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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।
काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।
उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है। -
यह केवल एक पुस्तक नही, पति-पत्नी के बीच ताउम्र प्यार बने रहने की गारंटी देने वाला मैन्युअल है। एक घंटे में जो क्लैरिटी इस पुस्तक से मुझे मिली है वह मुझे अपने संपूर्ण षादीषुदा जीवन में अभी तक नही मिल पाई। यह पहली पुस्तक है जिसमें पति-पत्नी के संबंधों के उतार-चढ़ाव की इतनी अच्छी व्याख्या हुई है और वो भी समाधान सहित।
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“राशि-वृक्ष के माध्यम से ग्रह आरै नक्षत्र प्रभावित होते है। यह सुनकर तो मुझे अचंभा ही हुआ था. लेकिन जब स्थान पर छाये संकटीय बादलों को हटाने के लिए मुख्यद्वार के दोनों तरफ दिव्यतरु 'कल्पवक्ष' का रोपण करण तो उससे सृजित सकारात्मक ऊर्जा ने अल्पकाल में ही सर्वमंगल किया। इ. एम. के. सेठ, ITS, मुख्य महाप्रबंधक, भा. सं. नि. लि., गुवाहाटी (असम)
“ग्रीनमैन श्री बघेल जी ने मेरे 60वंं जन्मदिन पर पवित्र वृक्ष का रोपण कराया तो मैंने यह जाना कि कितना। आध्यात्मिक महत्त्व होता है इन वनस्पतियों में। सरदार जोगा सिंह, IFS, सेवानिवृत्त वन अधिकारी, यमुनानगर (हरियाणा)
“मेरे पति और हम दोनों ने मिलकर पूरे विधि-विधान से अपना राशि-वृक्ष लगाया। यह कार्य अत्यंत लोक कल्याणकारी साबित हो रहा है। सुश्रुश्री गुरुरी जनमेजेजा, PDG, लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल, मंडल-321सी, गाजियाबाद
“सेवानिवृत्त पौधारोपण का सुफल निश्चित मिलता है यह मेरा प्रमाणित अनुभव है। श्री राकेश चंद्रा, IAS, प्रशासनिक अधिकारी, लखनऊ
“मैंने अपनी राशि का दिव्यवृक्ष अपने घर पर लगाया जिसके फलस्वरूप मुझे जो सुखद अनुभूति हो रही है उसका वर्णन करने वाले शब्द मेरे पास नहीं हैं। श्री रोमिल बनिया, IPS, पुलिस अधिकारी, दिल्ली
“मेरी कल्पवृक्ष रोपित कर एक तीव्र मनोकामना की पूर्ति कितनी सहजता और सादगी से हो गई ये सब दिव्य वृक्ष के रोपण का ही प्रताप है। श्री कार्तिकेयन, उद्योगपति, इरोड (तमिलनाडु)
“गत वर्ष मैं अपने बेटे का 20वाँ जन्मदिन मनाने और सांसारिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए हमने पूरे वैदिक रीति-रिवाज द्वारा दिव्य-वृक्ष लगाने के परिणामस्वरूप आत्मिक संतुष्टि, सुख, शांति तथा वैभव मिला और कष्ट निवारण भी हुए। श्री सुधीर सिंह, एयरइंडिया अधिकारी, नई दिल्ली
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उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में मात्र 5% लोग ही एक भरपूर जिंदगी जीने का फार्मूला जानते हैं ? और "इंडिया स्किल कैपिटल" नामक यह पुस्तक न केवल इस प्रमाणित फार्मूले का खुलासा करती है अपितु उस कार्य-प्रणाली को लागू करने के व्यावहारिक तरीकों से भी अवगत कराती है। इस पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाश-बिंदु इस प्रकार हैं * यह आज के प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में सफलता के पीछे के रहस्यों को उद्घाटित करने में आपकी सहायता करती है। * यह इस बात से भी आपको अवगत कराती है कि क्यों और कौन सा कौशल (स्किल) सफलता के लिए आपका छिपा हुआ हथियार है। * सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह आप को पैसे कमाने की मशीन के रूप में परिवर्तित कर अमीर बनने के लिए सशक्त करती है। "इंडिया स्किल कैपिटल" का मुख्य फोकस आप को अनूठे अनुभवों से तथा नए भारत के युवाओं के लिए प्रमाणित समाधानों से अवगत कराना है। यह पुस्तक इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली क्यों और किस प्रकार मानसिक गुलामी वाले नमूने (क्लोन) तैयार कर रहीं है। यह पुस्तक इस बात का भी दृढता- पूर्वक तथा तथ्यात्मक रूप से खुलासा करती है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में युवा वर्ग बेरोजगार क्यों है। कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य, जिन पर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है, वे इस प्रकार हैं * वर्तमान शिक्षा व्यवस्था आज के युग की माँग की दृष्टि से अनुपयुक्त प्रणाली है । * भारत में शिक्षा एक बड़ा कारोबार है तथा प्रमाण-पत्र ही केवल उसके अंतिम उत्पाद हैं। यह पुस्तक आपके लिए लीक से हटकर नए रास्तों का अनावरण करती है ताकि निश्चित सफलता प्राप्त करने के लिए आप उन पर विचार करके उनका अनुसरण कर सकें। यदि आप "सफलता के नियमों को सीखना चाहते हैं और अपने नाम के समक्ष शानदार उपलब्धियां दर्ज कराना चाहते हैं" तो यह पुस्तक आपके लिए आवश्यक रूप से पठनीय है। इसके साथ ही यह पुस्तक आप ही के लिए है यदि आप; * यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कुछ लोग अपने निजी ब्राँड को विकसित करके कैसे इतनें ज्यादा अमीर बन गए? * यह सीखने के इच्छुक हैं कि "ब्रांड" कैसे बना जाए? और * निष्क्रिय आय(पैसिव इनकम) के फार्मूले सीखना चाहते हैं।"इंडिया स्किल कैपिटल" नामक यह पुस्तक इतनी सरल भाषा में लिखी गई है कि भाषा की सामान्य जानकारी रखने वाला व्यक्ति भी इसको पढ़ने का आनंद उठा सकेगा।आपके स्व- परिवर्तन की शुभकामनाओं के साथ !
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उपन्यास 'कैंडल लाइट चिकन' में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है। एक ही खून है एक ही दाता, मजहब में है किसने बाँटा,
यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है? इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की। लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।
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जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।
आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो इस रोग से ग्रसित हैं अथवा जो इस रोग के चंगुल में फंसना ही नहीं चाहते। इस पुस्तक में दर्पण अभ्यास पर भी प्रकाश डाला गया है जो आपको अपने अंदर मनुष्य के रूप में पूर्णता का अनुभव प्रदान करेगा । इस पुस्तक में मधुमेह मुक्त जीवन जीने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और योग के साथ साथ ‘ बैच फ्लावर रेमेडीज‘ के माध्यम से उपचार करने की विधि को भी प्रस्तुत किया गया है
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इस पुस्तक में रक्तिम जी ने फ्रेमवर्क के संस्थानीकरण अनुभवों के औद्योगिकीकरण प्रक्रियाओं के इंस्ट्रूमेंटेशन आई टी के डेमोक्रेटाइजेशन तथा एंटरप्राइस एप्स के कन्ज्यूमराइज़ेशन पर बल दिया है ताकि वैश्विक व्यापार को डिजिटल में बदलने के लिए उस स्ट्रक्चरल मार्ग को तैयार किया जा सके जिसकी व्यापार जगत को बहुत अधिाक आवश्यकता है। इस पुस्तक के पाठकों के लिए ग्रहण करने वाली मुख्य बात ACID नामक फ्रेमवर्क है जिसकी व्याख्या रक्तिम जी ने चार भागों में बड़े उत्साह के साथ की है। उन्होंने ACID (अर्थात् AI, CLOUD, I oT और Data), जो कि डिजिटल परिवर्तन के आधार स्तंभ हैं की व्याख्या विभिन्न उधोंगो से चुनी गई प्रेक्टिकल केस स्टडीज के आधार पर की है। ~ Rajashekara Visweswara Maiya VP, Global Head-Business Consulting-Finale at Infosys इस पुस्तक की विषय-सामग्री को पढ़कर कोई भी आसानी से इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि यह डिजिटलाइजेशन और व्यापार में परिवर्तन से जुड़े प्रेक्टिशनरों की सहायता के लिए किसी प्रेक्टिशनर की इस क्षेत्र में 25 वर्षों से भी अधिक समय तक की गई तपस्या का परिणाम है। रक्तिम ने IIT BHU से B.Tech. किया हैं। उन्होंने वर्ष 1995 में Infosys के FINACLE को ज्वाइन किया। उन्हें सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के डेवलपमेंट का 25 वर्षों से अधिाक का लम्बा अनुभव है। रक्तिम का डिजिटल क्षेत्र के प्रति विशेष उत्साह है और उन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर डिजिटल परिवर्तन“ विषय पर अनेक ब्लॉग भी प्रकाशित किए हैं। रक्तिम नें TEDx में डिजिटल परिवर्तन पर अपना Talk दिया है।
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देव और भक्ति की बचपन की दोस्ती जब प्यार में बदलती है तभी हैरी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की दोनों के बीच में आ जाती है(क्यों?)। अपने प्यार को ढूंढना ही देव की जिंदगी का अब एक मात्र लक्ष्य है-क्योंकि भक्ति कहीं चली जाती है (क्यों?)! दोस्ती, प्रेम, विश्वास, आस्था, श्रद्धा और झूठ-फरेब की राहों से गुजरती हुई ये कहानी कभी आपको रुलाएगी तो कभी आपको अपनी प्रेम-कहानी याद दिलाएगी। और, कभी सोचने पर मजबूर कर देगी कि ऐसा क्यों हुआ! 'क्यों' का जवाब जानने के लिए पढ़ें--देव-भक्ति : आस्था का खेल दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट राम 'पुजारी' को सामाजिक जनचेतना का लेखक माना जाता है। 'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' और 'लव जिहाद ...एक चिड़िया' के बाद राम 'पुजारी' का यह तीसरा उपन्यास है। अपने लेखन से सामाजिक समस्याओं पर सरल भाषा में सीधा चोट करना उनकी विशेष शैली है। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम ‘पुजारी’ सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक ‘राम पुजारी’ के नवीनतम उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को ‘मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक ‘राम पुजारी’ के उपन्यास ‘अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी’ की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है। E-Mail- rampujari2016@gmail.com Website- www.rampujari.com.
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यू तो यह 'फिक्शन बुक' एक साधारण-सी भारतीय महिला विमला की किसी भी औरत या स्त्री के विभिन्न स्वरूपों जैसे बेटी, पत्नी, बहू, मां, बहन, सहेली आदि में सच्चाई एवं ईमानदारी के साथ निभाई गई एक यथार्थपरक एवं कल्पनामय कहानी है, ...एक साधारण भारतीय लेकिन विकट परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान पर अडिग रहकर हर महिला की असाधारण कहानी परिस्थिति का डटकर सामना करने के अदम्य साहस के कारण विमला न केवल भारत वरन् पूरे विश्व की किसी भी महिला के आदर्श चरित्र एवं साहस की प्रतीकात्मक प्रेरणा बन सहज ही असाधारण पात्र हो जाती है। वास्तव में आज के दौर में तनाव से जूझते एक युवा एवं पुराने दौर की एक साधारण सी स्त्री उसकी माँ विमला का हर दर के परिप्रेक्ष्य में अदम्य साहस के साथ अपने बेटे को प्रेरित कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने एवं उसको तनाव से मुक्ति दिलाने की अनूठी दास्तान है-"देवी विमला. ...एक साधारण भारतीय महिला की असाधारण कहानी" हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली की एक नई विधा 'फिल्म-पटकथा लेखन' का सूत्रपात कर इसे विकसित करने को कृत-संकल्प तथा बतौर स्वतंत्र लेखक स्वयं को स्थापित करने हेतु प्रयासरत युवा लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी मूलतः एक मौलिक स्क्रिप्टराइटर एवं गीतकार हैं, जिनकी शौकिया एक अलग गायन शैली भी हैं। पर्यटन प्रशासन एवं प्रबंधन में यू.जी.सी.-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से एम.भी.ए, इन टूरिज्म मैनेजमेंट तथा लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनक से मॉस्टर्स इन मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधियाँ भी प्राप्त की हैं।
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इस्लाम का अर्थ है- ईश्वर एवं शान्ति के प्रति पूर्ण समर्पण । मुसलमान का अर्थ है खुदा एवं उसकी खुदाई के प्रति पूरे ईमान के साथ पेश आना एवं ईमानदारी के साथ आचरण करना । लेकिन इस्लाम के उदय के बाद अब तक कुछ राजनीतिक, आक्रामक एवं निहित स्वार्थ के लिए लोगों ने अपने गलत मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का इतना गलत एवं बेतरतीब इस्तेमाल किया कि उसकी मूल परिभाषा ही बदल गयी तथा अवाम के सामने इसकी ऐसी आभासी छवि बन गई जिसका हकदार इस्लाम कदापि नहीं है। इस्लाम की परिभाषा द्वारा स्थापित मान्यताएँ एवं मानदंड किसी सुल्तान या मुसलमान को यह इजाजत नहीं देते कि वे इंसानियत को तबाह कर अपने स्वार्थजनित लालचपूर्ण मंसूबों को अंजाम देने के लिए इस्लाम का दुरुपयोग करें। पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20-12-1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगाँवा ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम राहांता देवी है। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के अतिरिक्त इनकी विशेष रुचि इतिहास, दर्शन-शास्त्र, खगोल-शास्त्र, पर्यावरण संरक्षण एवं खेल में रही जिसने इनको कई पुस्तकों की रचना के लिए प्रेरित किया।
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अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है और अब तो पूरे विश्व ने मान लिया है कि इस कार्य के लिए नैचुरोपैथी से बेहतर कोई दूसरा उपाय नहीं है। इसके महत्व को ध्यान में रखकर ही भारत सरकार ने प्रतिवर्ष 18 नवम्बर को "नैचुरोपैथी दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस पद्धति में किसी भी दुष्प्रभाव के बिना केवल आहार और विहार के माध्यम से शरीर को स्वस्थ रखने की व्यवस्था है। इस पुस्तक में नैचुरोपैथी के सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों पक्षों पर व्यापक प्रकाश डाला गया है। आज का समाज स्वास्थ्य से संबंधित समुचित जानकारी के अभाव में जिन असाध्य रोगों यथा: कैंसर, पक्षाघात, हृदय रोग, डायबिटीज़,उच्च रक्तचाप,मोटापा आदि का शिकार बनता जा रहा है, यह पुस्तक इनसे बचने और साथ ही इनके उपचार में विशेष भूमिका निभाएगी। शारीरिक विकारों से ग्रस्त मानव समाज को यह पुस्तक एक नई संजीवनी प्रदान करने में सक्षम सिद्ध होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. तथा एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीयकृत बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक पद से रिटायर कृष्ण लाल अरोड़ा एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। समाज सेवा के क्षेत्र में भी ये अपने निरंतर योगदान के लिए जाने जाते हैं। आज के समय में नैचुरोपैथी की असीम उपयोगिता को देखते हुए इनकी रुचि इस ओर भी जागृत हुई और इन्होंने इस विषय पर उपलब्ध पाठ्य सामग्री का गहन अध्ययन किया। साथ ही इस क्षेत्र में कार्यरत कुछ प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनसे व्यापक विचार-विमर्श भी किया। इन माध्यमों से प्राप्त ज्ञान तथा स्वय पर किए उसके सफल प्रयोगों को ही इन्होंने सार रूप में इस पुस्तक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
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समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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पशुपालन में अपनी आमदनी को दस गुणा कैसे बढ़ाएँ?
क्या आप पशुपालन से होने वाली अपनी आमदनी से संतुष्ट नहीं हैं ? क्या आप इस आमदनी को कई गुणा बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप पशुपालन के दौरान अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनका कोई उचित समाधान आपको नहीं मिल पा रहा है?
तो अब आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ संजय नरवाल की यह पुस्तक आपके उपर्युक्त सभी प्रश्नों और समस्याओं का सटीक समाधान लेकर आपके सामने प्रस्तुत है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः अपने पशुओं की ठीक से देखभाल करना और उनको स्वस्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस ओर समुचित ध्यान न देने पर ये अस्वस्थ एवं कमजोर हो सकते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है। यहां तक कि समुचित चिकित्सा के अभाव में कुछ पशु बीमार होकर मर भी सकते हैं। ऐसा प्रायः पशुपालकों को पशुपालन संबंधी समुचित जानकारी न होने के कारण ही होता है। इस पुस्तक में पशुओं के पालन-पोषण से जुड़ी प्रायः सभी प्रकार की जानकारी को एक ही स्थान पर उपलब्ध करा दिया गया है।
पुस्तक की विषयवस्तु को सुविधा की दृष्टि से 15 अध्यायों में विभाजित करते हुए प्रत्येक अध्याय में इस विषय से जुड़े किसी एक पक्ष पर इस प्रकार प्रकाश डाला गया है ताकि इस विषय से जुड़ा कोई भी पक्ष अछूता नहीं रह सके।पुस्तक के लेखक इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पशुपालन में दो साल का डिप्लोमा कोर्स कियाऔर एम. बी.ए. की उपाधि भी प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त ज्ञान का उपयोग उन्होंने बाद में पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के मिशन के लिए किया।
हमें पूरा विश्वास है कि पशुपालन से जुड़े लोग इस पुस्तक से लाभ उठा कर अपनी आमदनी को निश्चित रूप से कई गुणा बढ़ा सकने में सक्षम हो सकेंगे।
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हमारे पीछे क्या है और हमारे अंदर क्या है इनका कोई विशेष महत्त्व नहीं रह जाता जब इनकी तुलना हमारे अंदर क्या हैय् से की जाती है। इस पुस्तक में वषो पुरानी नीतिकथाएँ आपको अपनी आंतरिक क्षमताओं का एहसास कराएँगी तथा सफलता की ओर कदम बढ़ाने के लिए आपको प्रेरित करेंगी। आप अपने सपनों रूपी पहाड़ों की ओर आगे बढ़ने के लिए इनको एक प्ररेक उपकरण के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। ये कहानियाँ आपको साहस एवं शक्ति भी प्रदान करेंगी ताकि आप अपनी कठिनाइयों का दृढ़ता से सामना कर सकें। आइए, ये 52 कहानियाँ आपके लक्ष्य रूपी सपनों का पीछाकर आपको अजेय बनाने में आपकी सहायता करें ताकि आप सफलता के शीर्ष को छू सकें। मुकेश कुलौठिया एक उत्साही उद्यमी हैं, एक उत्सुक पाठक हैं और एक संवेदनशील वक्ता हैं। भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ तथा एम-एन-आई-टी-, जयपुर के पूर्व छात्र श्री कुलौठिया ने अपनी व्यावसायिक यात्र की शुरुआत आई-बी-एम- में अपने अत्यंत सफल कार्यकाल से की। एक दशक के उपरांत उन्होंने अपने मन की आवाज सुनकर वर्ष 2017 में एक उद्यमी के रूप में अपनी यात्र का आरंभ ‘मुस्कुरा दो प्रा-लि-’ नामक एक कंपनी के साथ किया जो कस्टमाइज्ड टी-शर्टस, अवार्ड तथा मार्केटिंग गिफ्रटस के व्यावसाय से जुड़ी थी। मुकेश एक उत्साही टोस्टमास्टर हैं जिन्होंने वर्ष 2016-17 में अपने जिले का नेतृत्व किया जिसने सभी मापदंडों पर रिकॉर्ड तोड़ते हुए विश्व में अपना शीर्ष स्थान बनाया। उनका दृढ़ विश्वास है कि इन कहानियों में जीवन को परिवर्तित करने की क्षमता है। कहानियों ने ही उनमें असली नेतृत्व कला का विकास किया तथा सफलता के पाठों को पढ़ाया जिनका प्रयोग वे अपने भाषणों में भी करते रहते हैं। दीपक शर्मा सेना के एक वीर सिपाही के सुपुत्र हैं। इस रूप में वे युद्ध की कहानियाँ, बलिदान तथा विजय की के किस्से सुन-सुनकर बड़े हुए हैं। अपनी व्यावसायिक यात्र के दौरान उन्होंने कई संस्थाओं में कार्य किया किंतु 39 वर्ष की आयु में उन्होंने एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी को छोड़ दिया और एक प्रशिक्षक तथा व्यावसायिक वक्ता बन गए। आज वे पूरे विश्व के लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रेरित कर रहे हैं। वर्ष 2016-17 के दौरान वे टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल के जिले के विकास निदेशक भी रहे और उनकी मुख्य भूमिका में रहते क्लब ने विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उनका विश्वास है कि सफलता एक ऐसा ताला है जो कई चाबियों से खुलता है। यह पुस्तक इन्हीं चाबियों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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यह पुस्तक पाठकों की जिंदगी को बेहतर करने की गारंटी देता है। लेखक का दावा है कि अगर पाठक इस पुस्तक में दी हुई तथ्यों और निर्देशों का अक्षरशः पालन करने के बावजूद भी अपने जीवन में उल्लेखनीय बदलाव नहीं महसूस कर पाते हैं, तो इस स्थिति में इस पुस्तक की लागत मूल्य उन्हें वापस मिल जाएगी।
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आज पूरा विश्व इस बात से सहमत है कि मानव के मन और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में योग की विशेष भूमिका है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही अब प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के रूप में मनाया जाता है।लेखक ने इस पुस्तक में इस महत्वपूर्ण विषय की अवधारणाओं को अत्यंत सरल भाषा में जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पक्षों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ योग द्वारा सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह पुस्तक योग के जिज्ञासुओं के लिए एक वरदान साबित होगी। योग परंपरा में दीक्षित योगाचार्य श्री. गिरजा शंकर उपाध्याय योग की दुनिया में एक नया नाम हैं। ये एम डी एक्यू, मुख्य योग शिक्षक (पतंजलि योग समिति), योग प्रशिक्षक (Yoga Certification Board) तथा विशिष्ट योग एवं सनातन योग के साथ साथ एक्यूप्रेशर जैसी विधाओं के गहनतम ज्ञान से सुशोभित हैं। आज के तनाव से भरे जीवन में योग एक संजीवनी है। इसी से प्रेरित होकर लेखक ने इस पुस्तक में मानव जीवन के कल्याण के संकल्प के साथ योग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से समाज को और भी बहुत आशाएं हैं।