Health, Family & Personal Development

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    This book features everything you need to improve your concentration, memory power, health, and peace of mind with yoga, this book comes enriched with easy-to-follow exercise regimes and invaluable tips for students as well as for parents.
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    STOP wasting your Potential.

    You are destined for a GREATER LIFE! Yes! ZERO TO HERO is the possibility of every human life.

    This book will guide you step by step in harnessing your potential and unleashing your Inner HERO no matter how dire the circumstances.

    Not to be missed in this book: ✔️ The Secret Hero Mind Hacks ✔️ Balancing the 3 Fs that make life worthwhile ✔️ Winning over the 3 Cs that distract you from becoming a Hero ✔️ The 5 Golden Rules for Living the best life possible

    Dr. Rakesh Arya is a scheduling Scientist with over 35 years of extensive work experience. A B.Com, M.B.A, and a Ph.D. degree holder, he has coached thousands of Industrialists and top Corporate Executives globally. His Training Programs are highly in demand.

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    "अंतर्मन का दर्पण" श्रीमती आरती मित्तल की नवीनतम काव्य रचनाओं का संग्रह है जिसमें उन्होंने अपने अंतर्मन के विविध मनोभावों को निश्छल अभिव्यक्ति प्रदान की है। इन कविताओं में कवयित्री महोदया ने समय-समय पर अनुभूत मनोभावों को सरल शब्दों में पिरोकर हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये अभिव्यक्तियाँ नारी के उस कोमल मन से उपजी हैं जिनसे गुजरे बिना किसी भी भारतीय नारी की जीवन यात्रा पूर्ण नहीं होती। इन कविताओं में जहाँ बचपन में भाइयों के प्यार और दुलार की यादों को समेटा गया है तो वहीं बड़े होने पर दिल में किसी के आ बसने की आहट तथा उससे जडे सपनों को वाणी प्रदान की गई है। फिर किसी के साथ उम्र भर का रिश्ता जड़ने का क्षण, बाबुल के घर से विदाई की घड़ियाँ तथा पालने में नए मेहमान के आगमन की खुशी जैसी विविध नारी सहज भावनाओं को कवयित्री ने अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति प्रदान की है। इसके साथ ही उनकी कलम ईश्वर के अस्तित्व जैसे रहस्यवादी विषय की ओर भी बढ़ी है। भाषा और भावनाओं की सरलता का आलम यह है कि पाठक उनसे पूर्ण तल्लीनता स्थापित कर कह उठता है कि ये तो मेरे ही मन के भाव हैं। निश्चय ही यह काव्य संग्रह आज के यांत्रिक जीवन में तपती गर्मी में बारिश की फुहारों का सा अहसास प्रदान करेगा। आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा-मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हैं। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हई तथा जीवन को प्रभ की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पया है। माता-पित से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन-साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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    एक रचनाकार की रचना में उसके जीवन का वह सच मौजूद होता है जिससे वह कहीं न कहीं दो-चार होता रहता है। प्रस्तुत काव्य संकलन 'अदृश्य सत्य' भी कवयित्री वन्दना गिरिधर जी के जीवन में प्राप्त हुए अनुभवों का एक निचोड़ है। जिस प्रकार जीवन जीने के लिए हवा, पानी, खाना तथा कपड़ों की आवश्यकता होना एक ऐसी सच्चाई है जो हमें प्रत्यक्ष दिखायी देती है, उसी प्रकार एक 'अदृश्य सत्य' भी है, जिसका सामना हमें दिन-प्रतिदिन के जीवन में करना पड़ता है जो कि हमें दिखाई नहीं पड़ता है, और वह सत्य है जीवन में आने वाली परीक्षाओं और कसौटियों पर खरा उतरखा। यह | 'अदृश्य सत्य' प्रत्येक मानव के जीवन की सच्चाई है जिसे इस पुस्तक के माध्यम से बन्दना जी ने अपने पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। वन्दना गिरिधर जन्मएक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षादिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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    मन की बात जब भावनाओं की चाशनी में सराबोर होकर शब्दों के रूप में लेखनी के माध्यम से कागज पर अंकित होती है तब कविता का जन्म होता है। इस संदर्भ में एक सच्चाई यह है कि हर कविता कुछ न कुछ अच्छी बात ही कहती है, जिसमें समाहित भोगे हुए पलों का बिंब पाठक के मन को सुकून देता है, कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। यूँ तो कविताएँ कवि के मन की उपज ही होती हैं परंतु अक्सर यह पाठकों के जीवन से जुड़ी किसी न किसी याद को ताजा करती हैं। कवि मन के विचारों की अभिव्यक्ति जब पाठकों के मन को द्रवित करते हुए उनको कुछ सोचने-विचारने को विवश कर दे तब कहा जा सकता है कि काव्य सृजन सफलता की कसौटी पर खरा उतरा है।

    वन्दना गिरधर- जन्म: 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व इंगलिश भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।

  • मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।

    काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।

    उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है।  
  • यह केवल एक पुस्तक नही, पति-पत्नी के बीच ताउम्र प्यार बने रहने की गारंटी देने वाला मैन्युअल है। एक घंटे में जो क्लैरिटी इस पुस्तक से मुझे मिली है वह मुझे अपने संपूर्ण षादीषुदा जीवन में अभी तक नही मिल पाई। यह पहली पुस्तक है जिसमें पति-पत्नी के संबंधों के उतार-चढ़ाव की इतनी अच्छी व्याख्या हुई है और वो भी समाधान सहित।
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    “राशि-वृक्ष के माध्यम से ग्रह आरै नक्षत्र प्रभावित होते है। यह सुनकर तो मुझे अचंभा ही हुआ था. लेकिन जब स्थान पर छाये संकटीय बादलों को हटाने के लिए मुख्यद्वार के दोनों तरफ दिव्यतरु 'कल्पवक्ष' का रोपण करण तो उससे सृजित सकारात्मक ऊर्जा ने अल्पकाल में ही सर्वमंगल किया। इ. एम. के. सेठ, ITS, मुख्य महाप्रबंधक, भा. सं. नि. लि., गुवाहाटी (असम)

    “ग्रीनमैन श्री बघेल जी ने मेरे 60वंं जन्मदिन पर पवित्र वृक्ष का रोपण कराया तो मैंने यह जाना कि कितना। आध्यात्मिक महत्त्व होता है इन वनस्पतियों में। सरदार जोगा सिंह, IFS, सेवानिवृत्त वन अधिकारी, यमुनानगर (हरियाणा)

    “मेरे पति और हम दोनों ने मिलकर पूरे विधि-विधान से अपना राशि-वृक्ष लगाया। यह कार्य अत्यंत लोक कल्याणकारी साबित हो रहा है। सुश्रुश्री गुरुरी जनमेजेजा, PDG, लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल, मंडल-321सी, गाजियाबाद

    “सेवानिवृत्त पौधारोपण का सुफल निश्चित मिलता है यह मेरा प्रमाणित अनुभव है। श्री राकेश चंद्रा, IAS, प्रशासनिक अधिकारी, लखनऊ

    “मैंने अपनी राशि का दिव्यवृक्ष अपने घर पर लगाया जिसके फलस्वरूप मुझे जो सुखद अनुभूति हो रही है उसका वर्णन करने वाले शब्द मेरे पास नहीं हैं। श्री रोमिल बनिया, IPS, पुलिस अधिकारी, दिल्ली

    “मेरी कल्पवृक्ष रोपित कर एक तीव्र मनोकामना की पूर्ति कितनी सहजता और सादगी से हो गई ये सब दिव्य वृक्ष के रोपण का ही प्रताप है। श्री कार्तिकेयन, उद्योगपति, इरोड (तमिलनाडु)

    “गत वर्ष मैं अपने बेटे का 20वाँ जन्मदिन मनाने और सांसारिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए हमने पूरे वैदिक रीति-रिवाज द्वारा दिव्य-वृक्ष लगाने के परिणामस्वरूप आत्मिक संतुष्टि, सुख, शांति तथा वैभव मिला और कष्ट निवारण भी हुए। श्री सुधीर सिंह, एयरइंडिया अधिकारी, नई दिल्ली

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    उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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    जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।

    आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।

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    यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो इस रोग से ग्रसित हैं अथवा जो इस रोग के चंगुल में फंसना ही नहीं चाहते। इस पुस्तक में दर्पण अभ्यास पर भी प्रकाश डाला गया है जो आपको अपने अंदर मनुष्य के रूप में पूर्णता का अनुभव प्रदान करेगा । इस पुस्तक में मधुमेह मुक्त जीवन जीने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और योग के साथ साथ ‘ बैच फ्लावर रेमेडीज‘ के माध्यम से उपचार करने की विधि को भी प्रस्तुत किया गया है
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    This book is Dadi Janki’s sermon, which is completely successful in changing people’s lives. This book contains answers to questions asked by people from Dadi Janki, and she satisfied their hearts with her marvelous answers that make them full of contentment.
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    देव और भक्ति की बचपन की दोस्ती जब प्यार में बदलती है तभी हैरी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की दोनों के बीच में आ जाती है(क्यों?)। अपने प्यार को ढूंढना ही देव की जिंदगी का अब एक मात्र लक्ष्य है-क्योंकि भक्ति कहीं चली जाती है (क्यों?)! दोस्ती, प्रेम, विश्वास, आस्था, श्रद्धा और झूठ-फरेब की राहों से गुजरती हुई ये कहानी कभी आपको रुलाएगी तो कभी आपको अपनी प्रेम-कहानी याद दिलाएगी। और, कभी सोचने पर मजबूर कर देगी कि ऐसा क्यों हुआ! 'क्यों' का जवाब जानने के लिए पढ़ें--देव-भक्ति : आस्था का खेल दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राम 'पुजारी' को सामाजिक जनचेतना का लेखक माना जाता है। 'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' और 'लव जिहाद ...एक चिड़िया' के बाद राम 'पुजारी' का यह तीसरा उपन्यास है। अपने लेखन से सामाजिक समस्याओं पर सरल भाषा में सीधा चोट करना उनकी विशेष शैली है। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम ‘पुजारी’ सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक ‘राम पुजारी’ के नवीनतम उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को ‘मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक ‘राम पुजारी’ के उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है। E-Mail- rampujari2016@gmail.com Website- www.rampujari.com.
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    यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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    अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है और अब तो पूरे विश्व ने मान लिया है कि इस कार्य के लिए नैचुरोपैथी से बेहतर कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसके महत्व को ध्यान में रखकर ही भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 18 नवम्बर को "नैचुरोपैथी दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस पद्धति में किसी भी दुष्प्रभाव के बिना केवल आहार और विहार के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने की व्यवस्था है। इस पुस्तक में नैचुरोपैथी के सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों पक्षों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। आज का समाज स्वास्थ्य से संबंधित समुचित जानकारी के अभाव में जिन असाध्य रोगों यथा: कैंसर, पक्षाघात, हृदय रोग, डायबिटीज़,उच्च रक्तचाप,मोटापा आदि का शिकार बनता जा रहा है, यह पुस्तक इनसे बचने और साथ ही इनके उपचार में विशेष भूमिका निभाएगी। शारीरिक विकारों से ग्रस्त मानव समाज को यह पुस्तक एक नई संजीवनी प्रदान करने में सक्षम सिद्ध होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.. तथा एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीयकृत बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक पद से रिटायर कृष्ण लाल अरोड़ा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी ये अपने निरंतर योगदान के लिए जाने जाते हैं। आज के समय में नैचुरोपैथी की असीम उपयोगिता को देखते हुए इनकी रुचि इस ओर भी जागृत हुई और इन्होंने इस विषय पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री का गहन अध्ययन किया। साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत कुछ प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे व्यापक विचार-विमर्श भी किया। इन माध्यमों से प्राप्त ज्ञान तथा स्वय पर किए उसके सफल प्रयोगों को ही इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
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    समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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    उपन्यासः 'पतंग संग डोर' की कहानी दो युवा दिलों के उड़ती पतंगों के समूह के माध्यम से हुये अटूट मिलन की बड़ी ही अनूठी एवं मार्मिक अद्भुत कहानी है मानो सात जन्मों जैसा मिलन। इसकी शुरूआत आपके दिल में प्यार के अंकुर खिला देगी और कहानी का अन्त आपकी आँखें भर देगा। मुझे उम्मीद है पाठक 'पतंग संग डोर' को बार-बार पढ़ना चाहेगा।

    पुस्तक के लेखक ओमप्रकाश चौहान का जन्म 10 जनवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम (स्व.) श्री रेवती लाल चौहान एवं माता का नाम (स्व.) श्रीमती भगवती देवी है। इन्होंने सीनियर सुपरिटेंडेंट, अंतर्राष्ट्रीय विमान प्राधिकरण, भारत सरकार, आई.जी.आई., दिल्ली के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया। साहित्य-सृजन, अभिनय एवं नाटक निर्देशन में इनकी गहन रुचि रही है। नाटक 'मैली हवेली' का इन्होंने दो बार (1981 एवं 1982) मंचन किया। सन् 1982 से 1995 तक ये नेशनल एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की हिन्दी पत्रिका 'चेतना' की संपादकीय परिषद के सदस्य रहे। उस पत्रिका में इनकी कई लघु कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं। सन् 1982 में लेखक ने रिलिना फिल्म्स की फिल्म 'बाँहों के घेरे में' के लिए स्क्रीन प्ले एवं डायलॉग लिखे। सन् 1983-84 में साहित्य कला परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाटक लेखन प्रतियोगिता में भी इनकी भागीदारी रही। साथ ही, अन्य दो नाटक 'मैला आदमी' एवं कॉप उठा संसार' भी सर्वत्र चर्चित व प्रशंसित हुए।

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    कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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    आज पूरा विश्व इस बात से सहमत है कि मानव के मन और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में योग की विशेष भूमिका है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही अब प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के रूप में मनाया जाता है।लेखक ने इस पुस्तक में इस महत्वपूर्ण विषय की अवधारणाओं को अत्यंत सरल भाषा में जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पक्षों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ योग द्वारा सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह पुस्तक योग के जिज्ञासुओं के लिए एक वरदान साबित होगी। योग परंपरा में दीक्षित योगाचार्य श्री. गिरजा शंकर उपाध्याय योग की दुनिया में एक नया नाम हैं। ये एम डी एक्यू, मुख्य योग शिक्षक (पतंजलि योग समिति), योग प्रशिक्षक (Yoga Certification Board) तथा विशिष्ट योग एवं सनातन योग के साथ साथ एक्यूप्रेशर जैसी विधाओं के गहनतम ज्ञान से सुशोभित हैं। आज के तनाव से भरे जीवन में योग एक संजीवनी है। इसी से प्रेरित होकर लेखक ने इस पुस्तक में मानव जीवन के कल्याण के संकल्प के साथ योग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से समाज को और भी बहुत आशाएं हैं।
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    Ayurveda Tips on concentration, focus, & memory power) is the perfect resource! This book features everything you need to improve your concentration, memory power, health, and peace of mind with yoga, and includes additional information Everything you Need To make Yoga an Integral Part of Your Health and Well-being (For Students & Everyone)
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    डॉक्टर एस. एस. गोला ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष कोविद तथा ज्योतिष वाचस्पति हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनको दो बार सम्मानित किया जा चुका है। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे लगातार 9 से 10 घंटे की समाधि ले लेते थे।
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    किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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    हमारे तीर्थस्थल एवं पौराणिक देवी-देवताओं की मान्यताएँ इस देश की सांस्कृतिक धरोहर एवं समृद्ध परंपराओं की परिचायक हैं। 'शक्तिपीठ' हमारी इन्हीं परंपराओं एवं मान्यताओं का अभिन्न अंग हैं। मन की शांति एवं शक्ति प्राप्त करने के सिद्ध स्थल हैं-'शक्तिपीठ'। शक्तिपीठ वे पवित्र स्थल हैं जो त्रिदेवियों- महासरस्वती, महालक्ष्मी एवं महाकाली की सम्मिलित शक्ति अर्थात् देवी शक्ति (देवी सती का दिव्य स्वरूप) के अधिष्ठान के रूप में जाने जाते हैं। वास्तव में चमत्कारिक माहात्म्य से परिपूर्ण शक्तिपीठ देवी शक्ति के परम-प्रिय निवास-स्थल हैं। प्रारंभ से ही इन स्थलों की संख्या और भौगोलिक स्थिति के बारे में बहुत सारे मत-मतांतर हैं, जो इनकी गूढ़ता के ही परिचायक हैं, तथापि इनकी सिद्धता के बारे में किसी को भी कोई संदेह नहीं है। मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध इन शक्तिपीठ स्थलों की संख्या विभिन्न स्रोतों, सूत्रों एवं लोगों द्वारा 108, 64, 52 और 51 बताई जाती है, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में महापीठपुराण के अनुसार कुल 52 शक्तिपीठों के बारे में शोधात्मक जानकारी धार्मिक पर्यटन की भावना के अनुरूप दी गई है, जिसका एकमात्र लक्ष्य लोगों को इन स्थलों के बारे में बताना है, न कि अंतिम मत प्रदान करना। गीतकार, स्क्रिप्टराइटर एवं 'शक्तिपीठ' पुस्तक के लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से पर्यटन में एम0बी0ए0 किया। मैनेजमेंट के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से मास-कम्युनिकेशन में भी मास्टर्स की उपाधि प्राप्त की है। पूर्व में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में देश-विदेश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में बतौर कंटेंट राइटर 7 वर्षों से भी अधिक समय तक कार्यरत रहे श्री त्रिपाठी जी वर्तमान में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में ही 2 विश्वप्रसिद्ध | चंद्रेश विमला त्रिपाठी शैक्षणिक संस्थानों (कानपुर-मुंबई) द्वारा निर्मित हिंदी की पहली ब्लॉगिंग एवं सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट में कंटेट राइटर के पद पर नियुक्त हैं। श्री चंद्रेश जी एक सिद्ध-हस्त लेखक हैं। इनके द्वारा पर्यटन पर लिखी गई एक अन्य पुस्तक मैनेजिंग सेल्स एंड प्रमोशन इन टूरिज्म (एम0 टी0 एम07) विश्वविद्यालयीय छात्रों में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुकी है। माता-पिता में ईश्वर का स्वरूप देखने वाले श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी की विचारधारा आधुनिकता के उस खोखलेपन पर तीखा प्रहार करती है, जिसमें वृद्धावस्था में संतान होते हुए भी असहाय की भाँति माता-पिता को वृद्धाश्रमों की शरण लेनी पड़ती है। आज के आधुनिक समाज को श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी जैसे प्रेरक एवं मार्गदर्शक लेखकों की नितांत आवश्यकता है।
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    Safalta ke vyavharik aayam An impressive personality is the key to success. We bring for you in this book some of the essential changes that you must inculcate in your personality to be successful in life. Some real examples have been quoted in the book from the life of great people like Abraham Lincoln. Written by an eminent personality counselor Sanjeev Sharma, the book talks about many traits that influence our personality. The book highlights the impact of attributes like expression, inspiration, and so on. The book is must read for everyone who wants to be successful in life and improve their personality. Written in simple Hindi, this book is easy to understand. Read it till its very last page, implement the thoughts presented here and experience the change in your life.
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    आज विज्ञान का युग है। पश्चिमी जगत विज्ञान की भाषा ही समझता है, अतः भारतीय आस्थाओं और मूल्यों को आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर खरा साबित करना समय की मांग है। आज इन मूल्यों की न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व की शांति के लिए, पर्यावरण संरक्षण, स्वयं मानव व ग्रह पृथ्वी के संरक्षण के लिए आवश्यकता है। युवा भारत को इन मूल्यों को विश्व के सामने रखना हैं, इनके वैज्ञानिक आधार के प्रति लोगों को सजग करना है। आज युवाओं में भी आत्मविश्वास और देशाभिमान जगाना है ताकि अपनी क्षमता के अनुरूप भारत विश्व गुरु के रूप में उभर सके। इसी उद्देश्य से यह पुस्तक लिखी गई है।  
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    हीलिंग टच: समय की पुकार यह अद्भुत पुस्तक आप सभी के अंतर्मन में समायी जबर्दस्त शक्ति को न केवल उजागर करने में सहायक है, बल्कि उसे प्राप्त करने की भी चाबी साबित होगी। यह उत्कृष्ट पुस्तक दुनियाभर के लाखों-करोड़ों लोगों को अंतर्मन की अविश्वसनीय शक्ति के उपयोग के बारे में न केवल जानकारी उपलब्ध कराती है, बल्कि लोगों को इस शक्ति का उपयोग अपने हित में करने की शिक्षा भी प्रदान करती है। डॉ. पुनीत मेहता ने इस पुस्तक में वैज्ञानिक शोधों एवं आध्यात्मिक ज्ञान के साथ यह स्पष्ट किया है कि आपके अंतर्मन के विचार ही आपके प्रत्येक कार्य को प्रभावित करते हैं। सच्ची घटनाओं के संकलन के साथ बनाई गई यह पुस्तक आपको जीवन में सफलता पाने के लिए मन को कैसे चमत्कारिक तरीके से उपयोग करें, इसके लिए कई रहस्यों को न केवल बताएगी, बल्कि उनका उपयोग करना भी सिखाती है। इस पुस्तक के माध्यम से आप अपने अंतर्मन की शक्ति के द्वारा जीवन की विभिन्न समस्याओं से अद्भुत तरीके से छुटकारा पा सकते हैं, जैसे-- - स्वास्थ्य में सुधार करने के साथ ही विभिन्न शारीरिक रोगों को ठीक कर सकते हैं। - स्वयं के सामाजिक स्तर का दायरा न केवल बढ़ा सकते हैं, बल्कि अपने संबंधियों, सहकर्मियों और मित्रों के साथ मधुर संबंध भी कायम कर सकते हैं। - संसार में व्याप्त बुराइयों के साथ ही स्वयं में व्याप्त भय को भी अलविदा कह सकते हैं। - सदा यौवन से परिपूर्ण रहने का भी रहस्य जान सकते हैं। यह पुस्तक आपको मानसिक शांति की ओर ले जाने वाली चमत्कारिक शक्ति के साथ आपके जीवन को सफल बना देगी। हीलिंग टच के क्षेत्र में डॉ. पुनीत मेहता एक ख्याति प्राप्त नाम है। आपने सन् 2004 में एक्यूपंचर और मैग्नेट थेरेपी में डिप्लोमा किया और चिकित्सा जगत में एक नया अध्याय रचा, जिसे हीलिंग टच (स्पर्श चिकित्सा) नाम दिया। आपने विश्व के देशों सिंगापुर, मलेशिया, दुबई, मस्कट, बहरीन, नेपाल सहित अपने देश भारत में इस चिकित्सा क्षेत्र में 2500 सेमिनार आयोजित किए हैं। संगीत की ख्याति प्राप्त कंपनी टी-सीरिज की ओर से आपको वॉयस ऑफ हिमाचल अवार्ड प्राप्त हो चुका है। आपने संगीत साधना से स्वयं को स्वस्थ्य बनाने और मात्र हाथों के स्पर्श (हीलिंग टच) से रोगों को नष्ट करने का जो कार्य शुरू किया है उससे लगभग 3000 असाध्य रोगियों का स्वस्थ होना प्रमाणित हो चुका है। चिकित्सा की इस यात्रा में आप निरंतर गतिशील हैं।
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    मानवीय संबंधों में अहंकार के वर्चस्व पर कुठाराघात का एक प्रयास है डॉ. मुरारीलाल त्यागी की यह कृति--- हुकूमत-ए-सफलता का रहस्य - आइडिया कैन चेंज योर एचीवमेंट आप जीवन में भरपूर समृद्धि और आनंद प्राप्त करने के लिए प्रमुखता से अधिकारी हैं और आप इसे सहजता से प्राप्त भी कर सकते हैं। एक अत्यंत लंबे समय से डॉ. मुरारीलाल त्यागी जी ने सामाजिक, आध्यात्मिक, प्रेरणात्मक, व्यावसायिक तथा समय-समय पर समाज के विभिन्न मुद्दों को लेकर अनेक कृतियों का सृजन करने से पहले उनकी अनंत उपलब्धियों का गहनता से अध्ययन किया है। डॉ. मुरारीलाल त्यागी ने इस संसार के विभिन्न मनीषियों, विद्वत्जनों, संतों-महंतों और महान हस्तियों, दार्शनिकों के जीवन की प्रेरणात्मक बातों को गहराई से जाना है। इस प्रेरणादायी एवं असाधारण कृति में उनके इसी ज्ञान की जानकारी विस्तृत रूप में झलकती है। यह कृति हमें सिखाती है--- - तनावग्रस्तता से मुक्ति के अद्भुत उपाय। - तन-मन और धन के साथ आत्मिक शांति पाने का सहज और अचूक दिव्य ज्ञान। - समस्याओं, निराशा, चिंता, आलोचना और व्याधियों से छूट कर मन की शक्ति एवं खुशियाँ पाने के सरल सूत्र। - संबंधों में कड़वाहट को हटाने और समृद्धिदायक उम्दा उपाय। - चिंता-तनाव से मुक्ति दिलाने वाले सिद्ध उपायों का भंडार। - स्वस्थता एवं ऊर्जा का संग्रह करने के कारगर उपाय। - दीर्घायु प्राप्ति का रहस्य। डॉ.मुरारीलाल त्यागी की कृतियाँ आज सबसे अधिक लोकप्रिय और सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली कृतियों में शामिल हैं। उनकी बहुत सारी पुस्तकों (बैरिस्टर, ऊँची दीवार, म्लानमना, विदाई, बीमार कौन, दुःखान्त, संकल्पजयी, एक कदम और, वह कोई और, नया डायरेक्टर, मन उदास क्यों, बदलती लकीरें, हीरे मोती (संपादित), नई तालीम (नाटक), इंसानियत का पाठ (बाल साहित्य), प्यारे बच्चों (नैतिक शिक्षा)) की हजारों प्रतियाँ बिक चुकी हैं। डॉ. मुरारीलाल त्यागी समाज की भी प्रसिद्ध हस्ती हैं, जो बहुत ही सरल भाषा में विभिन्न सामाजिक, व्यावसायिक एवं आध्यात्मिक मुद्दों को अपनी लेखनी के द्वारा समय-समय पर प्रभावशाली तरीके से उठाते रहे हैं और लोगों को वास्तविकता का दर्शन कराने के साथ दिव्य ज्ञान उपलब्ध कराते रहे हैं। सत्प्रेरणा से परिपूर्ण एवं जीवन को आनंदमय बनाने का सतत् प्रवाह प्राप्त करने के लिए हुकूमत-ए-सफलता का रहस्य - आइडिया कैन चेंज योर एचीवमेंट का अनुसरण करें।