Novels, Fiction, Fantasy & Poetry

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    कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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    Safalta ke vyavharik aayam An impressive personality is the key to success. We bring for you in this book some of the essential changes that you must inculcate in your personality to be successful in life. Some real examples have been quoted in the book from the life of great people like Abraham Lincoln. Written by an eminent personality counselor Sanjeev Sharma, the book talks about many traits that influence our personality. The book highlights the impact of attributes like expression, inspiration, and so on. The book is must read for everyone who wants to be successful in life and improve their personality. Written in simple Hindi, this book is easy to understand. Read it till its very last page, implement the thoughts presented here and experience the change in your life.
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    This book 'Reasonable Future of Humanity' is dedicated mainly to those who are living a life deprived of those things which are necessary for daily life. Through this book the author wants to tell us all that while creating life on the Earth, the Almighty God endowed a man with an intelligent and generous nature which is still present in the existence of man. But for some reason, with the multiplication and development of people's relationships, a great degradation of morality, and misinterpretation of beautiful and useful man's nature existed for years before and still exists nowadays. 'Choogin Valeriy Vitalievich' was born on 22nd October, 1937, at Sverdlovsk in Russia. He is a Doctor of Technical Sciences, a Professor in the field of Mechanical Technology of Textile Materials, and an Academician in the Ukrainian Technology Academy. In July 2010, Almighty lifted his consciousness above clouds and opened his mind curtains to expand his foresight, and charged to it. Similarly, in August 2013, has lifted his consciousness much above the clouds and removed restrictions from his brain in the direction of deepening the measure of comprehensive real living conditions of the person and all living beings. In October 2013, Almighty entered the 3rd contact with the author instructing him to behave with the utility level provided to him towards mankind without hesitation.  Thus, this book is being published with the hope of the attention of many simple workers and citizens of all countries of the world.    
  • उन्नीसवीं सदी में इंग्लैंड के कुछ अंग्रेज उद्योगपति स्वतंत्र रूप से तथा मनमाने ढंग से भारतीय किसानों से नील की खेती अपनी शर्तों पर करवाते थे तथा उन्हें मामूली मेहनताना देकर नील उत्पादों को यूरोप एवं एशिया के बाजार में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाते थे। 1917 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए नील आंदोलन के बाद अंग्रेजों का नील उत्पाद से होने वाला मुनाफा काफी कम हो गया, जिसके कारण चम्पारण में बसे तकरीबन सभी अंग्रेज जमींदारों ने अपनी जमीन बेच दी और इंग्लैंड वापस चले गए। नील उत्पादन के काल में भारतीय समाज की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं औद्योगिक स्थिति एवं परिवेश का वर्णन इस पुस्तक में एक अंग्रेज रॉबर्ट परिवार के उत्थान-पतन एवं इंग्लैंड जाकर पुनः भारत वापसी की कहानी के माध्यम से किया गया है। जैक रोबट लंदन का एक अपराधी प्रवृत्ति का दबा विक्रता या तथा दया के दुरुपयोग से उसने कई लोगों की हत्या कर दी थी और उनके धन लूट लिए थे। पुस्तक के लेखक शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20.12.1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले का मच्छरगानों ग्राम में हुआ था। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इन्होंने हिंदी एवं अंग्रेजी में कई पुस्तकों की रचना की है। 'नालंदा से सोमनाथ तक', 'कुमारिल का आत्मदाह एवं झारखंड के 5000 वर्ष' इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।  
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    उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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    'लव जिहाद ...एक चिडिया'-धर्म और राजनीति की जंजीरों में जकड़ी हुई एक प्रेम कथा है, जिसमें सोनिया और साहिल का जब सच्चाई से सामना होता है, तो वे दोनों अपने आपको एक ऐसे मझधार में फंसा पाते है, जहाँ से निकल पाना नामुमकिन है। दोनों को अपने प्यार के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। 'प्यार' सिर्फ दिल देखता है, उसे किसी भी धर्म और समाज से कुछ लेना-देना नहीं होता। मगर, अफसोस सिर्फ इस बात का है कि 'कुछ गुमराह लोग' - जिने न तो धर्म का, न समाज का और न ही प्यार का सही-सही अर्थ पता है, समाज में बहुत मामूली-सी संख्या में होते हुए भी नासर की तरह फैले हुए है, जिनकी वजह से सभी को शर्मिदा होना पड़ता है। लव जिहाद को अलग ही अर्थों में बयान करती - 'सोनिया और साहिल' के सच्चे प्यार की यह कहानी - जो एक ओर तो दो प्रेमियों की विवशताओं को बयान करती है, वहीं दूसरी ओर समाज की दकियानूसी सोच पर चोट भी करती है। यह कहानी अपने अंत में आपको इसके भयावह परिणामों और कारणों पर सोचने के लिए विवश कर देगी। राम 'पुजारी' • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में सीनियर मैनेजर एवं कन्सल्टेंट के पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षका पुरस्कार प्राप्ति- इनके उपन्यास 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' के लिए। राजधानी रतन 2016 से पुरस्कृत किया गया है।  
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    Efforts have been made to preserve those usually untouched aspects of life in 'Life without Tears', which pose their presence in front of people in society. People tend to ignore their responsibilities towards elders in their family and society. The mentality of the people of today has become so narrow that they worry only about their children and in a sense, the nuclear family. In this fiction, relationships have been so woven into the whole theme that the reader attaches directly to the characters. An attempt has been made to depict the sweetness and bitterness in family relationships. In a situation like this, there are undoubtedly some people, with a positive approach, who dedicate themselves well to society in discharging their responsibilities towards it. A sincere effort has been made to make the characters intuitive and effective in the novel. They will be able to leave their indelible mark on the hearts of the readers. I got the motivation for writing this novel from my grandfather, who would always emphasize the charm in 'living for others'. Santosh Prasad relates to a farmer's family in the Belvan village of Gopalganj in Bihar. In the face of many inadequacies in life, he is in possession of a tendency to do something in the field of literature and entertainment. The thought of bringing up his grandfather's thoughts in front of people always kept him motivated. After studying and graduating from Bihar, he came over to Delhi to make his future golden, struggled a lot here but ultimately succeeded. Presently, he has established himself as a well-known businessman in the National Capital Delhi. Even today, he remembers the moments of inadequacies and inconveniences he experienced in his village. His village was devoid of good schools and colleges. He came to Delhi and learned the Korean language to move ahead and today has earned a good name in the field of 'Health and Fitness and Media'.  
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    When Travel Bug Bites Sam

    179.00
    The book is essentially a travel lounge. The travels take you to a hippie commune in New York, to grape picking in a small French village, to a Gandhi Ashram in France, witnessing bull fighting in Spain, spending a fortnight in the Great Sahara desert, seeing the world famous Pyramids, a boat ride through the heart of Lake Nasser, to a train journey through the sandy desert of Sudan, a unique truck journey from Khartoum through the Darfur region, to the dense equatorial forests and Pygmy lands of Congo, to the National Parks of Tanzania and much more.... Africa is a huge continent and the average reader is not very informed about its diversity or people. The book gives you a first-hand knowledge about a large part of Africa. While the northern parts are inhabited by Arab people, the central and southern parts are inhabited by black Africans. Most of this region were very underdeveloped at the time the travels were undertaken. As a result, only the very adventurous hitch hikers only attempted to traverse this region and seeing an Indian hitch hiker there was even more a rare phenomenon. The young adventurous readers will find the book very interesting as well as informative. The author is a Ph.D. in Chemistry from B.H.U. with a few years of research experience in Canadian Universities. He started his career as a scientist in CSIR lab, then moved on to industry as an R&D scientist and retired after a successful career. He has publications in national and international journals of repute and has contributed to books on advanced research topics. He is widely travelled and has active interest in current social issues. Post-retirement he has taken up writing as a hobby. His first book was published in 2008 on 'Global Warming' by Rupa & Co. To date, he has published five books, including two novels; this being the sixth one. He can be contacted through his e-mail address: dralokb@yahoo.co.in.
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    उपन्यास 'कैंडल लाइट चिकन' में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है। एक ही खून है एक ही दाता, मजहब में है किसने बाँटा,

    यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है? इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।

    संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की। लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।

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    One Rank One Pension, या समान पद समान पेंशन पाने के लिए लोगों ने संघर्ष किया। वह मिल भी गई है पर लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। आज भी लोग इसमें सुधार के लिए रैलियां कर रहे हैं। जस्टिस रेड्डी की समिति को इसमें कमियां दूर करने के लिए बनाया गया था, पर उसकी रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह मुद्दा आज भी खत्म नहीं हुआ है। लेखक ने यह महसूस किया कि लोगों में इसके बारे में जानकारी का अभाव है। अतः लेखक ने इस पुस्तक में पहली बार 'समान पद समान पेंशन' पर निष्पक्ष टिप्पणी दी है। उन्होंने इस विषय पर एक ऐसी संदर्भ पुस्तक बनाई है जिससे लोगों को यह पता चल सके कि आखिर विसंगति कहाँ व क्या है।

    श्री प्रवीण शर्मा का जन्म व शिक्षा, दिल्ली में हुई। 1988 में इन्होंने भारतीय वायु सेना में सेवा शुरू की। वहाँ वायुयान में तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला। सेवा के दौरान वायुयान में भारत के करीब हर क्षेत्र में जाने का अनुभव मिला। भारतीय वायु सेना में सेवा के दौरान थल सेना व नौ सेना के विभिन्न स्थलों व लोगों से मिलने का भी अनुभव प्राप्त हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की तथा बाद में एम.ए. व एम. फिल. (राजनीति शास्त्र) की उपाधि पाई। ये भारतीय वायु सेना में सार्जेंट (वरिष्ठ नोन कमीशन अधिकारी) के पद पर कार्यरत थे तथा 20 वर्ष की सेवा के पश्चात् वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में भारत सरकार के उपक्रम बी. एच. ई. एल., दिल्ली में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।

  • इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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    यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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    जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।

    आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।

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    किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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    It all started with a normal day when Sukhdev set out for his school. As the day progressed he experienced that it was the most unusual day of his life. He was beaten to death by strangers. The coming days were even worse which uprooted his entire family. A horrifying train journey…father missing… Now he was the ‘man’ of the family. An unknown country ‘Hindustan’ will be his home. Kanika Adlakha holds a post- graduation degree in English literature. She has earned a four year creative writing degree from Writers Bureau, London. She has been writing short stories and poems in various leading magazines in India. Professionally, she is the co-founder and Managing director of Cargopeople Logistics and Shipping Pvt. Ltd. based in New Delhi. This book is inspired by the stories she has grown up listening to from her Grand -parents and their relatives who had experienced the pain of partition themselves.
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    This book is a collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women who they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम' The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो' Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems by Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' ' This book is the collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women where they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम' The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो' Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems of Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' 'सखी,' and 'मौसम' have found a place in this collection. As can be seen from the titles of the poems themselves, these poems contain these young women's perceptions about various facets and life situations that have come from the core of their hearts. Looking at how the feelings are expressed so beautifully in these poems, we can expect many more writing contributions from them in the days to come. This book is a must-read for all those who want to relish contemporary young women's feelings.
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    एक रचनाकार की रचना में उसके जीवन का वह सच मौजूद होता है जिससे वह कहीं न कहीं दो-चार होता रहता है। प्रस्तुत काव्य संकलन 'अदृश्य सत्य' भी कवयित्री वन्दना गिरिधर जी के जीवन में प्राप्त हुए अनुभवों का एक निचोड़ है। जिस प्रकार जीवन जीने के लिए हवा, पानी, खाना तथा कपड़ों की आवश्यकता होना एक ऐसी सच्चाई है जो हमें प्रत्यक्ष दिखायी देती है, उसी प्रकार एक 'अदृश्य सत्य' भी है, जिसका सामना हमें दिन-प्रतिदिन के जीवन में करना पड़ता है जो कि हमें दिखाई नहीं पड़ता है, और वह सत्य है जीवन में आने वाली परीक्षाओं और कसौटियों पर खरा उतरखा। यह | 'अदृश्य सत्य' प्रत्येक मानव के जीवन की सच्चाई है जिसे इस पुस्तक के माध्यम से बन्दना जी ने अपने पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। वन्दना गिरिधर जन्मएक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षादिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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    दांव खेल पासे पलट गए ….उनके लिए जिन्होंने बाद में पढ़ना शुरू किया और ….उनके लिए जो नहीं जानते - श्री वेद प्रकाश काम्बोज कौन है! श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी लोकप्रिय साहित्य जगत के बहुत प्रसिद्ध एवं बहु-चर्चित लेखक हैं जिनके जासूसी उपन्यासों ने जासूसी उपन्यास जगत की दिशा ही बदल डाली और उसे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचाया। नए पाठकों के लिए बता दें कि रहस्य-रोमांच के जिस जासूसी संसार की बुनियाद बाबू देवकी नंदन खत्री जी ने डाली थी, उसी इमारत के निर्माण में हिंदी-उर्दू के कई लेखकों का योगदान रहा, जिनमें जासूसी दुनिया के लिए उर्दू जगत के महान जासूसी उपन्यासकार श्री इब्ने सफी एवं हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी का नाम उल्लेखनीय है। दोनों ही। महान उपन्यासकार थे। इन्हीं दोनों महान रचनाकारों की गंगा-जमुनी शैली का अद्भुत संगम श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी के रूप में हुआ। पाठकों के लिए यह एक नायाब तोहफा था, क्योंकि उन्हें एक साथ दोनों का आनंद श्री काम्बोज के उपन्यासों में मिलने लगा था, जिसमें एक ओर जासूसी दुनिया का सम्मोहन था तो दूसरी ओर रहस्य-रोमांच से भरे हुए कथानक। इनके उपन्यासों की मांग के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि इनके उपन्यासों की ब्लैक माकिटिंग भी होने लगी थी, क्योंकि इनके उपन्यास मार्किट में आते ही बिक जाया करते थे और पाठक फिर इन्हें मुंहमांगे दामों पर भी खरीदते थे। इनके पात्रों-विजय, रघुनाथ, ब्लैक बॉय और सिंगही, अल्फासें व गिलबर्ट के किस्से लोगों की। जुबान पर रहते थे।
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    STOP wasting your Potential.

    You are destined for a GREATER LIFE! Yes! ZERO TO HERO is the possibility of every human life.

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    Not to be missed in this book: ✔️ The Secret Hero Mind Hacks ✔️ Balancing the 3 Fs that make life worthwhile ✔️ Winning over the 3 Cs that distract you from becoming a Hero ✔️ The 5 Golden Rules for Living the best life possible

    Dr. Rakesh Arya is a scheduling Scientist with over 35 years of extensive work experience. A B.Com, M.B.A, and a Ph.D. degree holder, he has coached thousands of Industrialists and top Corporate Executives globally. His Training Programs are highly in demand.

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    The Whispering Force

    179.00
    ‘’The Whispering Force’’ is a magnificent fantasy set in an intriguing land full of wondrous creatures and magical happenings. It is a book that reiterates the age-old values of friendship, love, bravery and wisdom in an exotic backdrop. The twists and turns have been brilliantly written and keep the readers guessing. Ending in a thrilling climax, it keeps the reader hooked right through to the end in the battle of good v/s evil—a must-read for fans of the fantasy and thriller genre. Rishith Singh is currently doing his IGCSE A level in Computer Science and English. He was inspired to write his first book, “The Whispering Force” out of his love for reading. He loves travelling, and when he is not writing, he likes reading Harry Potter books, watching Marvel movies, or playing Mario Kart.