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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।
काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।
उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है। -
यह केवल एक पुस्तक नही, पति-पत्नी के बीच ताउम्र प्यार बने रहने की गारंटी देने वाला मैन्युअल है। एक घंटे में जो क्लैरिटी इस पुस्तक से मुझे मिली है वह मुझे अपने संपूर्ण षादीषुदा जीवन में अभी तक नही मिल पाई। यह पहली पुस्तक है जिसमें पति-पत्नी के संबंधों के उतार-चढ़ाव की इतनी अच्छी व्याख्या हुई है और वो भी समाधान सहित।
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“राशि-वृक्ष के माध्यम से ग्रह आरै नक्षत्र प्रभावित होते है। यह सुनकर तो मुझे अचंभा ही हुआ था. लेकिन जब स्थान पर छाये संकटीय बादलों को हटाने के लिए मुख्यद्वार के दोनों तरफ दिव्यतरु 'कल्पवक्ष' का रोपण करण तो उससे सृजित सकारात्मक ऊर्जा ने अल्पकाल में ही सर्वमंगल किया। इ. एम. के. सेठ, ITS, मुख्य महाप्रबंधक, भा. सं. नि. लि., गुवाहाटी (असम)
“ग्रीनमैन श्री बघेल जी ने मेरे 60वंं जन्मदिन पर पवित्र वृक्ष का रोपण कराया तो मैंने यह जाना कि कितना। आध्यात्मिक महत्त्व होता है इन वनस्पतियों में। सरदार जोगा सिंह, IFS, सेवानिवृत्त वन अधिकारी, यमुनानगर (हरियाणा)
“मेरे पति और हम दोनों ने मिलकर पूरे विधि-विधान से अपना राशि-वृक्ष लगाया। यह कार्य अत्यंत लोक कल्याणकारी साबित हो रहा है। सुश्रुश्री गुरुरी जनमेजेजा, PDG, लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल, मंडल-321सी, गाजियाबाद
“सेवानिवृत्त पौधारोपण का सुफल निश्चित मिलता है यह मेरा प्रमाणित अनुभव है। श्री राकेश चंद्रा, IAS, प्रशासनिक अधिकारी, लखनऊ
“मैंने अपनी राशि का दिव्यवृक्ष अपने घर पर लगाया जिसके फलस्वरूप मुझे जो सुखद अनुभूति हो रही है उसका वर्णन करने वाले शब्द मेरे पास नहीं हैं। श्री रोमिल बनिया, IPS, पुलिस अधिकारी, दिल्ली
“मेरी कल्पवृक्ष रोपित कर एक तीव्र मनोकामना की पूर्ति कितनी सहजता और सादगी से हो गई ये सब दिव्य वृक्ष के रोपण का ही प्रताप है। श्री कार्तिकेयन, उद्योगपति, इरोड (तमिलनाडु)
“गत वर्ष मैं अपने बेटे का 20वाँ जन्मदिन मनाने और सांसारिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए हमने पूरे वैदिक रीति-रिवाज द्वारा दिव्य-वृक्ष लगाने के परिणामस्वरूप आत्मिक संतुष्टि, सुख, शांति तथा वैभव मिला और कष्ट निवारण भी हुए। श्री सुधीर सिंह, एयरइंडिया अधिकारी, नई दिल्ली
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बच्चे हमारी परंपराओं के खैवनहार और देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक है कि उनके अंदर अच्छी आदतें पनपें। वे समय और शिक्षा का महत्त्व समझें, अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करें, अपने माता-पिता से कोई भी बात न छुपाएँ, स्वस्थ खान-पान और जीवन शैली अपनाएँ, प्रकृति से प्रेम करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुप्रयोग करने से बचें, अपने घर के काम में दिलचस्पी लें, जितना संभव हो हाथ भी बटाएँ, सड़क पार करते समय, अनजान व्यक्ति द्वारा घंटी बजाने पर घर का दरवाजा खोलते समय और ऊपर मंजिल पर खेलते समय भरपूर सावधानी बरतें। प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से बच्चों के अंदर ऊपर वर्णित सद्गुण/जानकारियों को भरने का प्रयास किया गया है।
अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए भी देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन-कार्य में सक्रिय बने रहे। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इन्हें अपनी बातों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में महारत हासिल है। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें बच्चों को उपयोगी और आवश्यक जानकारी देने वाली पुस्तक "गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा" लिखने के लिए प्रेरित किया है।
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Through this book, the author has made every possible effort to describe the good and bad approaches to love relations and married life.
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यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो इस रोग से ग्रसित हैं अथवा जो इस रोग के चंगुल में फंसना ही नहीं चाहते। इस पुस्तक में दर्पण अभ्यास पर भी प्रकाश डाला गया है जो आपको अपने अंदर मनुष्य के रूप में पूर्णता का अनुभव प्रदान करेगा । इस पुस्तक में मधुमेह मुक्त जीवन जीने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और योग के साथ साथ ‘ बैच फ्लावर रेमेडीज‘ के माध्यम से उपचार करने की विधि को भी प्रस्तुत किया गया है
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आचार्य अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हए भी आचार्य देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन कार्य में सक्रिय बने रहे तथा पिछले 15 वर्षों से प्राचीन भारतीय शास्त्रों जैसे-ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र व फेंग-शुई आदि के शोध कार्य में संलग्न रहे एवं इसी शोध कार्य पर लिखी एक पुस्तक "ज्योतिषः प्रेम-संबंध एवं वैवाहिक जीवन" के नाम से पाठकों के बीच आने के लिए तैयार है। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा धार्मिक व सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें जिंदगी के विभिन्न रंगों को अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से पाठकों तक पहुंचाने के लिए प्रेरित किया है। सतपाल "शिवोहम" ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. करने के पश्चात् एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की और पिछले 12 वर्षों से वकालत के पेशे में कार्यरत हैं। ये वकालत के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सामाजिक कार्यों में सतत् योगदान की वजह से ही ये लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अतिरिक्त पिछले कई वर्षों से ये लेखन कार्य में भी सक्रिय हैं। लोगों ने इनकी कविताओं को काफी सराहा है। इन्होंने भी अपने पाठकों के स्नेह को कविताओं में बाँधकर अपनी पुस्तक "दीवानगी की मधुशाला" के माध्यम से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास किया है।
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देव और भक्ति की बचपन की दोस्ती जब प्यार में बदलती है तभी हैरी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की दोनों के बीच में आ जाती है(क्यों?)। अपने प्यार को ढूंढना ही देव की जिंदगी का अब एक मात्र लक्ष्य है-क्योंकि भक्ति कहीं चली जाती है (क्यों?)! दोस्ती, प्रेम, विश्वास, आस्था, श्रद्धा और झूठ-फरेब की राहों से गुजरती हुई ये कहानी कभी आपको रुलाएगी तो कभी आपको अपनी प्रेम-कहानी याद दिलाएगी। और, कभी सोचने पर मजबूर कर देगी कि ऐसा क्यों हुआ! 'क्यों' का जवाब जानने के लिए पढ़ें--देव-भक्ति : आस्था का खेल दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राम 'पुजारी' को सामाजिक जनचेतना का लेखक माना जाता है। 'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' और 'लव जिहाद ...एक चिड़िया' के बाद राम 'पुजारी' का यह तीसरा उपन्यास है। अपने लेखन से सामाजिक समस्याओं पर सरल भाषा में सीधा चोट करना उनकी विशेष शैली है। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम ‘पुजारी’ सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक ‘राम पुजारी’ के नवीनतम उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को ‘मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक ‘राम पुजारी’ के उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है। E-Mail- rampujari2016@gmail.com Website- www.rampujari.com.
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यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण । मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना । लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें। पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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हमारे पीछे क्या है और हमारे अंदर क्या है इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं रह जाता जब इनकी तुलना हमारे अंदर क्या हैय् से की जाती है। इस पुस्तक में वषो पुरानी नीतिकथाएँ आपको अपनी आंतरिक क्षमताओं का एहसास कराएँगी तथा सफलता की ओर कदम बढ़ाने के लिए आपको प्रेरित करेंगी। आप अपने सपनों रूपी पहाड़ों की ओर आगे बढ़ने के लिए इनको एक प्ररेक उपकरण के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। ये कहानियाँ आपको साहस एवं शक्ति भी प्रदान करेंगी ताकि आप अपनी कठिनाइयों का दृढ़ता से सामना कर सकें। आइए, ये 52 कहानियाँ आपके लक्ष्य रूपी सपनों का पीछाकर आपको अजेय बनाने में आपकी सहायता करें ताकि आप सफलता के शीर्ष को छू सकें। मुकेश कुलौठिया एक उत्साही उद्यमी हैं, एक उत्सुक पाठक हैं और एक संवेदनशील वक्ता हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ तथा एम-एन-आई-टी-, जयपुर के पूर्व छात्र श्री कुलौठिया ने अपनी व्यावसायिक यात्र की शुरुआत आई-बी-एम- में अपने अत्यंत सफल कार्यकाल से की। एक दशक के उपरांत उन्होंने अपने मन की आवाज सुनकर वर्ष 2017 में एक उद्यमी के रूप में अपनी यात्र का आरंभ ‘मुस्कुरा दो प्रा-लि-’ नामक एक कंपनी के साथ किया जो कस्टमाइज्ड टी-शर्टस, अवार्ड तथा मार्केटिंग गिफ्रटस के व्यावसाय से जुड़ी थी। मुकेश एक उत्साही टोस्टमास्टर हैं जिन्होंने वर्ष 2016-17 में अपने जिले का नेतृत्व किया जिसने सभी मापदंडों पर रिकॉर्ड तोड़ते हुए विश्व में अपना शीर्ष स्थान बनाया। उनका दृढ़ विश्वास है कि इन कहानियों में जीवन को परिवर्तित करने की क्षमता है। कहानियों ने ही उनमें असली नेतृत्व कला का विकास किया तथा सफलता के पाठों को पढ़ाया जिनका प्रयोग वे अपने भाषणों में भी करते रहते हैं। दीपक शर्मा सेना के एक वीर सिपाही के सुपुत्र हैं। इस रूप में वे युद्ध की कहानियाँ, बलिदान तथा विजय की के किस्से सुन-सुनकर बड़े हुए हैं। अपनी व्यावसायिक यात्र के दौरान उन्होंने कई संस्थाओं में कार्य किया किंतु 39 वर्ष की आयु में उन्होंने एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी को छोड़ दिया और एक प्रशिक्षक तथा व्यावसायिक वक्ता बन गए। आज वे पूरे विश्व के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान वे टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल के जिले के विकास निदेशक भी रहे और उनकी मुख्य भूमिका में रहते क्लब ने विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनका विश्वास है कि सफलता एक ऐसा ताला है जो कई चाबियों से खुलता है। यह पुस्तक इन्हीं चाबियों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं, न तेरी हैं, ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं। संजोकर रखी थी कोने में, मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं ,इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली , मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही। नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये, इसलिए ये मेहनत की है। नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को। पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर, ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।
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आज पूरा विश्व इस बात से सहमत है कि मानव के मन और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में योग की विशेष भूमिका है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही अब प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के रूप में मनाया जाता है।लेखक ने इस पुस्तक में इस महत्वपूर्ण विषय की अवधारणाओं को अत्यंत सरल भाषा में जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पक्षों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ योग द्वारा सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह पुस्तक योग के जिज्ञासुओं के लिए एक वरदान साबित होगी। योग परंपरा में दीक्षित योगाचार्य श्री. गिरजा शंकर उपाध्याय योग की दुनिया में एक नया नाम हैं। ये एम डी एक्यू, मुख्य योग शिक्षक (पतंजलि योग समिति), योग प्रशिक्षक (Yoga Certification Board) तथा विशिष्ट योग एवं सनातन योग के साथ साथ एक्यूप्रेशर जैसी विधाओं के गहनतम ज्ञान से सुशोभित हैं। आज के तनाव से भरे जीवन में योग एक संजीवनी है। इसी से प्रेरित होकर लेखक ने इस पुस्तक में मानव जीवन के कल्याण के संकल्प के साथ योग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से समाज को और भी बहुत आशाएं हैं।
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Ayurveda Tips on concentration, focus, & memory power) is the perfect resource! This book features everything you need to improve your concentration, memory power, health, and peace of mind with yoga, and includes additional information Everything you Need To make Yoga an Integral Part of Your Health and Well-being (For Students & Everyone)
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डॉक्टर एस. एस. गोला ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष कोविद तथा ज्योतिष वाचस्पति हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनको दो बार सम्मानित किया जा चुका है। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे लगातार 9 से 10 घंटे की समाधि ले लेते थे।
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किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता व श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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प्रस्तुत पुस्तक ‘वृक्ष लगाएँः ग्रहों को अपने अनुकूल बनाएँ’ में इन तथ्यों का विस्तृत एवं स्पष्ट विवरण दिया गया है। यह पुस्तक आपको बताएगी कि अपनी राशि का वृक्ष लगाकर आप किस प्रकार सुख-समृद्धि एवं अलौकिक आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस पुस्तक का अध्ययन करके आप स्वयं ही जान सकते हैं कि कौन-सा ग्रह आपके अनुकूल है, और कौन-सा ग्रह नहीं तथा प्रतिकूल ग्रह को केसे शांत किया जाए। दुनिया में ग्रीनमैन के नाम से जाने जाने वाले ख्यातिप्राप्त पर्यावरणविद श्री विजयपाल बघेल इस पुस्तक के लेखक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन वृक्ष सम्पदा के लिए समर्पित किया हुआ है। पेड़ के आध्यात्मिक, औषधीय, पर्यावरणीय, सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व की पौराणिक मान्यताओं को पुनःस्थापित करने के मिशन का संचालन असंख्य पर्यावरण प्रेमियों को जोड़कर कर रहे हैं। सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र पाने वाले श्री बघेल इस युग में ‘हरित ऋषि’ की भूमिका निभा रहे हैं। पेड़ों के प्रति अगाध आत्मीय संबंध रखने वाले ये लेखक वृक्षों के आध्यात्मिक महत्त्व को विज्ञान के साथ जोड़कर अपनी अनुभवी लेखनी का प्रयोग लोक कल्याण के लिए साहित्य लेखन द्वारा भरपूर कर रहे हैं। इस पुस्तक के सहयोगी लेखक श्री दिनेश वर्मा जाने-माने लेखक, समर्पित समाजसेवी, अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले एवं मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे हमेशा इस दिशा में प्रयत्नशील रहते हैं कि समाज में रहने वाले सभी व्यक्ति, स्वस्थ, शांत एवं प्रसन्नतापूर्ण जीवन व्यतीत करें। प्रस्तुत पुस्तक भी इसी दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों का एक भाग है। इस पुस्तक के एक अन्य सहयोगी लेखक श्री विनय कंसल ‘पर्यावरण श्री (मानद उपाधि)’ एवं कई अन्य पुरस्कारों से पुरस्कृत तथा सुविख्यात पर्यावरणविद् हैं। आज धरती का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी कारण से त्रस्त, परेशान तथा तनावग्रस्त है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मनुष्य पूजा-पाठ, ज्योतिष, ग्रह-शांति आदि का सहारा लेता है। क्योंकि वनस्पति सहित सम्पूर्ण प्राणी जगत एवं ग्रहों सहित समस्त सौर-परिवार प्रकृति के ही भाग हैं, अतः वृक्षों से तथा ग्रहों से हमारा अटूट रिश्ता है।