उपन्यास ‘कैंडल लाइट चिकन’ में समाज के उन पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो समाज को तोड़ने की नहीं बल्कि जोड़ने का काम करते है। जैसे कि उपन्यास की शुरुआत होती है।
एक ही खून है एक ही दाता,
मजहब में है किसने बाँटा,
यह दोहा अपने आप में इस पुस्तक का परिचय कराता है, कि इस संसार को जाति और मजहब में बाँटने वाले चंद लोग ही हैं, जो अपने फायदे के लिए मानवता को भूलकर सिर्फ और सिर्फ जाति और मजहब की आग लगाने में अग्रसर रहते हैं। यदि यह मान भी लिया जाए कि हम सब एक ही मालिक की संतान है सिर्फ हमारा रंग-रूप, पेश-भूषा, रहन-सहन ही अलग है बाकि सब कुछ समान है तो फिर क्यों मानवता से हटकर मजहब और जाति का जहर रूपी बीज बोया जा रहा है?
इस उपन्यास के माध्यम से प्रत्येक प्राणी की मानवता को समझने की सीख मिलती है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि समाज में भाईचारे की क्रांति लाना है। उम्मीद है कि पाठक अपनी प्रतिक्रिया जरूर देंगे।
संतोष प्रसाद बिहार के गोपालगंज जिले के एक छोटे से गाँव बेलवां को किसान परिवार से संबंध रखते हैं। जिदगी में तमाम अभावों का सामना करते हुए साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ करने की ललक ने उनमें लेखन एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में रुचि पैदा की।
लेखक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक भी हैं लेकिन आज भी उन्हें अपने गांव के अभाव और असुविधा भरी जिंदगी के पल याद हैं। उन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए हमेशा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपने लेखन के माध्यम से सार्थक प्रयास करते हैं।
Product Details
Book:कैंडल लाइट चिकन (Candle Light Chicken): यह उपन्यास समाज के उन पहलुओं को उजागर करता है, जो समाज को तोड़ने का नहीं, बल्कि जोड़ने का काम करते हैं।
Author:संतोष प्रसाद
ISBN:978-93-88149-62-4
Binding:Paperback
Publisher:Pendown Press
Number of Pages:169
Language:Hindi
Edition:First Edition
Publishing Year:2018
Category : Children's & Young Adult, Novel, Novels, Fiction, Fantasy & Poetry, Personal Development & Self-Help, Religion & Spirituality
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