डॉ. मुरारी लाल त्यागी जी ने अपने लंबे आध्यात्मिक जीवन के अनुभवों के द्वारा लोगों के सवालों के जवाब देकर मानव-जीवन की सफलता के गूढ़तम रहस्यों को उजागर किया है। डॉ. त्यागी जी ने कहा है, “मनुष्य अपनी उन्नति एवं अवनति के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है। वह जिस प्रकार के संकल्पों या विचारों का निर्माण करता है, वैसी ही परिस्थितियों का निर्माण उसका अवचेतन मन (आत्मा) उसके लिए करने लगता है। अच्छे विचारों का निर्माण करके एवं उन पर ईमानदारी से अमल करके व्यक्ति देवत्व के शीर्ष पर पहुँच जाता है। किंतु यदि उसकी दिशा गलत हुई अर्थात् उसने गलत विचारों का चयन किया तथा उन पर दोषपूर्ण ढंग से अमल किया, तो परिणाम भी विपरीत ही प्राप्त होंगे।”
“आपका अवचेतन मन या दूसरे शब्दों में कहें तो आपकी आत्मा ज्ञान का भंडार है। अपनी आत्मा से संपर्क करके आप हर उस चीज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिसकी हमें कभी भी और कहीं भी जरूरत होती है। आप जीवन में भरपूर समृद्धि और आनंद प्राप्त करने के लिए प्रमुखता से अधिकारी हैं और आप इसे सहजता से प्राप्त भी कर सकते हैं।”
डॉ.मुरारीलाल त्यागी की कृतियाँ आज सबसे अधिक लोकप्रिय और सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली कृतियों में शामिल हैं। उनके द्वारा लिखित बैरिस्टर, ऊँची दीवार, म्लानमना, विदाई,बीमार कौन, दुःखान्त, संकल्पजयी, एक कदम और, वह कोई और, नया डायरेक्टर, मन उदास क्यों, बदलती लकीरें, हीरे मोती (संपादित), नई तालीम (नाटक), प्यारे बच्चों (नैतिक शिक्षा), सामाजिक सन्त पं. तिलकराज शर्मा, चिन्ता से चिन्तन तक आदि पुस्तकें बहुत लोकप्रिय रही हैं। वे गत 60 वर्षों से ‘प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़े हुए हैं तथा ज्ञान में चल रहे हैं और धारणा युक्त जीवन जी रहे हैं। उनकी वर्तमान उम्र 87 वर्ष से भी अधिक है।
वे गत 55 वर्ष से ‘कल्पान्त’ मासिक भी प्रकाशित कर रहे हैं जिसमें कवि, साहित्यकार, समीक्षक एवं अन्य विद्वानों की चर्चा की जाती है। यह कृति हमें सिखाती है- सुखी जीवन के चमत्कारिक रहस्य – तन-मन और धन के साथ आत्मिक शांति पाने का सहज और अचूक दिव्य ज्ञान, समस्याओं, निराशा, चिंता, आलोचना और व्याधियों से छूटकर समृद्धि एवं खुशियाँ पाने के सरल सूत्र।
सत्प्रेरणा से परिपूर्ण एवं जीवन को आनंदमय बनाने का सतत् प्रवाह प्राप्त करने के लिए ‘मेरा’ सुख ‘किसके हाथ प्रसिद्ध मनीषी एवं आध्यात्मिक वक्ता डॉ. मुरारी लाल त्यागी जी द्वारा दिए गए मर्मस्पर्शी सवालों के अनुभवसिद्ध जवाबों का अनुसरण अवश्य करें।
Product Details
Book:‘मेरा’ सुख ‘किसके’ हाथ (‘Mera’ Sukh ‘Kiske’ Hath): हमारा ‘सुख’ हमारी सोच का ‘परिणाम’ है, कोई बाहर से प्राप्त होने वाली वस्तु नहीं।
Author:बी. के. डॉ. मुरारीलाल त्यागी
ISBN:9789386276117
Binding:Paperback
Publisher:Pendown Press Powered by Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd.
Number of Pages:178
Language:Hindi
Edition:First Edition
Publishing Year:2015
Category : Body Mind Spirit Crystals & Healing, Health, Family & Personal Development, Motivation, Personal Development & Self-Help
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