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परिधानों के रिटेल व्यापारी कृपया ध्यान दें। यह पुस्तक उन लोगों के लिए है जो महिलाओं के एथनिक परिधान के रिटेल व्यापार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ते हुए इस उद्योग के लीडर बनना चाहते हैं। इसमें अनुभव और गहन रिसर्च से निकले इनसाइट से युक्त टिप्स भी शामिल किए गए हैं। एक अवश्य पढ़ी जाने योग्य पुस्तक! अगर आप घटते हुए लाभों से चिंतित हैं और अपने व्यापार को बढ़ा नहीं पा रहे हैं तो आपके संतुष्ट और निष्ठावान ग्राहक आधार में वृद्धि करके आप के लाभ को दस गुणा बढ़ाने के लिए यह पुस्तक एक संपूर्ण व्यावहारिक गाइड का काम करेगी। परिधानों के रिटेल व्यापार के रणनीतिकार और विशेषज्ञ, नवीन एन- बानूड़ा, एम- एन- फैशन्स के निदेशक हैं जो भारतीय महिलाओं के एथनिक परिधानों के B2B क्षेत्र में भारत का नम्बर 1 ब्रांड है। अपने VFC फ्रेमवर्क के जरिए इन्होंने 5000 से अधिक रिटेल व्यापारियों के करोड़ों रुपए डेडस्टोक में बचाए हैं और करोड़ों रुपयों का लाभ अर्जित कराया है ताकि वे मार्केट के लीडर के रूप में स्थापित हो सकें।
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कुछ बातें मन को छू जाती हैं तो कुछ मन को उदास कर जाती हैं। जो बातें मन को छूने वाली होती हैं वही तो होता है 'मुस्कुराता सच', जो मनुष्य को कुछ सोचने को विवश करता है, कुछ विशेष कर पाने की प्रेरणा देता है। इस पुस्तक में आप जीवन के अनगिनत सच से रू-ब-रू होते हैं। पुस्तक के प्रत्येक शीर्षक में आबद्ध पंक्तियाँ जहाँ मन में खुशियों के फूल खिलाती हैं वहीं भटकते हुए मन को चंचल लहरों के मझधार में डूबने से बचाने का हरसंभव प्रयत्ल करती हैं। जीवन का हर पल आपसे सवाल करता है, आप खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं। उन पलों में इस पुस्तक की अनमोल बातें आपके हर अनुत्तरित सवाल का सटीक जवाब देंगी। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के | पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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मुस्कुराती यादें सफर हैं यादों का जो न मेरी हैं, न तेरी हैं, ये हैं हम सबकी और हम सब के पास यादें बहुत सारी हैं। संजोकर रखी थी कोने में, मैंने उसको सबके सामने पढ़ डाला है। जिस भी यादों पर हमने पर्दा डाला है। इसमें दर्द के घूँट भी हैं ,इसमें सब्र का सुकून भी है प्रकृति के संग में हर माँ का आँचल भी है। इन यादों के सफर में मैं अकेले न चली , मेरे साथ हर बात जो शायद हैं अनकही। नाम से पहचान हो यह काफी नहीं है। मेरा काम मुझे पहचान दिलाये, इसलिए ये मेहनत की है। नाम तो है आरती मित्तल जो खिली बगिया में ३० मार्च १९८४ को। पहचान मिलने आयी द्वार पर प्रभु कृपा से धन्यवाद गुल्लीबाबा टीम का जो सपनो को सच करने में मेरा पूर्ण सहयोग दे रहे हैं। परिवार ने दिया है भरपूर, ये मुझे सौभाग्य मिला है। मैंने ईश्वर को सहृदय धन्यवाद् है। जो पूरा हो रहा सपना ये मेरा सौभाग्य है।
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जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के जीवन की कड़वी सच्चाई से समाज के प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन, हर पल सामना करना पड़ता है। अच्छाई के बदले अच्छाई और बुराई के बदले बुराई मिलनी तय है। यही बात मोहब्बत करने वाले पर भी लागू होती है। यदि मोहब्बत दिल से की गई हो तो उसका सच सुकूनदायक होगा ही। इसके विपरीत छल-कपट भरी मोहब्बत का सच तो मन में कड़वाहट उत्पन्न करेगा ही। मोहब्बत चाहे धरती का आसमान से हो, धूप का किरणों से हो, भंवरे का फूल से हो या पुरुष का स्त्री से, हर एक को सुख-दुख की तरंगों को आत्मसात करना ही होता है। यह पुस्तक अनेक विचारों की मोहक सुगंध से पाठकों के मन को सराबोर करती है। हर पंक्तियाँ दिल के तारों को झंकृत करती हैं, दिल में जैसे खुशियों के बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं, प्यासा मन तृप्त हो उठता है। यही तो है 'मोहब्बत -ए- सच' पुस्तक में, जिसे आप पढ़ना चाहेंगे बार-बार, हर समय, हर परिस्थिति में और अपने मन को दे सकेंगे सुकून के स्वर्णिम पल।
वंदना गिरधर- जन्मः 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी, दिल्ली विश्वविद्यालय। स्नातक की डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक कुशल गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए खुशहाल जीवन की प्राप्तिा हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।
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यह पुस्तक पाठकों की जिंदगी को बेहतर करने की गारंटी देता है। लेखक का दावा है कि अगर पाठक इस पुस्तक में दी हुई तथ्यों और निर्देशों का अक्षरशः पालन करने के बावजूद भी अपने जीवन में उल्लेखनीय बदलाव नहीं महसूस कर पाते हैं, तो इस स्थिति में इस पुस्तक की लागत मूल्य उन्हें वापस मिल जाएगी।
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आज पूरा विश्व इस बात से सहमत है कि मानव के मन और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में योग की विशेष भूमिका है। इसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही अब प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व योग दिवस' के रूप में मनाया जाता है।लेखक ने इस पुस्तक में इस महत्वपूर्ण विषय की अवधारणाओं को अत्यंत सरल भाषा में जनसाधारण के सम्मुख प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इस पुस्तक में योग के विभिन्न पक्षों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ योग द्वारा सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार की विधियों पर भी प्रकाश डाला गया है। निश्चय ही यह पुस्तक योग के जिज्ञासुओं के लिए एक वरदान साबित होगी। योग परंपरा में दीक्षित योगाचार्य श्री. गिरजा शंकर उपाध्याय योग की दुनिया में एक नया नाम हैं। ये एम डी एक्यू, मुख्य योग शिक्षक (पतंजलि योग समिति), योग प्रशिक्षक (Yoga Certification Board) तथा विशिष्ट योग एवं सनातन योग के साथ साथ एक्यूप्रेशर जैसी विधाओं के गहनतम ज्ञान से सुशोभित हैं। आज के तनाव से भरे जीवन में योग एक संजीवनी है। इसी से प्रेरित होकर लेखक ने इस पुस्तक में मानव जीवन के कल्याण के संकल्प के साथ योग को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस व्यक्तित्व से समाज को और भी बहुत आशाएं हैं।
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Ayurveda Tips on concentration, focus, & memory power) is the perfect resource! This book features everything you need to improve your concentration, memory power, health, and peace of mind with yoga, and includes additional information Everything you Need To make Yoga an Integral Part of Your Health and Well-being (For Students & Everyone)
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डॉक्टर एस. एस. गोला ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष रत्न, ज्योतिष कोविद तथा ज्योतिष वाचस्पति हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनको दो बार सम्मानित किया जा चुका है। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे लगातार 9 से 10 घंटे की समाधि ले लेते थे।
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यह किताब रिटेल में सफलता पाने के लिए एक मददगार गाइड है, जिसमें 30 साल का अनुभव शामिल है। इसमें रिटेल सफलता के 4 महत्वपूर्ण हिस्से हैं: रिटेल में 5 इंद्रियों की ताकत, स्टाफ का प्रशिक्षण और सशक्तिकरण, डेटा का उपयोग, और प्रभावी संचार। यह आपकी मदद करेगी कि आप किन क्षेत्रों में सुधार कर सकते हैं और अपने स्टोर की वृद्धि की संभावनाएँ पहचान सकें। यह किताब सिर्फ एक गाइड नहीं है—यह आपकी रिटेल रणनीतियों को समझने और आर्थिक सफलता हासिल करने के सफर में आपका साथी है।
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यह पुस्तक लगभग उन सारी समस्याओं पर विचार करती है जिनका आज के स्टेशनर्स सामना कर रहे हैं और साथ ही इन समस्याओं के समाधान भी प्रदान करती है। चाहे आपको बड़ी संख्या में वस्तुओं या चीजों को संभालना हो, या फिर व्यवस्याय सम्बन्धी लगभग सभी कार्य ( खरीद/बिक्री/संचालन ) हों, या फिर आपको जनशक्ति को ठीक से प्रशिक्षित करना मुश्किल लग रहा हो, या जगह कम होने के कारण आपको प्रोडक्ट्स को दिखाने ( Display ) में संघर्ष करना पड़ रहा हो, यह किताब आपके लिए है। इसके अलावा, यह पुस्तक उन सभी के लिए भी है जिन्हे अपने माल ( Inventory )को सँभालने में दिक्कत आ रही हो, माल/बिक्री का अनुपात भी बहुत अधिक चल रहा हो जिससे व्यवसाय को चलाने के लिए अधिक 'कैपिटल' की जरूरत पड़ रही हो और जिनका शुद्ध लाभ कठोर प्रतिस्पर्धा की वजह से प्राय : निचले स्तर पर आ रहा हो। अरुण अरोरा भारत की अग्रणी फाइल निर्माण कंपनी- World One के मैनेजिंग डायरेक्टर व CEO हैं। स्टेशनरी उद्योग के साथ उनकी यात्रा लगभग 3 दशक पहले शुरू हुई। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे अपने अंकल के दिल्ली-चावड़ी बाजार स्थित स्टेशनरी केंद्र में फाइल निर्माण के व्यवसाय में शामिल हो गए। वे इतनी सारी ' स्टेशनरी आइटम्स ' की विविधता और नए व सार्थक प्रोडक्ट्स बनाने की संभावना को देखकर मोहित हो गए थे। लेखक ने दुनिया भर के कई बड़े खुदरा विक्रेताओं व स्टेशनरी निर्माताओं के साथ काम किया है, जिनमें दुनिया के सबसे बड़े, खुदरा विक्रेता ' वालमार्ट ' भी शामिल हैं। वर्ष २०१३ में उन्हें वालमार्ट द्वारा ' ऑफिस सप्लाई ' की श्रेणी में ' बेस्ट पार्टनर अवार्ड ' भी प्रदान किया गया। आज वे अपने जीवन की हर सांस के साथ स्टेशनरी को जी रहे हैं और उनके रोम रोम में इस क्षेत्र में कुछ नया करने की धुन सवार है।
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किसी के सुख की, किसी के दुःख की, किसी की साँसें, धड़कन की। जीवन की धूप-छाँव, उतार-चढ़ाव प्रतिबिम्ब पुस्तक।। कुछ बातों ने, कुछ लोगों ने, कुछ समस्याओं ने दी दस्तक। मेरे शब्दों में आकर के, बनी है मेरी ये पुस्तक।। सुस्वागतम, सुअभिनन्दन, मेरी रचनाएँ जीवन दर्शन। मेरी रूह के अहसासों से, लिखी है मैंने ये पुस्तक।। जब भी कोई लेखक अपनी लेखनी उठाता है, तो कागज पर उतरने वाले प्रत्येक कथानक में उसके जीवन के अनुभव अपने आप अपना स्वरूप धारण करने लगते हैं। प्रस्तुत पुस्तक 'रूह से' भी लेखिका के जीवन के अनुभवों का एक जीता-जागता दस्तावेज है। लेखिका के अनुसार इस पुस्तक के कुछ अंशों को छोड़कर शेष सभी घटनाएँ व पात्र काल्पनिक हैं। यह पुस्तक निश्चित रूप से कहीं न कहीं आपके जीवन को स्पर्श करती हुई सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक की लेखिका नीलम रानी गुप्ता का जन्म 2 अक्टूबर 1968 को दनकौर (नौएडा) में श्री हरिओम गुप्ता व श्रीमती कमला रानी के घर हुआ था। इन्होंने आगरा कॉलेज, आगरा से जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की उपाधि प्राप्त की है। लेखन के क्षेत्र में प्रस्तुत कहानी संग्रह 'रूह से' इनकी प्रथम रचना है। इनके दादाजी श्री गोकल चन्द, निवासी दनकौर (नौएडा) इनके मूल प्रेरणा स्रोत रहे हैं तथा अपनी यह पुस्तक इन्होंने अपने दादाजी को ही समर्पित की है।
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उन्नीसवीं सदी में इंग्लैंड के कुछ अंग्रेज उद्योगपति स्वतंत्र रूप से तथा मनमाने ढंग से भारतीय किसानों से नील की खेती अपनी शर्तों पर करवाते थे तथा उन्हें मामूली मेहनताना देकर नील उत्पादों को यूरोप एवं एशिया के बाजार में बेचकर बड़ा मुनाफा कमाते थे। 1917 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए नील आंदोलन के बाद अंग्रेजों का नील उत्पाद से होने वाला मुनाफा काफी कम हो गया, जिसके कारण चम्पारण में बसे तकरीबन सभी अंग्रेज जमींदारों ने अपनी जमीन बेच दी और इंग्लैंड वापस चले गए। नील उत्पादन के काल में भारतीय समाज की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं औद्योगिक स्थिति एवं परिवेश का वर्णन इस पुस्तक में एक अंग्रेज रॉबर्ट परिवार के उत्थान-पतन एवं इंग्लैंड जाकर पुनः भारत वापसी की कहानी के माध्यम से किया गया है। जैक रोबट लंदन का एक अपराधी प्रवृत्ति का दबा विक्रता या तथा दया के दुरुपयोग से उसने कई लोगों की हत्या कर दी थी और उनके धन लूट लिए थे। पुस्तक के लेखक शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20.12.1948 को बिहार प्रांत के पूर्वी चम्पारण जिले का मच्छरगानों ग्राम में हुआ था। इन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री बिहार विश्वविद्यालय के एम.आई.टी. से 1971-72 में हासिल की तथा उसी वर्ष सितम्बर में सेल बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की तथा स्टील प्लांट के विभिन्न संकायों एवं इकाइयों में सफलतापूर्वक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दिसम्बर 2008 में सेवानिवृत्त हुए तथा झारखंड प्रांत के बोकारो स्टील सिटी के सेक्टर 12-बी में स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं। इन्होंने हिंदी एवं अंग्रेजी में कई पुस्तकों की रचना की है। 'नालंदा से सोमनाथ तक', 'कुमारिल का आत्मदाह एवं झारखंड के 5000 वर्ष' इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
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'लव जिहाद ...एक चिडिया'-धर्म और राजनीति की जंजीरों में जकड़ी हुई एक प्रेम कथा है, जिसमें सोनिया और साहिल का जब सच्चाई से सामना होता है, तो वे दोनों अपने आपको एक ऐसे मझधार में फंसा पाते है, जहाँ से निकल पाना नामुमकिन है। दोनों को अपने प्यार के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। 'प्यार' सिर्फ दिल देखता है, उसे किसी भी धर्म और समाज से कुछ लेना-देना नहीं होता। मगर, अफसोस सिर्फ इस बात का है कि 'कुछ गुमराह लोग' - जिने न तो धर्म का, न समाज का और न ही प्यार का सही-सही अर्थ पता है, समाज में बहुत मामूली-सी संख्या में होते हुए भी नासर की तरह फैले हुए है, जिनकी वजह से सभी को शर्मिदा होना पड़ता है। लव जिहाद को अलग ही अर्थों में बयान करती - 'सोनिया और साहिल' के सच्चे प्यार की यह कहानी - जो एक ओर तो दो प्रेमियों की विवशताओं को बयान करती है, वहीं दूसरी ओर समाज की दकियानूसी सोच पर चोट भी करती है। यह कहानी अपने अंत में आपको इसके भयावह परिणामों और कारणों पर सोचने के लिए विवश कर देगी। राम 'पुजारी' • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में सीनियर मैनेजर एवं कन्सल्टेंट के पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षका पुरस्कार प्राप्ति- इनके उपन्यास 'अधूरा इंसाफ...एक और दामिनी' के लिए। राजधानी रतन 2016 से पुरस्कृत किया गया है।
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यह पुस्तक उन सभी लिफ्ट कंपनियों के लिए है जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का निश्चय किया, या यूँ कहें कि अपना संपूर्ण जीवन लिफ्ट के लिए समर्पित कर दिया । यह पुस्तक कितना अधिक तथ्यपरक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि १०० से भी अधिक लिफ्ट कंपनियों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह पुस्तक बनाई गई है। इसमें ऐसे बहुत सारे मिथकों कि चर्चा की गयी है जो आप जैसे लिफ्ट कंपनियों के विकास को रोकते हैं। निःसंदेह प्रस्तुत पुस्तक सभी लिफ्ट उद्यमियों को अपने दायरे का विस्तार करने और एक विशिष्ट पहचान बनाने में आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी साबित होगा। हर्ष ने अपने करियर कि शुरुआत ही लिफ्ट कंपनी से की थी । ये विभिन्न लिफ्ट निर्माताओं को यांत्रिक भागों (mechanical parts) की आपूर्ति किया करते थे । वह दौर इम्पोर्टेड सामानों का था । अधिकांश लिफ्ट बाजारों में आयातित सामानों का ही बोलबाला था। घरेलू बाजार में सोर्सिंग की समस्या को समझने के लिए लेखक ने एलीवेटर मैकेनिकल डिजाइन कंसल्टेंट के रूप में काम करना शुरू किया। उन्होंने जल्द ही लिफ्ट निर्माता की जरूरत के हिसाब से किट तैयार करने में महारत हासिल कर ली जिससे भारत में ही सोर्सिंग कि प्रक्रिया शुरू हो सकी और इस तरह से लिफ्ट निर्माताओं को बाहर से उत्पादों को इम्पोर्ट करने की समस्या से निजात मिली । लगभग सारी बड़ी लिफ्ट निर्माता कंपनियों ने विदेशों से सिर्फ कच्चा माल आयात करना शुरू किया और फिर उनसे उच्च गुणवत्ता वाले अनुकूलित बाजार उत्पादों का निर्माण शुरू किया । इस प्रकार से हर्ष ने लिफ्ट निर्माता कंपनियों के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया ।
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यह पुस्तक उन सभी लिफ्ट कंपनियों के लिए है जिन्होंने नौकरी छोड़ कर अपनी खुद की कंपनी शुरू करने का निश्चय किया, या यूँ कहें कि अपना संपूर्ण जीवन लिफ्ट के लिए समर्पित कर दिया । यह पुस्तक कितना अधिक तथ्यपरक है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि १०० से भी अधिक लिफ्ट कंपनियों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह पुस्तक बनाई गई है। इसमें ऐसे बहुत सारे मिथकों कि चर्चा की गयी है जो आप जैसे लिफ्ट कंपनियों के विकास को रोकते हैं। निःसंदेह प्रस्तुत पुस्तक सभी लिफ्ट उद्यमियों को अपने दायरे का विस्तार करने और एक विशिष्ट पहचान बनाने में आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी साबित होगा।
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प्रस्तुत पुस्तक ‘वृक्ष लगाएँः ग्रहों को अपने अनुकूल बनाएँ’ में इन तथ्यों का विस्तृत एवं स्पष्ट विवरण दिया गया है। यह पुस्तक आपको बताएगी कि अपनी राशि का वृक्ष लगाकर आप किस प्रकार सुख-समृद्धि एवं अलौकिक आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस पुस्तक का अध्ययन करके आप स्वयं ही जान सकते हैं कि कौन-सा ग्रह आपके अनुकूल है, और कौन-सा ग्रह नहीं तथा प्रतिकूल ग्रह को केसे शांत किया जाए। दुनिया में ग्रीनमैन के नाम से जाने जाने वाले ख्यातिप्राप्त पर्यावरणविद श्री विजयपाल बघेल इस पुस्तक के लेखक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन वृक्ष सम्पदा के लिए समर्पित किया हुआ है। पेड़ के आध्यात्मिक, औषधीय, पर्यावरणीय, सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व की पौराणिक मान्यताओं को पुनःस्थापित करने के मिशन का संचालन असंख्य पर्यावरण प्रेमियों को जोड़कर कर रहे हैं। सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र पाने वाले श्री बघेल इस युग में ‘हरित ऋषि’ की भूमिका निभा रहे हैं। पेड़ों के प्रति अगाध आत्मीय संबंध रखने वाले ये लेखक वृक्षों के आध्यात्मिक महत्त्व को विज्ञान के साथ जोड़कर अपनी अनुभवी लेखनी का प्रयोग लोक कल्याण के लिए साहित्य लेखन द्वारा भरपूर कर रहे हैं। इस पुस्तक के सहयोगी लेखक श्री दिनेश वर्मा जाने-माने लेखक, समर्पित समाजसेवी, अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले एवं मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे हमेशा इस दिशा में प्रयत्नशील रहते हैं कि समाज में रहने वाले सभी व्यक्ति, स्वस्थ, शांत एवं प्रसन्नतापूर्ण जीवन व्यतीत करें। प्रस्तुत पुस्तक भी इसी दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों का एक भाग है। इस पुस्तक के एक अन्य सहयोगी लेखक श्री विनय कंसल ‘पर्यावरण श्री (मानद उपाधि)’ एवं कई अन्य पुरस्कारों से पुरस्कृत तथा सुविख्यात पर्यावरणविद् हैं। आज धरती का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी कारण से त्रस्त, परेशान तथा तनावग्रस्त है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मनुष्य पूजा-पाठ, ज्योतिष, ग्रह-शांति आदि का सहारा लेता है। क्योंकि वनस्पति सहित सम्पूर्ण प्राणी जगत एवं ग्रहों सहित समस्त सौर-परिवार प्रकृति के ही भाग हैं, अतः वृक्षों से तथा ग्रहों से हमारा अटूट रिश्ता है।
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हमारे तीर्थस्थल एवं पौराणिक देवी-देवताओं की मान्यताएँ इस देश की सांस्कृतिक धरोहर एवं समृद्ध परंपराओं की परिचायक हैं। 'शक्तिपीठ' हमारी इन्हीं परंपराओं एवं मान्यताओं का अभिन्न अंग हैं। मन की शांति एवं शक्ति प्राप्त करने के सिद्ध स्थल हैं-'शक्तिपीठ'। शक्तिपीठ वे पवित्र स्थल हैं जो त्रिदेवियों- महासरस्वती, महालक्ष्मी एवं महाकाली की सम्मिलित शक्ति अर्थात् देवी शक्ति (देवी सती का दिव्य स्वरूप) के अधिष्ठान के रूप में जाने जाते हैं। वास्तव में चमत्कारिक माहात्म्य से परिपूर्ण शक्तिपीठ देवी शक्ति के परम-प्रिय निवास-स्थल हैं। प्रारंभ से ही इन स्थलों की संख्या और भौगोलिक स्थिति के बारे में बहुत सारे मत-मतांतर हैं, जो इनकी गूढ़ता के ही परिचायक हैं, तथापि इनकी सिद्धता के बारे में किसी को भी कोई संदेह नहीं है। मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध इन शक्तिपीठ स्थलों की संख्या विभिन्न स्रोतों, सूत्रों एवं लोगों द्वारा 108, 64, 52 और 51 बताई जाती है, लेकिन प्रस्तुत पुस्तक में महापीठपुराण के अनुसार कुल 52 शक्तिपीठों के बारे में शोधात्मक जानकारी धार्मिक पर्यटन की भावना के अनुरूप दी गई है, जिसका एकमात्र लक्ष्य लोगों को इन स्थलों के बारे में बताना है, न कि अंतिम मत प्रदान करना। गीतकार, स्क्रिप्टराइटर एवं 'शक्तिपीठ' पुस्तक के लेखक श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। पर्यटन-प्रशासन एवं प्रबंधन में यूजीसी-नेट उत्तीर्ण श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी ने सी.एस.जे.एम. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से पर्यटन में एम0बी0ए0 किया। मैनेजमेंट के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से मास-कम्युनिकेशन में भी मास्टर्स की उपाधि प्राप्त की है। पूर्व में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में देश-विदेश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान में बतौर कंटेंट राइटर 7 वर्षों से भी अधिक समय तक कार्यरत रहे श्री त्रिपाठी जी वर्तमान में कानपुर (उत्तर प्रदेश) में ही 2 विश्वप्रसिद्ध | चंद्रेश विमला त्रिपाठी शैक्षणिक संस्थानों (कानपुर-मुंबई) द्वारा निर्मित हिंदी की पहली ब्लॉगिंग एवं सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट में कंटेट राइटर के पद पर नियुक्त हैं। श्री चंद्रेश जी एक सिद्ध-हस्त लेखक हैं। इनके द्वारा पर्यटन पर लिखी गई एक अन्य पुस्तक मैनेजिंग सेल्स एंड प्रमोशन इन टूरिज्म (एम0 टी0 एम07) विश्वविद्यालयीय छात्रों में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा देश-विदेश में ख्याति अर्जित कर चुकी है। माता-पिता में ईश्वर का स्वरूप देखने वाले श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी की विचारधारा आधुनिकता के उस खोखलेपन पर तीखा प्रहार करती है, जिसमें वृद्धावस्था में संतान होते हुए भी असहाय की भाँति माता-पिता को वृद्धाश्रमों की शरण लेनी पड़ती है। आज के आधुनिक समाज को श्री चंद्रेश विमला त्रिपाठी जैसे प्रेरक एवं मार्गदर्शक लेखकों की नितांत आवश्यकता है।
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Safalta ke vyavharik aayam An impressive personality is the key to success. We bring for you in this book some of the essential changes that you must inculcate in your personality to be successful in life. Some real examples have been quoted in the book from the life of great people like Abraham Lincoln. Written by an eminent personality counselor Sanjeev Sharma, the book talks about many traits that influence our personality. The book highlights the impact of attributes like expression, inspiration, and so on. The book is must read for everyone who wants to be successful in life and improve their personality. Written in simple Hindi, this book is easy to understand. Read it till its very last page, implement the thoughts presented here and experience the change in your life.
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One Rank One Pension, या समान पद समान पेंशन पाने के लिए लोगों ने संघर्ष किया। वह मिल भी गई है पर लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं। आज भी लोग इसमें सुधार के लिए रैलियां कर रहे हैं। जस्टिस रेड्डी की समिति को इसमें कमियां दूर करने के लिए बनाया गया था, पर उसकी रिपोर्ट को सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह मुद्दा आज भी खत्म नहीं हुआ है। लेखक ने यह महसूस किया कि लोगों में इसके बारे में जानकारी का अभाव है। अतः लेखक ने इस पुस्तक में पहली बार 'समान पद समान पेंशन' पर निष्पक्ष टिप्पणी दी है। उन्होंने इस विषय पर एक ऐसी संदर्भ पुस्तक बनाई है जिससे लोगों को यह पता चल सके कि आखिर विसंगति कहाँ व क्या है।
श्री प्रवीण शर्मा का जन्म व शिक्षा, दिल्ली में हुई। 1988 में इन्होंने भारतीय वायु सेना में सेवा शुरू की। वहाँ वायुयान में तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला। सेवा के दौरान वायुयान में भारत के करीब हर क्षेत्र में जाने का अनुभव मिला। भारतीय वायु सेना में सेवा के दौरान थल सेना व नौ सेना के विभिन्न स्थलों व लोगों से मिलने का भी अनुभव प्राप्त हुआ। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की तथा बाद में एम.ए. व एम. फिल. (राजनीति शास्त्र) की उपाधि पाई। ये भारतीय वायु सेना में सार्जेंट (वरिष्ठ नोन कमीशन अधिकारी) के पद पर कार्यरत थे तथा 20 वर्ष की सेवा के पश्चात् वायु सेना से सेवानिवृत्त हुए। वर्तमान में भारत सरकार के उपक्रम बी. एच. ई. एल., दिल्ली में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।