होंने वर्ष 2016-17 में अपने जिले का नेतृत्व किया जिसने सभी मापदंडों पर रिकॉर्ड तोड़ते हुए विश्व में अपना शीर्ष स्थान बनाया। उनका दृढ़ विश्वास है कि इन कहानियों में जीवन को परिवर्तित करने की क्षमता है। कहानियों ने ही उनमें असली नेतृत्व कला का विकास किया तथा सफलता के पाठों को पढ़ाया जिनका प्रयोग वे अपने भाषणों में भी करते रहते हैं। दीपक शर्मा सेना के एक वीर सिपाही के सुपुत्र हैं। इस रूप में वे युद्ध की कहानियाँ, बलिदान तथा विजय की के किस्से सुन-सुनकर बड़े हुए हैं। अपनी व्यावसायिक यात्र के दौरान उन्होंने कई संस्थाओं में कार्य किया किंतु 39 वर्ष की आयु में उन्होंने एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी को छोड़ दिया और एक प्रशिक्षक तथा व्यावसायिक वक्ता बन गए। आज वे पूरे विश्व के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान वे टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल के जिले के विकास निदेशक भी रहे और उनकी मुख्य भूमिका में रहते क्लब ने विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनका विश्वास है कि सफलता एक ऐसा ताला है जो कई चाबियों से खुलता है। यह पुस्तक इन्हीं चाबियों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है।
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पशुपालन में अपनी आमदनी को दस गुणा कैसे बढ़ाएँ?
क्या आप पशुपालन से होने वाली अपनी आमदनी से संतुष्ट नहीं हैं ? क्या आप इस आमदनी को कई गुणा बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप पशुपालन के दौरान अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनका कोई उचित समाधान आपको नहीं मिल पा रहा है?
तो अब आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ संजय नरवाल की यह पुस्तक आपके उपर्युक्त सभी प्रश्नों और समस्याओं का सटीक समाधान लेकर आपके सामने प्रस्तुत है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः अपने पशुओं की ठीक से देखभाल करना और उनको स्वस्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस ओर समुचित ध्यान न देने पर ये अस्वस्थ एवं कमजोर हो सकते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है। यहां तक कि समुचित चिकित्सा के अभाव में कुछ पशु बीमार होकर मर भी सकते हैं। ऐसा प्रायः पशुपालकों को पशुपालन संबंधी समुचित जानकारी न होने के कारण ही होता है। इस पुस्तक में पशुओं के पालन-पोषण से जुड़ी प्रायः सभी प्रकार की जानकारी को एक ही स्थान पर उपलब्ध करा दिया गया है।
पुस्तक की विषयवस्तु को सुविधा की दृष्टि से 15 अध्यायों में विभाजित करते हुए प्रत्येक अध्याय में इस विषय से जुड़े किसी एक पक्ष पर इस प्रकार प्रकाश डाला गया है ताकि इस विषय से जुड़ा कोई भी पक्ष अछूता नहीं रह सके।पुस्तक के लेखक इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पशुपालन में दो साल का डिप्लोमा कोर्स कियाऔर एम. बी.ए. की उपाधि भी प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त ज्ञान का उपयोग उन्होंने बाद में पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के मिशन के लिए किया।
हमें पूरा विश्वास है कि पशुपालन से जुड़े लोग इस पुस्तक से लाभ उठा कर अपनी आमदनी को निश्चित रूप से कई गुणा बढ़ा सकने में सक्षम हो सकेंगे।
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उपन्यासः 'पतंग संग डोर' की कहानी दो युवा दिलों के उड़ती पतंगों के समूह के माध्यम से हुये अटूट मिलन की बड़ी ही अनूठी एवं मार्मिक अद्भुत कहानी है मानो सात जन्मों जैसा मिलन। इसकी शुरूआत आपके दिल में प्यार के अंकुर खिला देगी और कहानी का अन्त आपकी आँखें भर देगा। मुझे उम्मीद है पाठक 'पतंग संग डोर' को बार-बार पढ़ना चाहेगा।
पुस्तक के लेखक ओमप्रकाश चौहान का जन्म 10 जनवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम (स्व.) श्री रेवती लाल चौहान एवं माता का नाम (स्व.) श्रीमती भगवती देवी है। इन्होंने सीनियर सुपरिटेंडेंट, अंतर्राष्ट्रीय विमान प्राधिकरण, भारत सरकार, आई.जी.आई., दिल्ली के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया। साहित्य-सृजन, अभिनय एवं नाटक निर्देशन में इनकी गहन रुचि रही है। नाटक 'मैली हवेली' का इन्होंने दो बार (1981 एवं 1982) मंचन किया। सन् 1982 से 1995 तक ये नेशनल एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की हिन्दी पत्रिका 'चेतना' की संपादकीय परिषद के सदस्य रहे। उस पत्रिका में इनकी कई लघु कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं। सन् 1982 में लेखक ने रिलिना फिल्म्स की फिल्म 'बाँहों के घेरे में' के लिए स्क्रीन प्ले एवं डायलॉग लिखे। सन् 1983-84 में साहित्य कला परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाटक लेखन प्रतियोगिता में भी इनकी भागीदारी रही। साथ ही, अन्य दो नाटक 'मैला आदमी' एवं कॉप उठा संसार' भी सर्वत्र चर्चित व प्रशंसित हुए।
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समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है और अब तो पूरे विश्व ने मान लिया है कि इस कार्य के लिए नैचुरोपैथी से बेहतर कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसके महत्व को ध्यान में रखकर ही भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 18 नवम्बर को "नैचुरोपैथी दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस पद्धति में किसी भी दुष्प्रभाव के बिना केवल आहार और विहार के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने की व्यवस्था है। इस पुस्तक में नैचुरोपैथी के सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों पक्षों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। आज का समाज स्वास्थ्य से संबंधित समुचित जानकारी के अभाव में जिन असाध्य रोगों यथा: कैंसर, पक्षाघात, हृदय रोग, डायबिटीज़,उच्च रक्तचाप,मोटापा आदि का शिकार बनता जा रहा है, यह पुस्तक इनसे बचने और साथ ही इनके उपचार में विशेष भूमिका निभाएगी। शारीरिक विकारों से ग्रस्त मानव समाज को यह पुस्तक एक नई संजीवनी प्रदान करने में सक्षम सिद्ध होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. तथा एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीयकृत बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक पद से रिटायर कृष्ण लाल अरोड़ा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी ये अपने निरंतर योगदान के लिए जाने जाते हैं। आज के समय में नैचुरोपैथी की असीम उपयोगिता को देखते हुए इनकी रुचि इस ओर भी जागृत हुई और इन्होंने इस विषय पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री का गहन अध्ययन किया। साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत कुछ प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे व्यापक विचार-विमर्श भी किया। इन माध्यमों से प्राप्त ज्ञान तथा स्वय पर किए उसके सफल प्रयोगों को ही इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
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इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण । मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना । लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें। पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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इस किताब में यह बताया गया है कि किस प्रकार एक बिजनेसमैन अपने समय को मैनेज करके अपने काम को अच्छे तरीके से कर सकता है और साथ ही खुद को थोड़ा फ्री रख सकता है। और कैसे कस्टमर पे फोकस करके सेल को बढ़ाया जा सकता है इसमें स्टॉक मैनेजमेंट को ठीक से संचालित करने,डेब्टर्स के साथ सटीक फ़ॉलोअप कॉल करने, बायर्स के डेटा को मैनेज करते हुए उनको समय समय पर रिमाइंडर देने, पॉइंट सिस्टम से इनामी योजनाओं के संपर्क में रहने और उनकी देखभाल करने के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसके अलावा, यह उनके कर्मचारिओं के केयर और ट्रेनिंग के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है। इस किताब में मेरे 23 वर्षों का अनुभव है, जिसने मुझे काम करते हुए सीखने का मौका दिया है और कई व्यापारियों को लाखों करोड़ों का लाभ प्रदान किया है। जिन्होंने मेरे द्धारा बताए गए सिद्धांतों पर अमल किया उन्होंने अपने लाभ को 10 गुना प्रॉफिट कमाया और सेल्स को भी कई गुना बढ़ाया है। में इस लाभ को हर व्यापारी को प्रदान करना चाहता हूँ और उन तक पहुंचना चाहता हूँ, इसलिए मैंने यह कताब लिखी है। 23 साल के अपने कमोडिटी बिजनेस के अनुभव के साथ, "पंकज गोयल" अब यल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में कार्य करते हैं, जो खाद्य तेल उद्योग में एक प्रमुख नाम है।उन्होंने राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों के कई होलसेल व्यापारियों को जबरदस्त लाभ प्राप्त करने में मदद की है, जो लाखों और करोड़ों में है। उनका लक्ष्य भारत के कमोडिटी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना और लॉयल कस्टमर्स, खरीदारों, सप्लायर्स और सहयोगियों को कुछ वापस देना है। इस पुस्तक में, पंकज गोयल अपना आभार व्यक्त करते हैं, अपने ज्ञान को साझा करते हैं और व्यापार में आपके लाभ को दस गुना तक बढ़ाने के लिए रणनीतियाँ बताते हैं।
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यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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देव और भक्ति की बचपन की दोस्ती जब प्यार में बदलती है तभी हैरी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की दोनों के बीच में आ जाती है(क्यों?)। अपने प्यार को ढूंढना ही देव की जिंदगी का अब एक मात्र लक्ष्य है-क्योंकि भक्ति कहीं चली जाती है (क्यों?)! दोस्ती, प्रेम, विश्वास, आस्था, श्रद्धा और झूठ-फरेब की राहों से गुजरती हुई ये कहानी कभी आपको रुलाएगी तो कभी आपको अपनी प्रेम-कहानी याद दिलाएगी। और, कभी सोचने पर मजबूर कर देगी कि ऐसा क्यों हुआ! 'क्यों' का जवाब जानने के लिए पढ़ें--देव-भक्ति : आस्था का खेल दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राम 'पुजारी' को सामाजिक जनचेतना का लेखक माना जाता है। 'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' और 'लव जिहाद ...एक चिड़िया' के बाद राम 'पुजारी' का यह तीसरा उपन्यास है। अपने लेखन से सामाजिक समस्याओं पर सरल भाषा में सीधा चोट करना उनकी विशेष शैली है। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम ‘पुजारी’ सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक ‘राम पुजारी’ के नवीनतम उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को ‘मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक ‘राम पुजारी’ के उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है। E-Mail- rampujari2016@gmail.com Website- www.rampujari.com.
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आचार्य अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हए भी आचार्य देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन कार्य में सक्रिय बने रहे तथा पिछले 15 वर्षों से प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे-ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र व फेंग-शुई आदि के शोध कार्य में संलग्न रहे एवं इसी शोध कार्य पर लिखी एक पुस्तक "ज्योतिषः प्रेम-संबंध एवं वैवाहिक जीवन" के नाम से पाठकों के बीच आने के लिए तैयार है। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें जिंदगी के विभिन्न रंगों को अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया है। सतपाल "शिवोहम" ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. करने के पश्चात् एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और पिछले 12 वर्षों से वकालत के पेशे में कार्यरत हैं। ये वकालत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सामाजिक कार्यों में सतत् योगदान की वजह से ही ये लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कई वर्षों से ये लेखन कार्य में भी सक्रिय हैं। लोगों ने इनकी कविताओं को काफी सराहा है। इन्होंने भी अपने पाठकों के स्नेह को कविताओं में बाँधकर अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है।
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दांव खेल पासे पलट गए ….उनके लिए जिन्होंने बाद में पढ़ना शुरू किया और ….उनके लिए जो नहीं जानते - श्री वेद प्रकाश काम्बोज कौन है! श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी लोकप्रिय साहित्य जगत के बहुत प्रसिद्ध एवं बहु-चर्चित लेखक हैं जिनके जासूसी उपन्यासों ने जासूसी उपन्यास जगत की दिशा ही बदल डाली और उसे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचाया। नए पाठकों के लिए बता दें कि रहस्य-रोमांच के जिस जासूसी संसार की बुनियाद बाबू देवकी नंदन खत्री जी ने डाली थी, उसी इमारत के निर्माण में हिंदी-उर्दू के कई लेखकों का योगदान रहा, जिनमें जासूसी दुनिया के लिए उर्दू जगत के महान जासूसी उपन्यासकार श्री इब्ने सफी एवं हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी का नाम उल्लेखनीय है। दोनों ही। महान उपन्यासकार थे। इन्हीं दोनों महान रचनाकारों की गंगा-जमुनी शैली का अद्भुत संगम श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी के रूप में हुआ। पाठकों के लिए यह एक नायाब तोहफा था, क्योंकि उन्हें एक साथ दोनों का आनंद श्री काम्बोज के उपन्यासों में मिलने लगा था, जिसमें एक ओर जासूसी दुनिया का सम्मोहन था तो दूसरी ओर रहस्य-रोमांच से भरे हुए कथानक। इनके उपन्यासों की मांग के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि इनके उपन्यासों की ब्लैक माकिटिंग भी होने लगी थी, क्योंकि इनके उपन्यास मार्किट में आते ही बिक जाया करते थे और पाठक फिर इन्हें मुंहमांगे दामों पर भी खरीदते थे। इनके पात्रों-विजय, रघुनाथ, ब्लैक बॉय और सिंगही, अल्फासें व गिलबर्ट के किस्से लोगों की। जुबान पर रहते थे।
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This book is Dadi Janki’s sermon, which is completely successful in changing people’s lives. This book contains answers to questions asked by people from Dadi Janki, and she satisfied their hearts with her marvelous answers that make them full of contentment.
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इस पुस्तक में रक्तिम जी ने फ्रेमवर्क के संस्थानीकरण अनुभवों के औद्योगिकीकरण प्रक्रियाओं के इंस्ट्रूमेंटेशन आई टी के डेमोक्रेटाइजेशन तथा एंटरप्राइस एप्स के कन्ज्यूमराइज़ेशन पर बल दिया है ताकि वैश्विक व्यापार को डिजिटल में बदलने के लिए उस स्ट्रक्चरल मार्ग को तैयार किया जा सके जिसकी व्यापार जगत को बहुत अधिाक आवश्यकता है। इस पुस्तक के पाठकों के लिए ग्रहण करने वाली मुख्य बात ACID नामक फ्रेमवर्क है जिसकी व्याख्या रक्तिम जी ने चार भागों में बड़े उत्साह के साथ की है। उन्होंने ACID (अर्थात् AI, CLOUD, I oT और Data), जो कि डिजिटल परिवर्तन के आधार स्तंभ हैं की व्याख्या विभिन्न उधोंगो से चुनी गई प्रेक्टिकल केस स्टडीज के आधार पर की है। ~ Rajashekara Visweswara Maiya VP, Global Head-Business Consulting-Finale at Infosys इस पुस्तक की विषय-सामग्री को पढ़कर कोई भी आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि यह डिजिटलाइजेशन और व्यापार में परिवर्तन से जुड़े प्रेक्टिशनरों की सहायता के लिए किसी प्रेक्टिशनर की इस क्षेत्र में 25 वर्षों से भी अधिक समय तक की गई तपस्या का परिणाम है। रक्तिम ने IIT BHU से B.Tech. किया हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में Infosys के FINACLE को ज्वाइन किया। उन्हें सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के डेवलपमेंट का 25 वर्षों से अधिाक का लम्बा अनुभव है। रक्तिम का डिजिटल क्षेत्र के प्रति विशेष उत्साह है और उन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर डिजिटल परिवर्तन“ विषय पर अनेक ब्लॉग भी प्रकाशित किए हैं। रक्तिम नें TEDx में डिजिटल परिवर्तन पर अपना Talk दिया है।