बच्चे हमारी परंपराओं के खैवनहार और देश का भविष्य होते हैं। इसलिए यह अत्यावश्यक है कि उनके अंदर अच्छी आदतें पनपें। वे समय और शिक्षा का महत्त्व समझें, अपने से बड़ों का आदर और सम्मान करें, अपने माता-पिता से कोई भी बात न छुपाएँ, स्वस्थ खान-पान और जीवन शैली अपनाएँ, प्रकृति से प्रेम करें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कुप्रयोग करने से बचें, अपने घर के काम में दिलचस्पी लें, जितना संभव हो हाथ भी बटाएँ, सड़क पार करते समय, अनजान व्यक्ति द्वारा घंटी बजाने पर घर का दरवाजा खोलते समय और ऊपर मंजिल पर खेलते समय भरपूर सावधानी बरतें।
प्रस्तुत पुस्तक में कविताओं के माध्यम से बच्चों के अंदर ऊपर वर्णित सद्गुण/जानकारियों को भरने का प्रयास किया गया है।

अजय देवऋषी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिंदी) व एम.बी.ए. (फाइनेंस) की डिग्री प्राप्त की है। प्राइवेट सेक्टर में विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए भी देवऋषी एक कवि के रूप में निरंतर लेखन-कार्य में सक्रिय बने रहे।
लेखक ‘अजय देवऋषी’ हमेशा सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। इन्हें अपनी बातों को कलात्मक तरीके से प्रस्तुत करने में महारत हासिल है।
इनकी प्रेम, जिंदगी, प्रकृति, धर्म, राजनीति और एहसास जैसे विषयों पर लिखी गई कविताओं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर काफी प्रशंसा प्राप्त हुई है। पाठकों से मिले अपार प्रेम व प्रोत्साहन ने ही इन्हें बच्चों को उपयोगी और आवश्यक जानकारी देने वाली पुस्तक “गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा” लिखने के लिए प्रेरित किया है।

Product Details

Book:गाते-गुनगुनाते गुल्लीबाबा (Gaate-Gungunate Gullybaba): बच्चों को उसके मनोनुकूल खेल में रूचि लेने, अपना दोस्त चुनने, स्क्रीन से दूर रखने और अच्छी आदत विकसित करने में उपयोगी एक काव्य गाथा।

Author:अजय देवऋषि

ISBN:978-93-88149-75-4

Binding:Paperback

Publisher:Pendown Press Powered by Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd.

Number of Pages:54

Language:Hindi

Edition:First Edition

Publishing Year:2019

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