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1. History of Events 2. Profile of Jury (i) Lt. Gen. (Retd.) Dharam Vir Kalra ... PVSM, AVSM (ii) Dr. Mrs. Veni Mathur (iii) Dr. Pradeep Kumar Goel (iv) Vipul Nanda (v) Dushyant Arya (vi) Sanjay Khanna (vii) O.P. Jain (viii) Abhishek Chakraborty (ix) Rajeev Bhardwaj (x) Syed k. Husain (ix) Message 3. Case Studies of Winning Teams (i) Future of 4PL in India University of Petroleum and Energy Studies, Dehradun (ii) Logistics Challenges of E-Commerce Shri Mata Vaishno Devi University, Katra (iii) Public Distribution System K. R. Mangalam Institute of Management, Delhi (iv) Green Logistics-The Indian Way PC Training Institute (PCTI Group) (v) Use of IT in Supply Chain Jagan Institute of Management Studies Rohini, Delhi 4. Case Studies of Runnerup Teams (vi)Future of 4PL in India G. L Bajaj Institute of Management & Research (vii) Logistics Challenges of E-Commerce Jagan Institute of Management Studies, Rohini, Delhi (viii) Public Distribution System College Of Management, Shri Mata Vaishno Devi University, Katra (ix) Green Logistics-The Indian Way Jagan Institute of Management Studies, Rohini, Delhi (x) Use of IT in Supply Chain Jaipuria Institute of Management 5. Interaction with Industry Professionals Interaction with Mrs. Dr. Veni Mathur Interaction with Mr. Anil Khanna Interaction with Mr. V V Rao Interaction with Mr. A. K. Saraswat Interaction with Mr. Vipul Nanda Interaction with Mr. A.V. Reddy Interaction with Mr. Suresh Bansal Interaction with Mr. Lt. Gen. (Retd.) Dharam Vir Kalra PVSM, AVSM Interaction with Mr. Vinod R Nair 6. Company Profile Container Corporation of India Mercurio Pallia Logistics Mahindra Logistics DTDC Courier & Cargo Ltd. “NECC, Ltd.
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में समाज एवं जीवन के विभिन्न पक्षों पर चिंतन करते रहना उसका स्वाभाविक गुण है। किंतु चिंतन करने वाला व्यक्ति अगर जागरूक एवं सहृदय भी हो तो उसकी एक स्वाभाविक इच्छा होती है कि उसके विचारों का लाभ समाज के अन्य व्यक्तियों को भी मिले। निश्चय ही इसका सर्वाधिक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम उनको शब्दों में बाँधकर मुद्रित रूप में समाज के सम्मुख रखना होता है। श्री हरीश चन्द्र सभरवाल की नवीनतम कविताओं का संग्रह "अनुभूतियाँ इसी दिशा में किया गया एक सार्थक प्रयास है। इस रचना की सभी कविताएँ दैनिक जीवन के विभिन्न रूपों को परिलक्षित करती है, अतः पाठक सहज ही उनसे जुड़ाव महसूस कर लेता है। इन कविताओं का चित्रफलक इतना व्यापक है कि राष्ट्र हित से लेकर मच्छर के काटने से होने वाले रोग डेंगू तक को इनमें समाहित कर लिया गया है। निश्चय ही इनका पाठ और चिंतन इसके सुधी पाठकों को सुकून प्रदान करेगा और वे बार-बार इन्हें पढ़ना चाहेंगे।
काव्य संग्रह "अनुभूतियाँ" के रचयिता एक वरिष्ठ एवं अनुभवी चिंतक हैं। वर्ष 1973 में स्नातक हो जाने के बाद वर्ष 1974 में उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एक राष्ट्रीयकृत बैंक में नौकरी शुरू कर ली। वहाँ पर वर्षों के सेवाकाल ने उनके अनुभवों की पूंजी को काफी समृद्ध किया।
उनका मानना है कि उनकी काव्य रचना की शुरुआत एक संयोग से हुई जब रेलगाड़ी में यात्रा करते हुए उन्होंने जीवन की पहली कविता लिखी। उसके उपरांत एक जागरूक एवं चिंतक नागरिक के नाते समय-समय पर जो भी विचार उनके मन-मस्तिष्क में आते गए उन पर वे अपनी लेखनी चलाते चले गए जो उनकी वर्तमान रचना 'अनुभूतियाँ' के रूप में हमारे सम्मुख है। -
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पशुपालन में अपनी आमदनी को दस गुणा कैसे बढ़ाएँ?
क्या आप पशुपालन से होने वाली अपनी आमदनी से संतुष्ट नहीं हैं ? क्या आप इस आमदनी को कई गुणा बढ़ाना चाहते हैं? क्या आप पशुपालन के दौरान अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनका कोई उचित समाधान आपको नहीं मिल पा रहा है?
तो अब आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र के विशेषज्ञ संजय नरवाल की यह पुस्तक आपके उपर्युक्त सभी प्रश्नों और समस्याओं का सटीक समाधान लेकर आपके सामने प्रस्तुत है।भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशुधन का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः अपने पशुओं की ठीक से देखभाल करना और उनको स्वस्थ बनाए रखना बहुत जरूरी है। इस ओर समुचित ध्यान न देने पर ये अस्वस्थ एवं कमजोर हो सकते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है। यहां तक कि समुचित चिकित्सा के अभाव में कुछ पशु बीमार होकर मर भी सकते हैं। ऐसा प्रायः पशुपालकों को पशुपालन संबंधी समुचित जानकारी न होने के कारण ही होता है। इस पुस्तक में पशुओं के पालन-पोषण से जुड़ी प्रायः सभी प्रकार की जानकारी को एक ही स्थान पर उपलब्ध करा दिया गया है।
पुस्तक की विषयवस्तु को सुविधा की दृष्टि से 15 अध्यायों में विभाजित करते हुए प्रत्येक अध्याय में इस विषय से जुड़े किसी एक पक्ष पर इस प्रकार प्रकाश डाला गया है ताकि इस विषय से जुड़ा कोई भी पक्ष अछूता नहीं रह सके।पुस्तक के लेखक इस क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने कॉमर्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद पशुपालन में दो साल का डिप्लोमा कोर्स कियाऔर एम. बी.ए. की उपाधि भी प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान प्राप्त ज्ञान का उपयोग उन्होंने बाद में पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के मिशन के लिए किया।
हमें पूरा विश्वास है कि पशुपालन से जुड़े लोग इस पुस्तक से लाभ उठा कर अपनी आमदनी को निश्चित रूप से कई गुणा बढ़ा सकने में सक्षम हो सकेंगे।
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डॉ. मुरारी लाल त्यागी जी ने अपने लंबे आध्यात्मिक जीवन के अनुभवों के द्वारा लोगों के सवालों के जवाब देकर मानव-जीवन की सफलता के गूढ़तम रहस्यों को उजागर किया है। डॉ. त्यागी जी ने कहा है, "मनुष्य अपनी उन्नति एवं अवनति के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है। वह जिस प्रकार के संकल्पों या विचारों का निर्माण करता है, वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण उसका अवचेतन मन (आत्मा) उसके लिए करने लगता है। अच्छे विचारों का निर्माण करके एवं उन पर ईमानदारी से अमल करके व्यक्ति देवत्व के शीर्ष पर पहुँच जाता है। किंतु यदि उसकी दिशा गलत हुई अर्थात् उसने गलत विचारों का चयन किया तथा उन पर दोषपूर्ण ढंग से अमल किया, तो परिणाम भी विपरीत ही प्राप्त होंगे।" "आपका अवचेतन मन या दूसरे शब्दों में कहें तो आपकी आत्मा ज्ञान का भंडार है। अपनी आत्मा से संपर्क करके आप हर उस चीज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी हमें कभी भी और कहीं भी जरूरत होती है। आप जीवन में भरपूर समृद्धि और आनंद प्राप्त करने के लिए प्रमुखता से अधिकारी हैं और आप इसे सहजता से प्राप्त भी कर सकते हैं।" डॉ.मुरारीलाल त्यागी की कृतियाँ आज सबसे अधिक लोकप्रिय और सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली कृतियों में शामिल हैं। उनके द्वारा लिखित बैरिस्टर, ऊँची दीवार, म्लानमना, विदाई,बीमार कौन, दुःखान्त, संकल्पजयी, एक कदम और, वह कोई और, नया डायरेक्टर, मन उदास क्यों, बदलती लकीरें, हीरे मोती (संपादित), नई तालीम (नाटक), प्यारे बच्चों (नैतिक शिक्षा), सामाजिक सन्त पं. तिलकराज शर्मा, चिन्ता से चिन्तन तक आदि पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रही हैं। वे गत 60 वर्षों से 'प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं तथा ज्ञान में चल रहे हैं और धारणा युक्त जीवन जी रहे हैं। उनकी वर्तमान उम्र 87 वर्ष से भी अधिक है। वे गत 55 वर्ष से 'कल्पान्त' मासिक भी प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें कवि, साहित्यकार, समीक्षक एवं अन्य विद्वानों की चर्चा की जाती है। यह कृति हमें सिखाती है- सुखी जीवन के चमत्कारिक रहस्य - तन-मन और धन के साथ आत्मिक शांति पाने का सहज और अचूक दिव्य ज्ञान, समस्याओं, निराशा, चिंता, आलोचना और व्याधियों से छूटकर समृद्धि एवं खुशियाँ पाने के सरल सूत्र। सत्प्रेरणा से परिपूर्ण एवं जीवन को आनंदमय बनाने का सतत् प्रवाह प्राप्त करने के लिए 'मेरा' सुख 'किसके हाथ प्रसिद्ध मनीषी एवं आध्यात्मिक वक्ता डॉ. मुरारी लाल त्यागी जी द्वारा दिए गए मर्मस्पर्शी सवालों के अनुभवसिद्ध जवाबों का अनुसरण अवश्य करें।
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'अधूरा इंसाफ ...एक और दामिनी' वैदेही की कहानी है, जो समाज के खोखले ढाँचों को हर कदम पर चुनौती देती है। वस्त्रों के चुनाव से लेकर लड़कों से दोस्ती तक समाज वैदेही के हर कदम पर सवाल उठाता है। वैदेही के माता-पिता इंसाफ की गुहार लगाते हैं, मगर सरकारी वायदों और घोषणाओं के सिवा कुछ हाथ नहीं आता। 'समाज का एक वर्ग दामिनी रेप पीड़िता 'वैदेही' का साथ देता है और समाज का ही दूसरा वर्ग रेप की घटना के लिए वैदेही को ही जिम्मेदार ठहराता है। वैदेही के लिए इंसाफ की तलाश में एक और दामिनी' बनने तक की दर्दनाक कहानी। • दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक। • लेखन के अलावा धार्मिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता। • 10 वर्षों से अधिक कंप्यूटर हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य किया। • दिल्ली की एक प्रतिष्ठित औद्योगिक इकाई में राम 'पुजारी' सीनियर मैनेजर एवं कन्सेल्टेंट पद पर कार्यरत। • योग प्रशिक्षक। लेखक 'राम पुजारी' के नवीनतम उपन्यास 'अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी' के कथानकों की प्रासंगिकता और लोकप्रियता को देखते हुए इस उपन्यास को 'मनोरमा इयरबुक 2017 में स्थान दिया गया है। डॉ. उदित राज, संसद सदस्य (लोकसभा) उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, पूर्व आई.आर. एस. ने लेखक 'राम पुजारी' के उपन्यास 'अधूरा इंसाफ : एक और दामिनी' की लोकप्रियता को देखते हुए द्वितीय संस्करण छपने पर पत्र लिखकर बधाई दी है। समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को जीवित रखने के लिए उन्होंने इस प्रकार के साहित्य की सराहना की है।
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The pre-historic connection of the African continent with peninsular India in the Gondwanaland day led the author to think whether the earliest inhabitants of India came from Africa. The present worldview, however, rules it out by assuming that Gondwanaland disintegrated long before the humans arrived in Africa. This view, however, cannot convincingly explain how primitive Man spilled all over the world in the later years, crossing the huge oceans in between. The present book is an attempt to solve this puzzle on the basis of available evidence. The invention of machines in the 18th century by humans, though lauded as the greatest achievement, has also resulted in ever-increasing pollution and destruction of nature in the name of development. The cumulative effect of all this after centuries of progress has brought us to the precipice where global warming and its ugly effects are bringing the planet to the brink of a catastrophe. The only way to reverse this effect in the author's view is to ascertain that the majority of our population retains agriculture as their livelihood. That is the only way global warming can be reversed. The book is based on rational thinking and scientific reasoning. Alok Bhattacharya: The author is a Ph.D. in Chemistry from Banaras Hindu University along with a few years of research experience in Canadian universities. He started his career as a scientist in a CSIR Lab, then moved on to industry as an R&D Scientist and retired after a successful career. He has published in national and international journals of repute, was an invited speaker in the Calcutta session of the Indian Science Congress in 1995, and has authored books on advanced research topics. He has traveled widely and has an active interest in current social issues. His book "Global Warming" has been published by Rupa & Co. in 2008
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समाज में बदलाव पहले भी होते थे और आज भी हो रहे हैं। विवाह का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। ऊपर से तो सब सामान्य लगता है किंतु थोड़ा सा भी गहराई में जाने पर साफ दिखाई पड़ता है कि विवाह की पारम्परिक मान्यताएँ आज छिन्न भिन्न होती नजर आ रही हैं। पत्नी के अतिरिक्त किसी दूसरी स्त्री से संबंध बनाना क्या पुरुष की स्वाभाविक प्रवृत्ति है या फिर कभी-कभी स्त्री के सम्मुख ऐसी परिस्थितियाँ उपस्थित हो जाती है कि वह किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को विवश हो जाए? युद्ध की विभीषिका के शिकार उन परिवारों की क्या दशा होती है जिनके स्वामी देश हित के लिए युद्ध में शहीद हो जाते हैं? इस प्रकार के क्रूर किंतु यथार्थ प्रश्नों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने का सार्थक प्रयास श्री मोहित कुमार शर्मा के इस नबीन उपन्यास "पंच तत्त्व का ये संसार" में किया गया है। उपन्यास की भाषा इतनी सारगर्भित एवं विषयानुकूल है कि ऐसा लगता है मानो सब कुछ हमारी आँखों के सामने घटित हो रहा हो। कथानक के कुछ मोड़ तो ऐसे हैं जिन्हें पढ़कर मन में प्रश्न उठते हैं कि क्या समाज में ऐसा भी होता है। आशा है कि समाज के यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को सुधी पाठक बार-बार पढ़ना चाहेंगे। "पंच तत्त्व का ये संसार" शीर्षक उपन्यास के रचयिता श्री मोहित कुमार शर्मा मूलत: दूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो इस समय उत्तर भारत के प्रमुख कार्यपालक के पद पर कार्यरत हैं। इस रूप में उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में घूमने तथा वहाँ के लोगों के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिलता रहता है। लेखक ने स्वयं भी जब वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया तो समाज की ओर से उन्हें विभिन्न उतार चढ़ावों से भरे अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला।
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‘Life Through A Lens ‘ is Khushi Jain’s book . The book unravels Khushi ‘s evolution as a poetess . Khushi has dealt with everyday topics which touch her heart and soul . Her style of writing is simple , lyrical and mindful of metre . Her perspective is fresh , relatable and keeps the reader engaged. Khushi is a vivacious and social 15 year old girl , born and brought up in Delhi . She has friends in all age groups . She is currently studying in Springdales School , Dhaula Kuan , New Delhi .She is a literature lover and reads a lot . By the age of 11 her love for reading translated to writing especially poetry . She wants to be an orator par excellence . She has deep interest in computer and technology and aspires to be an entrepreneur when she grows up .
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प्रस्तुत पुस्तक ‘वृक्ष लगाएँः ग्रहों को अपने अनुकूल बनाएँ’ में इन तथ्यों का विस्तृत एवं स्पष्ट विवरण दिया गया है। यह पुस्तक आपको बताएगी कि अपनी राशि का वृक्ष लगाकर आप किस प्रकार सुख-समृद्धि एवं अलौकिक आनंद प्राप्त कर सकते हैं। इस पुस्तक का अध्ययन करके आप स्वयं ही जान सकते हैं कि कौन-सा ग्रह आपके अनुकूल है, और कौन-सा ग्रह नहीं तथा प्रतिकूल ग्रह को केसे शांत किया जाए। दुनिया में ग्रीनमैन के नाम से जाने जाने वाले ख्यातिप्राप्त पर्यावरणविद श्री विजयपाल बघेल इस पुस्तक के लेखक हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन वृक्ष सम्पदा के लिए समर्पित किया हुआ है। पेड़ के आध्यात्मिक, औषधीय, पर्यावरणीय, सामाजिक तथा आर्थिक महत्त्व की पौराणिक मान्यताओं को पुनःस्थापित करने के मिशन का संचालन असंख्य पर्यावरण प्रेमियों को जोड़कर कर रहे हैं। सैकड़ों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर के सम्मान एवं प्रशस्ति पत्र पाने वाले श्री बघेल इस युग में ‘हरित ऋषि’ की भूमिका निभा रहे हैं। पेड़ों के प्रति अगाध आत्मीय संबंध रखने वाले ये लेखक वृक्षों के आध्यात्मिक महत्त्व को विज्ञान के साथ जोड़कर अपनी अनुभवी लेखनी का प्रयोग लोक कल्याण के लिए साहित्य लेखन द्वारा भरपूर कर रहे हैं। इस पुस्तक के सहयोगी लेखक श्री दिनेश वर्मा जाने-माने लेखक, समर्पित समाजसेवी, अपनी पुस्तकों के प्रकाशन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले एवं मानवीय गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे हमेशा इस दिशा में प्रयत्नशील रहते हैं कि समाज में रहने वाले सभी व्यक्ति, स्वस्थ, शांत एवं प्रसन्नतापूर्ण जीवन व्यतीत करें। प्रस्तुत पुस्तक भी इसी दिशा में किए जा रहे उनके प्रयासों का एक भाग है। इस पुस्तक के एक अन्य सहयोगी लेखक श्री विनय कंसल ‘पर्यावरण श्री (मानद उपाधि)’ एवं कई अन्य पुरस्कारों से पुरस्कृत तथा सुविख्यात पर्यावरणविद् हैं। आज धरती का प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी कारण से त्रस्त, परेशान तथा तनावग्रस्त है। इन समस्याओं के समाधान के लिए मनुष्य पूजा-पाठ, ज्योतिष, ग्रह-शांति आदि का सहारा लेता है। क्योंकि वनस्पति सहित सम्पूर्ण प्राणी जगत एवं ग्रहों सहित समस्त सौर-परिवार प्रकृति के ही भाग हैं, अतः वृक्षों से तथा ग्रहों से हमारा अटूट रिश्ता है।
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If you want to know how to grow and sustain in your personal life or/and business by leaps and bounds, this book is yours. The book contains all the facts and answers all the questions that you might have. It addresses all the problems that you might be facing as an entrepreneur or as a student. Mr. Harish Miglani picked CA as career choice and completed exams in very first attempt in the year 2006. After becoming Chartered Accountant in 2006, he started giving coaching to CA students in 2009. At the time of his practice and coaching to students. Mr. Miglani observed that there are people in the society who are intellectual, disciplined, but there is something that hold them all. This book is a big attempt to transform all these people.
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The Book, packed in 10 chapters, provides in-depth and detailed information on different aspects of Cow Wealth. Cow is the only living being which intakes oxygen and emits oxygen and the animal is a hospital in itself. According to a Russian scientist, coating the walls of the house with cow dung will protect the inhabitants from radiation. In addition to these, the cow, through its horns, absorbs “cosmic” energy. The Issues such as: Cow and Religion, Cow — A Moving Wealth, Cow Menace, Vigilantism and Violence, Cow Shelters are Becoming Cow Killers, Conserving Indigenous Cattle Breeds, Improving Feed and Fodder Resources, Scientific Approach to Improve Productivity and Way forward to Revive Cattle Wealth, which the cattle lovers across the country are facing for long, have been covered in the book. Cow journey from 'Gaumata to Menace to Violence' is a big setback to the country. Rural economy (particularly dairy farmers) is badly affected. Violence in the name of cow protection has hurt sentiments of dairy farmers and is a shame to the country. The situation is becoming bad to worse to worst over the years. Time is to wake up now. The book will be of Immense value to policymakers, programme planners, public and private sectors, NGOs, social workers, environmental workers, educationists, developmental departments and dairymen who never dream to see cow on street feeding on garbage as “A Gaumata of Ancient India”. Dr. K P Agrawal obtained his Bachelor of Veterinary Science and Animal Husbandry (1968) and Master of Veterinary Science (1972) from the Veterinary College, Mathura and Doctorate (1980) from Indian Veterinary Research Institute (IVRI), Izatnagar. He had a humble beginning of his research/teaching career as a demonstrator in the Physiology Department at the Veterinary College, Mathura. Since then, he has been working in different capacities: as research assistant; senior research assistant; scientist; senior scientist at IVRI, Izatnagar; associate research scientist/associate professor/research scientist at the Veterinary College, Gujarat Agricultural University, Gujarat; and scientist-S3/principal scientist/head of the division at the Central Institute for Research on Goats, Makhdoom. He assumed the responsibility of the National Coordinator of the World Bank-aided National Agricultural Technology Project (NATP) on 1st April, 1999. As a follow-up of the NATP, he continued as the National Coordinator of another World Bank-aided project, the National Agricultural Innovation Project (NAIP) before he retired in July, 2007. Dr Agrawal has authored 30 books and his literary works that include but not limited to chapters in books, monographs, bulletins, etc. are published by as many as 350 publications. He received several awards/honours during his academic and research career. After retirement, he worked as a Senior Consultant in World Bank-supported Projects, such as the “Water Sector Restructuring Project” in Madhya Pradesh, “Rajasthan Agricultural Competitive Project” in Rajasthan and “National Agricultural Innovation Project” in Indian Council of Agricultural Research (ICAR). He also authored two books (1. Water “The Elixir of Life” is endangered and 2. Delhi — A Role Model of Urban India) after retirement. Currently he is an independent consultant in research and developmental programmes in agriculture and allied sectors in the country.
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उपन्यास 'कैंडल लाइट चिकन' में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है। एक ही खून है एक ही दाता, मजहब में है किसने बाँटा,
यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है? इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की। लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।
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This book is the ultimate guide for people of all age groups, who want to prevent joint and muscle pains, due to incorrect postures in their daily lives. This self-help book enables one to learn about simple tips on lifestyle modification, and prevention management of musculoskeletal repetitive stress injury (RSI) through basic exercises, and ergonomics at home and at work. This will enable readers of the book to lead a healthy and pain-free life. Dr. Ridwana Sanam is a leading Consultant Physiotherapist and Woman Entrepreneur, well known for her work in the field of Clinical Physiotherapy and Education. She has completed numerous courses, such as Kineseo-Taping (Japan), Band & Ball (UK), Manual Therapy (Singapore) and Dry Needling (AIIMS, India). She founded KRV in 2007 and incorporated KVR Healthcare and Physiotherapy Pvt. Ltd. in 2011. Having treated lacs of patients across India, as well as from neighbouring countries in South Asia and Middle East, she has amassed vast clinical experience in her decade-long career. She is well versed in the latest technology and techniques in physiotherapy, and through her direct treatment of patients over the last 10 years, she has prevented more than 50,000 surgeries of Osteoarthritis, Slip Disc, and ACL Tears. In addition to committing herself to the effective diagnosis and treatment of injuries, she is also a firm believer in the prevention of injuries by adopting simple techniques for an ergonomic and healthy lifestyle. She developed this interest during the course of treating several patients where injuries were preventable. Dr. Ridwana Sanam was appreciated and awarded by Dr. APJ Abdul Kalam in 2013.
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उपन्यास 'आंसुओं के बिना जिंदगी' में जीवन के उन अनछुए पहलुओं को सहेजने की कोशिश की गयी है, जो समाज में लोगों के सामने आ खड़े होते हैं। ऐसे समय में निजी स्वार्थ और सुख के लिये लोग समाज एवं परिवार के प्रति अपने दायित्वों को दरकिनार कर देते हैं। ओछी मानसिकता इतनी संकीर्ण हो जाती है कि उन्हें सिर्फ अपने बच्चे और एकल परिवार की ही चिंता रहती है। पारिवारिक रिश्तों की मिठास और कड़वाहट को भी दिखाने का प्रयास किया गया है। ऐसे में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो सकारात्मक सोच के साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हैं। उपन्यास में किरदारों को इतना सहज और प्रभावी बनाने का प्रयास किया गया है कि वे पाठक के दिलो-दिमाग पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकें। संतोष प्रसाद जी बिहार के गोपालगंज के एक छोटे से गांव बेलवां के किसान परिवार से संबंध रखते हैं। इनमें जिंदगी में अभावों का सामना करते हुए भी साहित्य व मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक है। अपने दादाजी के सद्विचारों को लोगों के सामने लाने की सोच हमेशा उन्हें प्रेरित करती रही। वर्तमान में वे राजधानी दिल्ली में जाने-माने व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं। आज भी उन्हें अपने गांव की अभावों और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। पढ़ने के लिए उनके गांव में अच्छे स्कूल व कॉलेज नहीं थे। दिल्ली आकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कोरियाई भाषा सीखी और आज 'हेल्थ एंड फिटनेस' व 'मीडिया' के फील्ड में अच्छा-खासा नाम कमा चुके हैं।
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Efforts have been made to preserve those usually untouched aspects of life in 'Life without Tears', which pose their presence in front of people in society. People tend to ignore their responsibilities towards elders in their family and society. The mentality of the people of today has become so narrow that they worry only about their children and in a sense, the nuclear family. In this fiction, relationships have been so woven into the whole theme that the reader attaches directly to the characters. An attempt has been made to depict the sweetness and bitterness in family relationships. In a situation like this, there are undoubtedly some people, with a positive approach, who dedicate themselves well to society in discharging their responsibilities towards it. A sincere effort has been made to make the characters intuitive and effective in the novel. They will be able to leave their indelible mark on the hearts of the readers. I got the motivation for writing this novel from my grandfather, who would always emphasize the charm in 'living for others'. Santosh Prasad relates to a farmer's family in the Belvan village of Gopalganj in Bihar. In the face of many inadequacies in life, he is in possession of a tendency to do something in the field of literature and entertainment. The thought of bringing up his grandfather's thoughts in front of people always kept him motivated. After studying and graduating from Bihar, he came over to Delhi to make his future golden, struggled a lot here but ultimately succeeded. Presently, he has established himself as a well-known businessman in the National Capital Delhi. Even today, he remembers the moments of inadequacies and inconveniences he experienced in his village. His village was devoid of good schools and colleges. He came to Delhi and learned the Korean language to move ahead and today has earned a good name in the field of 'Health and Fitness and Media'.
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Introducing The Simplest, speediest System To Fast Track YOUR Way To Becoming The AUTHORITY In Your Niche With The Speedy Creation Of Your New-Age Influential Business Card ~ Even if you think you have no time ~ Even if your writing skills are not great (which may not be true) ~ Even if you doubt whether it can increase business opportunities, brand recognition, or personal fulfilment ~ Even if you have a fear of failure or criticism (and are sitting on half-done book for years due to this) Get The Exact System I Used to Help 1000s of Business Owners defy all reasons and Get their Bestseller Out Almost Overnight!
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This book is a collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women who they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम'। The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो'। Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems by Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' ' This book is the collection of beautiful 'nazms' (poems) of four young women where they have expressed their feelings and emotions in a very touching manner. It contains five poems of Sweta Rai with titles 'जंजीरें,' 'शब्दों का पिंजरा', 'मेरी जिंदगी मेरा ख्वाब', 'देश रंगीला', and 'देश- प्रेम'। The book includes four poems of Sneha Abhishek with titles, 'Plight', 'मैंने जीना सीख लिया', 'Happy Birthday Darling ', and 'तुम नारी हो, बराबरी क्यों करती हो'। Three poems by Richa Shrivastav with titles, 'समय, ''Yolo,' and 'Pronouns' are also there in the book. Three poems of Bipasha Bharti with titles,' Feeling lonely,' 'सखी,' and 'मौसम' have found a place in this collection. As can be seen from the titles of the poems themselves, these poems contain these young women's perceptions about various facets and life situations that have come from the core of their hearts. Looking at how the feelings are expressed so beautifully in these poems, we can expect many more writing contributions from them in the days to come. This book is a must-read for all those who want to relish contemporary young women's feelings.
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This book is unique in the way that it contains simple, yet effective hacks to be a real-life hero. A blood/platelets/organ donor happens to be even more important than the treating doctor, as no doctor can save patients with his skills and expertise alone who need blood, platelets, organ, etc. The book is handy, yet adequately covers information that is worth knowing about donations. Moreover, this book is an informative and thought-provoking book that will arouses a sense of duty towards the society. No effort is spared to make this book easy to grasp and perfect from all important aspects.
Hemang Pajwani is an Instrumentation Engineer by education, entrepreneur by Profession and by passion “A volunteer Platelet donor”, a Motivational Speaker for “donating Blood and platelets.” Till the date of the publication of this book (31/01/2021), he has donated Platelets 168 times and he is resolute to donate till he is able to maintain good health or law of India permits. And now he is on a mission to make India “the country of the Millions of Real-life heroes” by 2025 where there will be zero incident when any operations/surgeries will be delayed due to unawareness of Healthcare Education and non-availability of Blood/platelets.
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