Description
नए पाठकों के लिए बता दें कि रहस्य–रोमांच के जिस जासूसी संसार की बुनियाद बाबू देवकी नंदन खत्री जी ने डाली थी, उसी इमारत के निर्माण में हिंदी–उर्दू के कई लेखकों का योगदान रहा, जिनमें जासूसी दुनिया के लिए उर्दू जगत के महान जासूसी उपन्यासकार श्री इब्ने सफी एवं हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री ओम प्रकाश शर्मा जी का नाम उल्लेखनीय है। दोनों ही। महान उपन्यासकार थे। इन्हीं दोनों महान रचनाकारों की गंगा-जमुनी शैली का अद्भुत संगम श्री वेद प्रकाश काम्बोज जी के रूप में हुआ।
पाठकों के लिए यह एक नायाब तोहफा था, क्योंकि उन्हें एक साथ दोनों का आनंद श्री काम्बोज के उपन्यासों में मिलने लगा था, जिसमें एक ओर जासूसी दुनिया का सम्मोहन था तो दूसरी ओर रहस्य-रोमांच से भरे हुए कथानक।
इनके उपन्यासों की मांग के बारे में इतना कहना ही काफी होगा कि इनके उपन्यासों की ब्लैक माकिटिंग भी होने लगी थी, क्योंकि इनके उपन्यास मार्किट में आते ही बिक जाया करते थे और पाठक फिर इन्हें मुंहमांगे दामों पर भी खरीदते थे।
इनके पात्रों-विजय, रघुनाथ, ब्लैक बॉय और सिंगही, अल्फासें व गिलबर्ट के किस्से लोगों की। जुबान पर रहते थे।