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    उपन्यासः 'पतंग संग डोर' की कहानी दो युवा दिलों के उड़ती पतंगों के समूह के माध्यम से हुये अटूट मिलन की बड़ी ही अनूठी एवं मार्मिक अद्भुत कहानी है मानो सात जन्मों जैसा मिलन। इसकी शुरूआत आपके दिल में प्यार के अंकुर खिला देगी और कहानी का अन्त आपकी आँखें भर देगा। मुझे उम्मीद है पाठक 'पतंग संग डोर' को बार-बार पढ़ना चाहेगा।

    पुस्तक के लेखक ओमप्रकाश चौहान का जन्म 10 जनवरी, 1952 को दिल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम (स्व.) श्री रेवती लाल चौहान एवं माता का नाम (स्व.) श्रीमती भगवती देवी है। इन्होंने सीनियर सुपरिटेंडेंट, अंतर्राष्ट्रीय विमान प्राधिकरण, भारत सरकार, आई.जी.आई., दिल्ली के पद पर रहते हुए अवकाश प्राप्त किया। साहित्य-सृजन, अभिनय एवं नाटक निर्देशन में इनकी गहन रुचि रही है। नाटक 'मैली हवेली' का इन्होंने दो बार (1981 एवं 1982) मंचन किया। सन् 1982 से 1995 तक ये नेशनल एयरपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की हिन्दी पत्रिका 'चेतना' की संपादकीय परिषद के सदस्य रहे। उस पत्रिका में इनकी कई लघु कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हुईं। सन् 1982 में लेखक ने रिलिना फिल्म्स की फिल्म 'बाँहों के घेरे में' के लिए स्क्रीन प्ले एवं डायलॉग लिखे। सन् 1983-84 में साहित्य कला परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय नाटक लेखन प्रतियोगिता में भी इनकी भागीदारी रही। साथ ही, अन्य दो नाटक 'मैला आदमी' एवं कॉप उठा संसार' भी सर्वत्र चर्चित व प्रशंसित हुए।

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    समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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    दांव खेल पासे पलट गए ….उनके लिए जिन्होंने बाद में पढ़ना शुरू किया और ….उनके लिए जो नहीं जानते - श्री वेद प्रकाश काम्बोज कौन है! श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी लोकप्रिय साहित्य जगत के बहुत प्रसिद्ध एवं बहु-चर्चित लेखक हैं जिनके जासूसी उपन्यासों ने जासूसी उपन्यास जगत की दिशा ही बदल डाली और उसे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचाया। नए पाठकों के लिए बता दें कि रहस्य-रोमांच के जिस जासूसी संसार की बुनियाद बाबू देवकी नंदन खत्री जी ने डाली थी, उसी इमारत के निर्माण में हिंदी-उर्दू के कई लेखकों का योगदान रहा, जिनमें जासूसी दुनिया के लिए उर्दू जगत के महान जासूसी उपन्यासकार श्री इब्ने सफी एवं हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी का नाम उल्लेखनीय है। दोनों ही। महान उपन्यासकार थे। इन्हीं दोनों महान रचनाकारों की गंगा-जमुनी शैली का अद्भुत संगम श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी के रूप में हुआ। पाठकों के लिए यह एक नायाब तोहफा था, क्योंकि उन्हें एक साथ दोनों का आनंद श्री काम्बोज के उपन्यासों में मिलने लगा था, जिसमें एक ओर जासूसी दुनिया का सम्मोहन था तो दूसरी ओर रहस्य-रोमांच से भरे हुए कथानक। इनके उपन्यासों की मांग के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि इनके उपन्यासों की ब्लैक माकिटिंग भी होने लगी थी, क्योंकि इनके उपन्यास मार्किट में आते ही बिक जाया करते थे और पाठक फिर इन्हें मुंहमांगे दामों पर भी खरीदते थे। इनके पात्रों-विजय, रघुनाथ, ब्लैक बॉय और सिंगही, अल्फासें व गिलबर्ट के किस्से लोगों की। जुबान पर रहते थे।
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    उपन्यास 'कैंडल लाइट चिकन' में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है। एक ही खून है एक ही दाता, मजहब में है किसने बाँटा,

    यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है? इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।

    संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की। लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।

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    उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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    The Whispering Force

    Original price was: ₹199.00.Current price is: ₹179.00.
    ‘’The Whispering Force’’ is a magnificent fantasy set in an intriguing land full of wondrous creatures and magical happenings. It is a book that reiterates the age-old values of friendship, love, bravery and wisdom in an exotic backdrop. The twists and turns have been brilliantly written and keep the readers guessing. Ending in a thrilling climax, it keeps the reader hooked right through to the end in the battle of good v/s evil—a must-read for fans of the fantasy and thriller genre. Rishith Singh is currently doing his IGCSE A level in Computer Science and English. He was inspired to write his first book, “The Whispering Force” out of his love for reading. He loves travelling, and when he is not writing, he likes reading Harry Potter books, watching Marvel movies, or playing Mario Kart.  
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    Life Without Tears: A Truth About Precious Relationships

    Original price was: ₹177.00.Current price is: ₹159.00.
    Efforts have been made to preserve those usually untouched aspects of life in 'Life without Tears', which pose their presence in front of people in society. People tend to ignore their responsibilities towards elders in their family and society. The mentality of the people of today has become so narrow that they worry only about their children and in a sense, the nuclear family. In this fiction, relationships have been so woven into the whole theme that the reader attaches directly to the characters. An attempt has been made to depict the sweetness and bitterness in family relationships. In a situation like this, there are undoubtedly some people, with a positive approach, who dedicate themselves well to society in discharging their responsibilities towards it. A sincere effort has been made to make the characters intuitive and effective in the novel. They will be able to leave their indelible mark on the hearts of the readers. I got the motivation for writing this novel from my grandfather, who would always emphasize the charm in 'living for others'. Santosh Prasad relates to a farmer's family in the Belvan village of Gopalganj in Bihar. In the face of many inadequacies in life, he is in possession of a tendency to do something in the field of literature and entertainment. The thought of bringing up his grandfather's thoughts in front of people always kept him motivated. After studying and graduating from Bihar, he came over to Delhi to make his future golden, struggled a lot here but ultimately succeeded. Presently, he has established himself as a well-known businessman in the National Capital Delhi. Even today, he remembers the moments of inadequacies and inconveniences he experienced in his village. His village was devoid of good schools and colleges. He came to Delhi and learned the Korean language to move ahead and today has earned a good name in the field of 'Health and Fitness and Media'.  
  • Represents a cross-section of contemporary urban culture. Arora is a rich building contractor having great faith in the power of money. Manish, a college student, suffers from a guilt complex because he has a different sexual orientation. Kamlesh, a Delhi University student, lands in the US after she is hurriedly married to a suave NRI and, to her horror, discovers that he is already married. After becoming a widow, Mrs. Gulati learns to lead an independent life, while Agrawal, a lonely senior citizen, struggles with old age problems after the death of his wife. There are many more exciting characters interwoven in the plot to give you the Tasteful Inspiration you always wanted for.   This book is a must-read for all those who want to give a healing touch to their souls in today's life full of hassles. ~Peyush Bhatia, Life Coach & Business Coach Author of Life Beyond Fears A real masterpiece of literature that we come across very rarely. ~Dinesh Verma, C.E.O. Pendown Press After Ph.D., Dr. Alok went for further studies in Canada and joined CSIR as a scientist on return. He is a very widely traveled person and published Six books–Global warming, 2008 (Rupa & Co.); Love is where your heart is, 2011 (Diamond Books), Mankind: Origin, Journey to the Present and Future, 2018, and When Travel Bug Bites Sam, 2018.
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    The Novel ’EXPECTATION’ (PRATEEKSHA) has been selected by National Book Trust, India for Sharjah International Book Fair, UAE, 2013. The heroine of the novel Sita never surrenders to the adversities, never compromises to wrong ethical values but, takes them up as the challenge faces them boldly, and becomes victorious. As a social novel, its story is very inspiring, interesting, and indulging. Raj kumari Sharma M.A. (Hindi) M.A. (Pol. Science) B. Ed. born on 7th September 1930 Jamki Chima Distt. Sialkot (Now in Pakistan). After the INDO-PAK partition, she worked first as a school teacher in the legendary land of AALAH —UDHAL, VIRBHUMI MAHOBA, and later in the Department of Education, Madhya Pradesh. For the first ten years, she served as a teacher and later for 23 years, she had been the Principal of School.