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इस पुस्तक के अंदर लेखक ने दिल्ली, हरियाणा व पंजाब में अग्रवाल समाज के महानुभावों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में फैली विरासत का सुंदर व्रणन किया गया है। 900 साल से लेकर करीब 100 साल पहले तक के दुर्लभ तथ्यांे का समावेश है। विभिन्न काल में रहे अग्रवाल राजा, मंत्री व सामंतो की ऐतिहासिक जानकारियाँ लिखित है। नामः मोहित अग्रवाल (गर्ग) जन्मः 19 मई 1995 (दिल्ली) शिक्षाः एम.बी.ए. (भारती विद्यापीठ, पूणे), बी.बी.ए. (इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली) पिताः श्री रोशन लाल अग्रवाल माताः श्रीमति राजबाला अग्रवाल निवासीः गांव करोड़ा, जिला कैथल के लाला नरूमल गर्ग के चौदहवीं पीढ़ी के सदस्य। लेखन कार्यः 2004 कक्षा पाँच से कवितायें लिखना आरम्भ। 2010 कक्षा दस के पश्चात् कहानी व अन्य लेखन कार्य। 2013 से अग्रवाल जाति पर शोध लेख लिखने शुरू किये। प्रकाशनः 2013 परिवार के इतिहास पर पुस्तक ‘दादा नरूमल प्रतिबिम्ब’ का प्रकाशन। 2017 ‘लाला नरूमल गर्ग वंशावली’ का प्रकाशन जिसमें 17 पीढ़ी व करीब 3000 परिवारों की वंशावली संकलन। भारत के सबसे बड़े वंशावली वृक्ष के रूप में हरियाणा के अग्रवाल इतिहास पर पुस्तक ‘हरियाणा का गौरव अग्रवाल समाज’ का प्रकाशन (2019) उपलब्धिः मात्र 19 वर्ष की आयु परिवार के इतिहास पर पुस्तक लिखी। वर्ष 2018 में वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनियन द्वारा सम्मानित। अग्रवाल जाति के इतिहास पर शोधपूर्ण पुस्तक लिखने वाले पहले युवा अग्रवाल शोधकर्ता बने। 5 अक्टूबर 2013- समर्पित कार्यकर्ता- अग्रोहा विकास ट्रस्ट (दिल्ली) सम्मान- जून 2015 में इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस में सबसे बड़े वंशावली वृक्ष बनाने के लिये। 25 अक्टूबर 2015 को नरवाना में परिवार मिलन समारोह में सम्मानित। 2016 - मारवाड़ी सम्मेलन दिल्ली द्वारा सम्मानित। 11 अगस्त 2018 को अग्रवाल सम्मेलन, दिल्ली के अध्यक्ष द्वारा सम्मान। 27 अगस्त 2018 को दादी सतीसेवा ट्रस्ट करोड़ा द्वारा सम्मान। 13 अक्टूबर 2018 को अग्रवाल पंचायत, फतेहपुर पुंडरी द्वारा सम्मान। 14 अक्टूबर 2018 को अग्रवाल युवा संगठन, निगदू (करनाल) द्वारा सम्मान। 17 मई 2019 को पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला के वाइस चांसलर द्वारा सम्मानित। 11 सितंबर 2019 को दिल्ली के पूर्व मेयर जयप्रकाश अग्रवाल द्वारा सम्मानित। सामाजिक कार्यः अध्यक्ष लाला नरूमल गर्ग सेवा संघ (दिल्ली) सचिव-उत्तरी दिल्ली वैश्व महा सम्मेलन मीडिया प्रभारी-दिल्ली प्रदेश मारवाड़ी सम्मेलन (गणगौर शाखा)
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"अंतर्मन का दर्पण" श्रीमती आरती मित्तल की नवीनतम काव्य रचनाओं का संग्रह है जिसमें उन्होंने अपने अंतर्मन के विविध मनोभावों को निश्छल अभिव्यक्ति प्रदान की है। इन कविताओं में कवयित्री महोदया ने समय-समय पर अनुभूत मनोभावों को सरल शब्दों में पिरोकर हमारे सम्मुख प्रस्तुत किया है। ये अभिव्यक्तियाँ नारी के उस कोमल मन से उपजी हैं जिनसे गुजरे बिना किसी भी भारतीय नारी की जीवन यात्रा पूर्ण नहीं होती। इन कविताओं में जहाँ बचपन में भाइयों के प्यार और दुलार की यादों को समेटा गया है तो वहीं बड़े होने पर दिल में किसी के आ बसने की आहट तथा उससे जडे सपनों को वाणी प्रदान की गई है। फिर किसी के साथ उम्र भर का रिश्ता जड़ने का क्षण, बाबुल के घर से विदाई की घड़ियाँ तथा पालने में नए मेहमान के आगमन की खुशी जैसी विविध नारी सहज भावनाओं को कवयित्री ने अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति प्रदान की है। इसके साथ ही उनकी कलम ईश्वर के अस्तित्व जैसे रहस्यवादी विषय की ओर भी बढ़ी है। भाषा और भावनाओं की सरलता का आलम यह है कि पाठक उनसे पूर्ण तल्लीनता स्थापित कर कह उठता है कि ये तो मेरे ही मन के भाव हैं। निश्चय ही यह काव्य संग्रह आज के यांत्रिक जीवन में तपती गर्मी में बारिश की फुहारों का सा अहसास प्रदान करेगा। आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा-मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हैं। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हई तथा जीवन को प्रभ की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पया है। माता-पित से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन-साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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एक रचनाकार की रचना में उसके जीवन का वह सच मौजूद होता है जिससे वह कहीं न कहीं दो-चार होता रहता है। प्रस्तुत काव्य संकलन 'अदृश्य सत्य' भी कवयित्री वन्दना गिरिधर जी के जीवन में प्राप्त हुए अनुभवों का एक निचोड़ है। जिस प्रकार जीवन जीने के लिए हवा, पानी, खाना तथा कपड़ों की आवश्यकता होना एक ऐसी सच्चाई है जो हमें प्रत्यक्ष दिखायी देती है, उसी प्रकार एक 'अदृश्य सत्य' भी है, जिसका सामना हमें दिन-प्रतिदिन के जीवन में करना पड़ता है जो कि हमें दिखाई नहीं पड़ता है, और वह सत्य है जीवन में आने वाली परीक्षाओं और कसौटियों पर खरा उतरखा। यह | 'अदृश्य सत्य' प्रत्येक मानव के जीवन की सच्चाई है जिसे इस पुस्तक के माध्यम से बन्दना जी ने अपने पाठकों तक पहुँचाने का प्रयास किया है। वन्दना गिरिधर जन्म: एक मध्यमवर्गीय परिवार में दिनांक 11 जुलाई 1971 को 'गुप्ता कॉलोनी' दिल्ली में हुआ। शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी में B.A. (Hons.) की डिग्री प्राप्त की I दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर माता पिता द्वारा विवाह कर देने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादाओं का पालन करते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है। आपने अपने जीवनकाल में Cinevision Arts के साथ दो फिल्मों में (1) करम: ये है तेरा करम, (2) | 'यु फील मई लव' में एक गीतकार के तौर पर कार्य किया। दहेज और बाल-विवाह के प्रति काफी कड़ा रुख रखती हैं एवं ऐसा करने वाले लोगों से भी घृणा करती हैं। सामाजिक कार्यों को करने में आपकी विशेष रुचि है और आपको संगीत सुनना व गीत लेखन अति प्रिय है। हरा-भरा वातावरण आपको आकर्षित करता है।
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'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' वैदेही की कहानी है, जो समाज के खोखले ढाँचों को हर कदम पर चुनौती देती है। वस्त्रों के चुनाव से लेकर लड़कों से दोस्ती तक समाज वैदेही के हर कदम पर सवाल उठाता है। वैदेही के माता-पिता इंसाफ की गुहार लगाते हैं, मगर सरकारी वायदों और घोषणाओं के सिवा कुछ हाथ नहीं आता। 'समाज का एक वर्ग दामिनी रेप पीड़िता 'वैदेही' का साथ देता है और समाज का ही दूसरा वर्ग रेप की घटना के लिए वैदेही को ही जिम्मेदार ठहराता है। वैदेही के लिए इंसाफ की तलाश में एक और दामिनी' बनने तक की दर्दनाक कहानी। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम 'पुजारी' सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक 'राम पुजारी' के नवीनतम उपन्यास 'अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी' के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को 'मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक 'राम पुजारी' के उपन्यास 'अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी' की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है।
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मन की बात जब भावनाओं की चाशनी में सराबोर होकर शब्दों के रूप में लेखनी के माध्यम से कागज पर अंकित होती है तब कविता का जन्म होता है। इस संदर्भ में एक सच्चाई यह है कि हर कविता कुछ न कुछ अच्छी बात ही कहती है, जिसमें समाहित भोगे हुए पलों का बिंब पाठक के मन को सुकून देता है, कुछ नया करने की प्रेरणा देता है। यूँ तो कविताएँ कवि के मन की उपज ही होती हैं परंतु अक्सर यह पाठकों के जीवन से जुड़ी किसी न किसी याद को ताजा करती हैं। कवि मन के विचारों की अभिव्यक्ति जब पाठकों के मन को द्रवित करते हुए उनको कुछ सोचने-विचारने को विवश कर दे तब कहा जा सकता है कि काव्य सृजन सफलता की कसौटी पर खरा उतरा है।
वन्दना गिरधर- जन्म: 11 जुलाई 1971 को दिल्ली में। शिक्षाः बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री प्राप्त कर माता-पिता द्वारा विवाह करने के पश्चात् एक संपूर्ण गृहिणी के रूप में परिवार की सभी मान-मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जीवन व्यतीत किया। हिंदी व इंगलिश भाषाओं पर आपका विशेष अधिकार है।
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।
काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।
उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है। -
यह केवल एक पुस्तक नही, पति-पत्नी के बीच ताउम्र प्यार बने रहने की गारंटी देने वाला मैन्युअल है। एक घंटे में जो क्लैरिटी इस पुस्तक से मुझे मिली है वह मुझे अपने संपूर्ण षादीषुदा जीवन में अभी तक नही मिल पाई। यह पहली पुस्तक है जिसमें पति-पत्नी के संबंधों के उतार-चढ़ाव की इतनी अच्छी व्याख्या हुई है और वो भी समाधान सहित।
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“राशि-वृक्ष के माध्यम से ग्रह आरै नक्षत्र प्रभावित होते है। यह सुनकर तो मुझे अचंभा ही हुआ था. लेकिन जब स्थान पर छाये संकटीय बादलों को हटाने के लिए मुख्यद्वार के दोनों तरफ दिव्यतरु 'कल्पवक्ष' का रोपण करण तो उससे सृजित सकारात्मक ऊर्जा ने अल्पकाल में ही सर्वमंगल किया। इ. एम. के. सेठ, ITS, मुख्य महाप्रबंधक, भा. सं. नि. लि., गुवाहाटी (असम)
“ग्रीनमैन श्री बघेल जी ने मेरे 60वंं जन्मदिन पर पवित्र वृक्ष का रोपण कराया तो मैंने यह जाना कि कितना। आध्यात्मिक महत्त्व होता है इन वनस्पतियों में। सरदार जोगा सिंह, IFS, सेवानिवृत्त वन अधिकारी, यमुनानगर (हरियाणा)
“मेरे पति और हम दोनों ने मिलकर पूरे विधि-विधान से अपना राशि-वृक्ष लगाया। यह कार्य अत्यंत लोक कल्याणकारी साबित हो रहा है। सुश्रुश्री गुरुरी जनमेजेजा, PDG, लॉयन्स क्लब इंटरनेशनल, मंडल-321सी, गाजियाबाद
“सेवानिवृत्त पौधारोपण का सुफल निश्चित मिलता है यह मेरा प्रमाणित अनुभव है। श्री राकेश चंद्रा, IAS, प्रशासनिक अधिकारी, लखनऊ
“मैंने अपनी राशि का दिव्यवृक्ष अपने घर पर लगाया जिसके फलस्वरूप मुझे जो सुखद अनुभूति हो रही है उसका वर्णन करने वाले शब्द मेरे पास नहीं हैं। श्री रोमिल बनिया, IPS, पुलिस अधिकारी, दिल्ली
“मेरी कल्पवृक्ष रोपित कर एक तीव्र मनोकामना की पूर्ति कितनी सहजता और सादगी से हो गई ये सब दिव्य वृक्ष के रोपण का ही प्रताप है। श्री कार्तिकेयन, उद्योगपति, इरोड (तमिलनाडु)
“गत वर्ष मैं अपने बेटे का 20वाँ जन्मदिन मनाने और सांसारिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए हमने पूरे वैदिक रीति-रिवाज द्वारा दिव्य-वृक्ष लगाने के परिणामस्वरूप आत्मिक संतुष्टि, सुख, शांति तथा वैभव मिला और कष्ट निवारण भी हुए। श्री सुधीर सिंह, एयरइंडिया अधिकारी, नई दिल्ली
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उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व में मात्र 5% लोग ही एक भरपूर जिंदगी जीने का फार्मूला जानते हैं ? और "इंडिया स्किल कैपिटल" नामक यह पुस्तक न केवल इस प्रमाणित फार्मूले का खुलासा करती है अपितु उस कार्य-प्रणाली को लागू करने के व्यावहारिक तरीकों से भी अवगत कराती है। इस पुस्तक के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाश-बिंदु इस प्रकार हैं * यह आज के प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में सफलता के पीछे के रहस्यों को उद्घाटित करने में आपकी सहायता करती है। * यह इस बात से भी आपको अवगत कराती है कि क्यों और कौन सा कौशल (स्किल) सफलता के लिए आपका छिपा हुआ हथियार है। * सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह आप को पैसे कमाने की मशीन के रूप में परिवर्तित कर अमीर बनने के लिए सशक्त करती है। "इंडिया स्किल कैपिटल" का मुख्य फोकस आप को अनूठे अनुभवों से तथा नए भारत के युवाओं के लिए प्रमाणित समाधानों से अवगत कराना है। यह पुस्तक इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली क्यों और किस प्रकार मानसिक गुलामी वाले नमूने (क्लोन) तैयार कर रहीं है। यह पुस्तक इस बात का भी दृढता- पूर्वक तथा तथ्यात्मक रूप से खुलासा करती है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में युवा वर्ग बेरोजगार क्यों है। कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य, जिन पर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है, वे इस प्रकार हैं * वर्तमान शिक्षा व्यवस्था आज के युग की माँग की दृष्टि से अनुपयुक्त प्रणाली है । * भारत में शिक्षा एक बड़ा कारोबार है तथा प्रमाण-पत्र ही केवल उसके अंतिम उत्पाद हैं। यह पुस्तक आपके लिए लीक से हटकर नए रास्तों का अनावरण करती है ताकि निश्चित सफलता प्राप्त करने के लिए आप उन पर विचार करके उनका अनुसरण कर सकें। यदि आप "सफलता के नियमों को सीखना चाहते हैं और अपने नाम के समक्ष शानदार उपलब्धियां दर्ज कराना चाहते हैं" तो यह पुस्तक आपके लिए आवश्यक रूप से पठनीय है। इसके साथ ही यह पुस्तक आप ही के लिए है यदि आप; * यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कुछ लोग अपने निजी ब्राँड को विकसित करके कैसे इतनें ज्यादा अमीर बन गए? * यह सीखने के इच्छुक हैं कि "ब्रांड" कैसे बना जाए? और * निष्क्रिय आय(पैसिव इनकम) के फार्मूले सीखना चाहते हैं।"इंडिया स्किल कैपिटल" नामक यह पुस्तक इतनी सरल भाषा में लिखी गई है कि भाषा की सामान्य जानकारी रखने वाला व्यक्ति भी इसको पढ़ने का आनंद उठा सकेगा।आपके स्व- परिवर्तन की शुभकामनाओं के साथ !
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इस किताब में आपको कपड़े की दुनिया के बदलते माहौल में सफलता के राज और अनुभव मिलेंगे। शुरूआती चुनौतियों से लेकर विश्वसनीय ब्रांडस्थापित करने तक, यहां आपको प्रैक्टिक लज्ञान और रणनीतियों का भंडार मिलेगा। लेखक भाइयों ने अपने इतने सालों के अनुभव को बखूबी एक फ्रेमवर्क के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें मुश्किलों कोपार करने और बिज़नेस को तेज़ी से बढ़ाने के लिए इनोवेशन करने और हार न मान ने पर ज़ोर दिया गया है।इस किताब काल क्ष्यवे उद्यमी हैं जो एक सफल व्यवसाय को बनाने और बनाए रखने में रुचि रखते हैं।
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उपन्यास 'कैंडल लाइट चिकन' में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है। एक ही खून है एक ही दाता, मजहब में है किसने बाँटा,
यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है? इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की। लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।
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जीवन में कई बार आपके पास सब कुछ होता है, फिर भी “मैं क्या हूँ और मेरा अस्तित्व क्या है?" उसी की पहचान है यह पुस्तक। कविता लिखना केवल मेरा शौक ही नहीं है, बल्कि यह मेरे मन का दर्पण है, मेरे विचार, मेरी सोच, मेरे उत्साह का प्रतिरूप है, जो शब्दों के साथ मिलकर कविता के रूप में प्रस्तुत है। आज अपने बड़ों के आशीर्वाद व अपने परिवार के सहयोग से मैं इस पुस्तक को आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर पाई हूँ।
आरती मित्तल - जन्म: 30 मार्च 1984 शिक्षा - मैंने बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेजी, दिल्ली विश्वविद्यालय से की है व एक कुशल गृहिणी हूँ। मैं एक संयुक्त परिवार में पैदा हुई तथा जीवन को प्रभु की कृपा समझकर जिया है और हर राह में उसे अपने साथ पाया है। माता-पिता से प्राप्त हर संस्कार को शिरोधार्य कर, मैंने जीवन के सफर में अपना हर कदम बढ़ाया है। विवाह के उपरांत जीवन साथी के सहयोग से मैं अपने सपनों को रंग देने में सफल हुई हूँ।
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बच्चे हमारी परंपराओं के खैवनहार और देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक है कि उनके अंदर अच्छी आदतें पनपें। वे समय और शिक्षा का महत्त्व समझें, अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करें, अपने माता-पिता से कोई भी बात न छुपाएँ, स्वस्थ खान-पान और जीवन शैली अपनाएँ, प्रकृति से प्रेम करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुप्रयोग करने से बचें, अपने घर के काम में दिलचस्पी लें, जितना संभव हो हाथ भी बटाएँ, सड़क पार करते समय, अनजान व्यक्ति द्वारा घंटी बजाने पर घर का दरवाजा खोलते समय और ऊपर मंजिल पर खेलते समय भरपूर सावधानी बरतें। प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से बच्चों के अंदर ऊपर वर्णित सद्गुण/जानकारियों को भरने का प्रयास किया गया है।
अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए भी देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन-कार्य में सक्रिय बने रहे। लेखक 'अजय देवऋषी' हमेशा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इन्हें अपनी बातों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में महारत हासिल है। इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें बच्चों को उपयोगी और आवश्यक जानकारी देने वाली पुस्तक "गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा" लिखने के लिए प्रेरित किया है।
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क्या आप अपने लाभ का 37 % खोने या छोड़ने के इच्छुक हैं? आप अभी भी ऐसा कर रहे हैं और यहाँ तक कि आपको इसका पता भी नहीं है। यदि आप एक टॉर्च डिस्ट्रीब्यूटर हैं तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप इन 9 गलतियों को बिना जाने हुए कर रहे हैं। आपको ऐसा लग रहा होगा कि आपका व्यापार ऐसे किस कारण के कम हो रहा है जिसको आप पहचान नहीं पा रहे हैं। स्पष्ट है कि जिस कारण को आप पहचान नहीं सकते तो उसको सुधार भी नहीं सकते। इस पुस्तक के द्वारा, आपको ऐसी जानकारी मिलेगी कि आपकी डिस्ट्रीब्यूटरशिप न केवल बनी रहेगी बल्कि सफल भी होगी। अतः आप इन 9 गलतियों से बचें और भारत के प्रमुख टॉर्च एक्सपर्ट के द्वारा बताए गए इन सुपर सीक्रेट हैक्स को अपनाकर निश्चित सफलता का मार्ग चुनें। वर्षों के अनुभव और अनुसंधानों के निचोड़ का प्रयोग करके बनी यह पुस्तक मार्केटिंग और व्यापार प्रबंधन में बहुत उपयोगी है और यह अवश्य ही आपको आपके उद्योग जगत के शीर्ष पर ले जायेगी।
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चाहे आप खुदरा व्यापार करते हों या पूरी कंपनी चलाते हों, यह पुस्तक आपको अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए व्यावहारिक और सटीक रणनीतियाँ प्रदान करती है। यह पुस्तक आपको वित्तीय सफलता प्राप्त करने और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां देने के लिए डिज़ाइन की गई है। अपने फाइनेंस को प्रभावी रूप से ‘मैनेज’ करने, सोची-समझी निर्णय लेने, प्रॉफिट को प्राथमिकता देने और इसे प्राप्त करने जैसी महत्वपूर्ण चीजें, प्रस्तुत पुस्तक आपको सरलता और सुगमता से सिखाएगी। बजट तैयार करना, प्लानिंग करना, और ‘रिवेन्यू’ को अधिकतम करने के साथ-साथ यह पुस्तक आपको अपने वित्तीय परिस्थितियों को भाँपना और उसका हल निकालना भी सिखाएगा जिससे आप सफलता हासिल कर पाएंगे और अपने बिजनेस को नई बुलंदियों तक लेकर जा पाएंगे। साझा किए गए वास्तविक जीवन के उदाहरण और सलाह आपको इन रणनीतियों को अपने व्यवसाय में लागू करने में सहायक होगी । तो अपने वित्तीय भविष्य पर नियंत्रण रखने और स्थायी सफलता के लिए एक ठोस आधार बनाने के लिए तैयार हो जाइए । भारतीय महिलाओं के परिधान उद्योग में 15 वर्षों के अनुभव के साथ एक प्रसिद्ध 'वेल्थ क्रिएटर एक्सपर्ट', विकास एन बानूड़ा ने जहाँ महिलाओं के पारंपरिक पोशाक के क्षेत्र में कई व्यवसाइयों को सफलता और वित्तीय स्वतंत्रता हासिल करने में मदद की है, वहीं कई लोगों के लिए रोजगार के नए-नए अवसर भी उपलब्ध कराए हैं।
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नमस्कार साथियों मैं इस पुस्तक के माध्यम से पैकेजिंग की इस बदलती दुनिया में आपके ब्रांड के लोगो (प्रतीक चिन्ह) के विज्ञान के बारे में अवगत कर रहा हूँ । पैकेजिंग के इस आधुनिक युग में जो बदलाव आ चुका है उससे निपटने, उसका समाधान निकालने के लिए मैंने यह पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में आपके ब्रांड से जुड़े लोगों के मनोविज्ञान के बारे में और पैकेजिंग की डिज़ाइन और कलर कैसे और कौन से प्रिंट में होने हैं, ये सभी जानकारियाँ बताई जा रही हैं। आप पैकेजिंग को बदलकर कैसे अपने व्यापार और ब्रांड को मार्केट में दोगुना से भी अधिक बढ़ा सकते हैं, इसकी भी विस्तृत चर्चा इस पुस्तक में की गयी है ।
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Through this book, the author has made every possible effort to describe the good and bad approaches to love relations and married life.
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"करोड़ों की कमाई, हाथों से न जाए" - यदि आप एक फुटवियर वितरक, डीलर या खुदरा विक्रेता हैं, तो यह पुस्तक निश्चित ही आपके लिए बनी है। यह पुस्तक आपकी दुविधाओं को दर किनार कर एक ऐसी अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी जिससे आप अनजाने में हो रहे नुकसान को समझ पाएंगे। इतना ही नही, यह पुस्तक आपको न केवल ऐसी गलतियों के प्रति सचेत करेगी जिससे आपका मुनाफा मरता है, बल्कि यह आपके ऑपरेशन कॉस्ट को बचाकर, इन्वेंटरी को सरल बनाकर, आपके “कैश साइकिल”को छोटा करके, इत्यादि तमाम उपायों से आपके ग्राहकों के चेहरे पर खुशी लाएगी। आप तकनीक संचालित तरीकों को बखूबी जान पाएंगे और इसका इस्तेमाल कर एक बेहतर मुनाफा अर्जित करने वाले डिस्ट्रीब्यूटर बन जायेंगे। तो इंतजार किस बात का है? तैयार हो जाइए, इस पुस्तक के माध्यम से आय का अम्बार लगाने के लिए।
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यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए वरदान साबित होगी जो इस रोग से ग्रसित हैं अथवा जो इस रोग के चंगुल में फंसना ही नहीं चाहते। इस पुस्तक में दर्पण अभ्यास पर भी प्रकाश डाला गया है जो आपको अपने अंदर मनुष्य के रूप में पूर्णता का अनुभव प्रदान करेगा । इस पुस्तक में मधुमेह मुक्त जीवन जीने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और योग के साथ साथ ‘ बैच फ्लावर रेमेडीज‘ के माध्यम से उपचार करने की विधि को भी प्रस्तुत किया गया है