नील उत्पादन के काल में भारतीय समाज की राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं औद्योगिक स्थिति एवं परिवेश का वर्णन इस पुस्तक में एक अंग्रेज रॉबर्ट परिवार के उत्थान–पतन एवं इंग्लैंड जाकर पुनः भारत वापसी की कहानी के माध्यम से किया गया है। पुस्तक को पढ़ने से 1917 में महात्मा गांधी द्वारा चलाये गए नील–आंदोलन के कारण तत्कालीन सामाजिक- राजनीतिक माहौल एवं अंग्रेजों पर पड़ने वाले प्रभाव की गहरी समझ विकसित होती है।
इस पुस्तक का अध्ययन न केवल उस समय की राजनीतिक–सामाजिक परिस्थितियों से पाठकों का परिचय करवाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार जन्म स्थान ही सर्वोपरि नहीं होता है। इंसान का जन्म चाहे कहीं भी हो, अगर वो कर्म स्थान से वापस अपने जन्म स्थान जाने पर वो सब चीज़ें महसूस न करे जो उसे अपने कर्म स्थान पे प्रायः अनायास ही मिल जाती है, तो फिर वह अपने जन्म स्थान को छोड़कर कर्म स्थान को ही अपना स्थाई निवास बना लेता है।
पुस्तक के लेखक श्री शम्भू प्रसाद सिंह का जन्म 20 December, 1948 को बिहार प्रान्त के पूर्वी चम्पारण जिले के मच्छरगावां ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह एवं माता का नाम रहता देवी है। इन्होंने अंग्रेजी एवं हिंदी में कई पुस्तकों की रचना की है। अंग्रेजी में ‘Nalanda to World Civilisation’, ‘Environment through Religion’ एवं ‘Cricket Eclipse over Indian Sub continent’ और हिंदी में -‘विश्व सभ्यता को नालंदा की देन’, ‘पर्यावरण संरक्षण एवं धर्म’, ‘नालंदा से सोमनाथ तक’, ‘कुमारिल का आत्मदाह’ एवं ‘झारखण्ड के 500 वर्ष’ आदि इनकी प्रमुख रचनायें हैं।
Book:रोबर्ट की चम्पारण वापसी (Robert ki Champaran Vapsi): गांधी जी की नील क्रांति के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में।
Author:शम्भू प्रसाद सिंह
ISBN:9789385533228
Binding:Paperback
Publisher: Pendown Press Powered by Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd.
Number of Pages:162
Language: Hindi
Edition: First Edition
Publishing Year:2016
Category: Biographies, Diaries & True Accounts, Body Mind Spirit Books, Law, Personal Development & Self-Help
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